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शत्रुघ्न सिन्हा – दोस्त का शत्रु

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धरमजी के साथ प्यार ही प्यार से शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी फिल्मी पारी की शुरुआत की मनमोहन देसाई की रामपुर का लक्ष्मण और आ गले लग जा से इन्होंने अपनी जगह लोगों के दिलों में बनाना शुरू की खिलौना, समझौता, ब्लैकमेल, बॉम्बे टू गोआ आदि फिल्मों में लोग इनके छोटे रोल देखकर ही उछल पड़ते थे, इनकी हस्की आवाज़ पर तालियां पड़ती थी।

ऐसे में जब हेमा जी ने दोस्त में संजीव कुमार के साथ काम करने से मना किया तो शत्रुघ्न की लॉटरी लग गयी। इसमे इनका रोल धरमजी के सामने लगभग बराबर का था। इस मौके का इन्होंने भरपूर फायदा उठाया। अपने रफ टफ चेहरे, भारी आवाज़, अजीब से डायलॉग से गोपी के किरदार को अमर कर दिया।

इस फ़िल्म में इन्होंने अनपढ़ चोर की भूमिका बखूबी निभाई, चोर होते हुए भी इनकी मासूमियत देखने लायक थी। इस फ़िल्म के साथ ही इनकी धरमजी के साथ ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन दोनो रूप में जोड़ी जम गई। धरमजी के मजबूत शरीर और हाथ से डरना, वही उन्हें अपनी गैंग में शामिल करने के अरमान इनके चेहरे पे देखते ही हंसी छूटती है।

इन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए फिल्मफेयर नॉमिनेशन भी किया गया। इनके साथी विलेन से साइड हीरो फिर मुख्य हीरो बने विनोद खन्ना जी ने जीता ये अवार्ड। इसी साल अमिताभ बच्चन ने रोटी कपड़ा और मकान में साइड हीरो का रोल निभाया। अमिताभ और शत्रुघ्न दोनो के किरदार का एक हाथ कट जाता है। शत्रुघ्न सिन्हा ने इस फ़िल्म में “कैसे जीते हैं भला” में रफी साहब और लता जी के साथ आवाज़ में गाना भी गाया। शत्रुघ्न सिन्हा की बेस्ट 10 फिल्मों में से एक दोस्त फ़िल्म है।
उनके गाये गाने की लाइन पढ़ो :-

“तो बाफ़्ताए खुदा, जिससे डरता है अपन और इश्स ग़रीबी मे, बड़ी मौज करता है अपन” और “इसलिए तो भाई, रूखी सुखी
जो मिले पेट भरने के लिए और काफ़ी दो गज है ज़मीन, जीने मरने के लिए”

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