केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आज लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। विधेयक का पारित होना लगभग तय माना जा रहा है। सोनिया गांधी ने इसे अपना विधेयक बता डाला।

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है।

विधेयक के मुताबिक, महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों में से 33 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

ये आरक्षण विधेयक के कानून बनने के बाद जब भी जनगणना और परिसीमन होगा, उसके बाद लागू किया जाएगा। आरक्षण 15 साल तक लागू रहेगा और संसद इसे बढ़ा सकेगी।

1996 में पहली बार से लेकर अब तक, ये विधेयक कई बार संसद में पेश किया गया है, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से इसे विरोध का सामना करना पड़ा।

1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने 12वीं लोकसभा में विधेयक को पेश किया था, लेकिन यह फिर से निरस्त हो गया।

विधेयक को 1999, 2002 और 2003 में भी पेश किया गया, लेकिन यह पारित होने में नाकाम रहा। पहली बार 2010 में राज्यसभा से पारित हुआ विधेयक

2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा में पेश किया और 9 मार्च, 2010 को यह भारी बहुमत के साथ पारित हो गया।

UPA ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश नहीं किया। उस समय OBC आधार वाली पार्टियों ने महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के भीतर OBC के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी।

दरअसल, हालिया समय में चुनावों में महिलाओं की भागेदारी बढ़ी है और 2019 में उन्होंने पुरुषों से अधिक 67.11 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे।

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का असर है कि केंद्र में मोदी से लेकर बिहार में नीतीश कुमार और बंगाल में ममता बनर्जी तक, उन्होंने इन नेताओं की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई है।

यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव से पहले आधी आबादी को अपनी तरफ करना चाहते हैं।

फिलहाल 542 सदस्यों वाली लोकसभा में 78 महिला सांसद हैं, वहीं राज्यसभा के कुल 224 सदस्यों में से 24 महिलाएं हैं।

दिसंबर, 2022 में जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, देश के 19 राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है।

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा (14.44 प्रतिशत) महिला विधायक हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 13.70 प्रतिशत विधायक महिलाएं हैं।भारत में केवल पश्चिम बंगाल ही ऐसा राज्‍य है, जिसकी मुख्यमंत्री एक महिला है।