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टैक्स क्यों लगता है भारत में टैक्सों की श्रेणियां ?

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इनकम टैक्स रिटर्न का तात्पर्य है आयकर विवरणी अर्थात वह विवरण जिसमें हम अपने आय-व्यय का पूरा ब्यौरा आयकर विभाग या केंद्र सरकार को सौंपते हैं. इसमें किसी वित्तीय वर्ष में आपके द्वारा अर्जित, उपार्जित आय व व्ययों का ब्यौरा दिया जाता है. जब एक बार यह विभाग के पास पहुँचता है तो विभाग उसकी जांच कर आपके आय को सत्यापित करता है. किसी सन्दर्भ वर्ष के लिए यह सत्यापित आय व्यय के आंकडें उचित और सत्य माने जाते हैं. अब आप इसका उपयोग वीजा के लिए अप्लाई करने में, ऋण आदि लेने में या किसी अन्य जगह जहाँ आपके आय का ब्यौरा माँगा जाय, जैसे विभिन्न कार्यों में कर सकते हैं. अब यदि आपके आंकड़े सही हों तो यह सत्यापित कर इसका निर्धारण कर वापस आपको भेज दिया जाता है. पहले ये सभी प्रक्रिया कागजातों के माध्यम से ऑफलाइन पूरी की जाती थीं. लेकिन अब विभाग ने इस सभी प्रक्रिया को पूर्णत ऑनलाइन कर दिया है.

टैक्स क्यों लगता है?
TAX! Up इस शब्द से तो खूब परिचित होंगे आप। इसके कई उपनाम भी सुने होंगे, मसलन Income Tax , Property Tax, Wealth Tax, Sales Tax, Purchase Tax, Corporate Tax, Service Tax, और हाल में सबसे ज्यादा चर्चाओं में मौजूद गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स वगैरह। अगर आप इनमें से कोई Tax भरते हैं तो थोड़ा गहराई से जानने की इच्छा भी हुई होगी। वैसे Tax बचाने की तरकीबें जानने और ज्यादा से ज्यादा अपनी बचत बढ़ाने में कुछ Basic Knowledge बहुत मददगार भी होती है। एक TaxPayer के रूप में आपकी इस जरूरत को ध्यान में रखते हुए हमने Tax से जुडी जरूरी जानकारियों को आसान तरीके से बताने और समझाने की कोशिश की है। इसी कोशिश की पहली कड़ी मे हम भारत में मौजूद प्रमुख Taxes से आपका परिचय करा रहे हैं।

भारत में टैक्सों की श्रेणियां | Categories Of Taxes In India

भारत में Tax System दो हिस्सो में बंटा हुआ है।

1.Direct Taxes

2. Indirect taxes। दोनों का संक्षेप में परिचय इस प्रकार है।

प्रत्यक्ष कर| Direct Taxes

ये वो Tax होते हैं जो Government आपकी कमाई के हिस्से के रूप में सीधे आपसे वसूल लेती हैं। जैसे Income Tax, Propery Tax, Corporate Tax, Capital Gain Tax आदि । इन्हें प्रत्यक्ष कर यानी Direct Taxes इसलिए कहते हैं क्योंकि इन्हें जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है, Direct उसी से वसूला भी जाता है। इन्हें भरने वाला आगे चलकर किसी और पर उसका भार Transfer नहीं कर सकता। आ र्थिक भाषा में कहें तो कराघात (Impact of Tax) और करापात Incident of Tax दोनों समान व्यक्ति पर होता है। इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स ऐसे ही टैक्स हैं।

अप्रत्यक्ष कर| Indirect Taxes

ये वो Tax होते हैं जिन्हें सरकार आपसे अप्रत्यक्ष तौर पर (Indirectly) वसूल करती है। मतलब यह कि Government ने किसी और से लिया, फिर उस देने वाले ने आगे चलकर किसी और से टैक्स की भरपाई कर ली। इनडायरेक्ट टैक्स वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में शामिल करके वसूले जाते हैं। Excise Duty, Service Tax, Intertainment Tax आदि इसी Catagory के Tax हैं। हाल ही में आया GST भी इसी Catagory का Tax है। आ र्थिक भाषा में कहें Indirect Taxes में कराघात (Impact of Tax) और करापात (Incident of Tax) दोनों अलग-अलग व्यक्ति पर होता है।

Note: Direct और Indirect टैक्सों के बीच अंतर को समझने के लिए स्थितियों को थोड़ा उलटकर देखते हैं। इनकम टैक्स, Direct Tax टैक्स है और सर्विस टैक्स, Indirect Tax है। इनकम टैक्स भी आप ही अदा करते है और स र्विस टैक्स भी आखिरकार आप की जेब से ही जाता है। Income Tax आपने कितना दिया, इसका हिसाब-किताब आपको खुद ही Government को देना पडता है।

इससे अलग Service Tax का हिसाब-किताब आप सरकार को नहीं देते। इसका हिसाब-किताब उस सर्विस देने वाले को देना पडता है,। ध्यान दीजिए, दोनों जगह पैसा आखिरकार आपका ही गया है।। Income Tax में गड़बड़ी हुई तो कार्रवाई डायरेक्ट आप पर होगी। Service Tax में ग़ड़बड़ी हुई तो उसे देने वाले यानी दुकानदार पर कार्रवाई होगी। इस तरह Government और आपके बीच भुगतान की जिम्मेदारी में ये अंतर Indirect Tax को, Direct Tax से अलग करता है।

प्रमुख प्रत्यक्ष कर| Major Direct Taxes

इनकम टैक्स | Income tax

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह लोगों की Income पर लगाया जाता है। लोग जो भी कमाते हैं, उसमें से एक तय हिस्सा सरकार उनसे Tax के रूप में ले लेती है। इसे Central Government की ओर से लगाया और वसूला जाता है, लेकिन Finance Commision की सिफारिशों के अनुसार केंद्र और State Government के बीच बांटा जाता है । भारत में, बहुत कम Income वाले लोगों को Income Tax के दायरे से बाहर रखा गया है। इसके ऊपर थोड़ा ज्यादा Income वालों से कुछ Percentage में और बहुत ज्यादा income वालों से ज्यादा Percentage में इनकम टैक्स लिया जाता है।

किस Level की कमाई होने पर कितना हिस्सा (Percentage में) टैक्स लिया जाएगा, इसकी घोषणा सरकार हर साल Financial Year शुरू होने से पहले Budget में Tax Slab के रूप में करती है। ये Tax Slab भी अलग-अलग श्रेणी के लोगों के लिए अलग-अलग होते हैं। जैसे Senior Citizens, Super Senior Citizens, Companies, Firms, Organisations आदि के लिए अलग-अलग Tax Slab Rates होते हैं।

Tax Slab Rates के बारे में विस्तार से जानकारी हमने अलग Article में दी है। यहां पर थोड़ा विवरण परिचय के रूप में वर्ष 2017-18 का एक टैक्स स्लैब दे रहे हैं जो सिर्फ सामान्य व्यक्तियों के लिए है।

  • Income Tax Slab Rate (2017-18) for Individual Below 60)
  • Income Tax Slab (वार्षिक आय पर आधारित) Tax Rate

Brief Explanation Of Tax Liablity| टैक्स देनदारी की संक्षिप्त व्याख्या

  • 2.5 लाख रुपए से कम Income पर –  Nil
  • आपकी Income के 2.5 लाख रुपए तक के हिस्से पर कोई  Tax नहीं बनेगा
  • Income के 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक के हिस्से पर – 5%
  • कुल टैक्स योग्य Income में से 2.5 लाख निकालने के बाद ऊपर 5 लाख रुपए तक का जो भी हिस्सा बचा, उस का 5 प्रतिशत
  • Income के 5 लाख से 10 लाख रुपए तक के हिस्से पर -20%
  • कुल टैक्स योग्य Income में से 5 लाख रुपए निकालने के बाद 10 लाख रुपए तक का जो भी हिस्सा बचा, उस का 20 प्रतिशत
  • Income के 10 लाख रुपए से उपर बढे हुुए हिस्से पर – 30%
  • कुल टैक्स योग्य Income में से 10 लाख रुपए निकालने के बाद ऊपर का जितनी भी हिस्सा बचा, उस का 30 प्रतिशत
  • Total Tax: हर टैक्स स्लैब के सामने बन रहे टैक्स के एमांउटस को जोडकर टोटल टैक्स देनदारी तय हो जाएगी

Surcharge

Income Tax का 10% (कुल Income 50 लाख से 1 करोड़ रुपए होने पर)
Income Tax का 15% ( कुल Income 1 करोड़ रुपए से से अधिक होने पर)

Educational Cess: कुल ‘इनकम टैक्स+सरचार्ज ‘का 3%

इनकम टैक्स में शामिल Income Sources: इनकम टैक्स की गणना करते वक्त निम्नलिखित Sources से हुई आय को आपकी कुल Income में शामिल किया जाता है।

  • सैलरी के रूप में हुई आमदनी| Income from Salary
  • हाउस प्रॉपर्टी से हुई आमदनी (किराया के रूप में)|Income from House Property
  • बिजनेस या किसी प्रोफेशन से होने वाला लाभ|Profits and Gains of Business or Profession
  • कैपिटल गेन्स के रूप में हुई आमदनी| Capital Gains Income
  • अन्य स्रोतों हुई आमदनी| Income from Other Sources

Note :- Income Tax की गणना के पहले आपकी कई प्रकार की Incomes पर छूटों (पूरी तरह टैक्स मुक्त) और कटौतियों (कमाई के तय हिस्से पर छूट) का फायदा मिलता है। एक सीमा से ज्यादा कमाई होने पर 10-15% का सरचार्ज भी लगाया जाता है।आप पर जितना भी Tax बन रहा है उस पर Tax की मात्रा का 3 प्रतिशत Educational Cess सेस भी लगाया जाता है। Education Cess सभी Taxpayers पर बराबर लगता है, भले ही वह किसी भी टैक्स स्लैब में आते हों।

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