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𝗔𝗺𝗮𝗿 𝗣𝗿𝗲𝗺 – (𝟭𝟵𝟳𝟮) का वो ‘आनंद बाबू ‘…….वो राजेश खन्ना का जमाना था ………उन दिनों काका यानि कि राजेश खन्ना की पतंग सातवें आसमान पर उड़ रही थी ‘ ऊपर आका नीचे काका’ एक कहावत बन गई थी …..राजेश खन्ना को फिल्मो की कोई कमी नहीं थी उन्हें साइन करने के लिए फिल्म निर्माता उनके बंगले के बाहर रात दिन लाइन में लगे रहते थे हर तरफ से दौलत और शोहरत काका पर बरस रही थी ……।
ऐसे ही दौर में एक दिन राजेश खन्ना को ख़बर लगी कि मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत के के बहुत बड़े सब्जेक्ट पर काम रहे है और वो बहुत जल्दी एक बड़ी फिल्म बनाने जा रहे हैं ……राजेश खन्ना को हैरानी हुई शक्ति दा फिल्म बना रहे हैं और उन्होंने उनसे पूछा भी नहीं क्योंकि राजेश खन्ना को शक्ति सामंत की ‘आराधना’ और ‘कटी पतंग’ जैसे फिल्मो ने स्थापित किया था और हिंदी फिल्म इंडस्ट्रीज़ का पहला सुपर स्टार बनाया था ….
कुछ दिन असमंजस में रहने के बाद आखिरकार राजेश खन्ना का धैर्य जवाब दे गया और वो सीधा शक्ति सामंत के घर पहुँच गए और उन्होंने शक्ति दा को टटोलना शुरू किया ………उन दिनों शक्ति दा कई साल से अधूरी फिल्म ‘जाने अंजाने’ पूरी करने के प्रयास में थे उन्होंने बातो बातो में काका को बता दिया उसके बाद वो ‘अमर प्रेम’ फिल्म बनाने जा रहे है जो एक बंगाली फिल्म का रीमेक है बस मुझे उपयुक्त नायक की तलाश है …….
काका ने तपाक से जवाब किया – मैं हूं न..शक्ति दा आप मुझे भूल क्यों गए ?
शक्ति दा ने राजेश को देखा और भी फिर व्यंग्य से हँसते हुए कहा …
”तुम्हारे पास वक्त कहां है ? तुम्हारी डायरी में डेट्स ही नहीं हैं और मैं नहीं चाहता किसी अन्य फिल्म निर्माता की तारीखे काट कर तुम मुझे दो और मैं उसकी उम्र भर लानतें लेता रहूं ”
राजेश खन्ना गहरी सोच में डूब गए उन्हें अच्छी तरह से पता था कि उनके पास डेट नहीं है अचानक काका को आईडिया सूझा वो उछल पड़े और बोले …
”शक्ति दा समस्या का हल मिल गया रात आठ बजे के बाद की ज़िंदगी मेरी है मैं रात को आपकी फिल्म मे काम करूँगा ”।
शक्ति दा ने राजेश से कहा …
सोच लो ये इतना आसान भी नहीं है जितना तुम सोच रहे हो दिन भर की शूटिंग के बाद जब तुम थके होंगे तो क्या मेरी फिल्म की शूटिंग कर पाओगे ? और दूसरी बात आज तुम्हारी छवि एक सूटेड-बूटेड रंगीन प्ले बॉय टाइप सुपर स्टार की है जो बाग बगीचों में पेड़ो से लिपटकर अपनी हीरोइन से रोमांस करता है जबकि मेरी फिल्म का नायक एक दम तुम्हारी इमेज से विपरीत है वो एक शादी-शुदा आदमी होते हुए भी घर जैसी ख़ुशी तलाशने के लिए बदनाम वेश्यालयों के चक्कर लगाता फिरता है क्या तुम्हारे फैन तुम्हे इस रोल में पसंद करेंगे ? यह तुम्हारे कॅरियर के लिए रिस्क भी हो सकता है ”।
राजेश खन्ना ने कुछ देर गंभीरता से सोचने के बाद कहा बस आप कुछ जरुरी इंतजाम कर दे मैं आपकी फिल्म में यह रोल जरूर करूँगा । शक्ति दा ने भी कुछ सोचा और हामी भर दी इस तरह से राजेश खन्ना को अमर प्रेम में ‘आनंद बाबू’ का रोल मिला और दुनिया जानती है कि ‘अमर प्रेम’ ही वो फ़िल्म है जिसे राजेश खन्ना को सुपरस्टार से अदाकार बनाया उन्होंने इस फिल्म में बेहतरीन अदाकारी की इसी फिल्म का संवाद ‘आई हेट टीयर्स, पुष्पा’ उनकी पहचान भी बना बाद में यह राजेश खन्ना का वो ‘सिग्नेचर डायलॉग ‘बन गया जिसने पूरे मुल्क को दीवाना बना दिया।
फिल्म में शर्मिला टैगोर ने एक अच्छे दिल वाली वेश्या की भूमिका की थी उसकी दोस्ती आनंद बाबू से हो जाती है बेटे सैफ अली खान के जन्म के बाद शर्मिला टैगोर द्वारा साइन की गई यह पहली फिल्म थी पफ स्लीव ब्लाउज़ जो पहली बार1950 के दशक में अभिनेत्री देविका रानी पहनती थी उन्हें शर्मिला टैगोर के किरदार पुष्पा द्वारा फिल्म के दौरान पहनने के बाद फिर से फैशन में ला दिया।
ये फिल्म पहले बंगाली में ‘निशी पद्मा-(1970)’ नाम से बनी थी उस फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई थी उत्तम कुमार जी और साबित्री चटर्जी ने उन्होंने विभूतिभूषण बंदोपाध्याय की बंगाली लघु कहानी ‘हिंगर कोचुरी’ पर आधारित दोनों फिल्मों की पटकथा लिखी थी बांग्ला भाषा में बनी ये फिल्म डायरेक्ट भी उन्होंने ने ही की थी ।
फिल्म की रिलीज से पहले दिल्ली में एक विशेष शो का आयोजन किया गया था जहां जनरल सैम मानेकशॉ ने कलाकारों को आमंत्रित किया था, हालांकि अगले दिन ब्लैकआउट की घोषणा कर दी गई, क्योंकि 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया था फिल्म को व्यावसायिक रूप से 28 जनवरी 1972 को रिलीज किया गया था ।
‘अमर प्रेम ‘को रिलीज़ हुए 52 वर्ष बीत गए आज ना तो शक्ति सामंत जीवित है और ना ही राजेश खन्ना लेकिन आज भी जेहन में यह सवाल उमड़ता है कि क्या ‘आनंद बाबू’ की भूमिका काका के सिवाय कोई अन्य अभिनेता कर सकता था….?….खासकर फिल्म की अंतिम कुछ रीलो में उनका जीवंत अभिनय देखकर यकीं करना मुश्किल होता कि यह ‘आराधना ‘वाले राजेश खन्ना है ..।