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स्त्री जगत जननी हैं इनसे ही जीवन है सृष्टि में इनसे बड़ा कोई नही-जया किशोरी जी

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सृष्टि में पुरूष कभी इतना बड़ा नही हुआ न कभी होगा कि वो स्त्री पर टिप्पणी कर सके सनातन धर्म के सबसे बड़े महापुरुष मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी कभी किसी स्त्री पर कोई टिप्पणी नही की आप वाल्मीकि रामायण देख लीजिए या रामचरित मानस देख लीजिए मंथरा कैकयी सूर्पनखा ऐसी अनेक परिस्थिति उत्पन्न हुई जब भगवान राम कुछ बोल सकते थे।

लेकिन वे जानते हैं ये जगतजननी हैं इनसे ही जीवन है इनसे बड़ा कोई नही है सनातन धर्म ऐसे वृतांतों से भरा पड़ा है जब भी किसी पुरूष सन्त महात्मा ने स्त्री पर टिप्पणी की तब तब उसका संतत्व का पुण्य नष्ट हुआ है उस पुरूष की दुर्गति हुई है पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है।

भगवान श्रीकृष्ण प्रेमी पूज्य जयाकिशोरी जी के किसी स्त्रीतव की किसी समस्या के विषय मे कही गई बात पर भारत भर के लगभग सभी पुरूष संत एक स्त्री पर टिप्पणी करने में संयम नही रख सके आखिर वे सभी सन्त भगवान राम व श्रीकृष्ण जी को छोड़ कर किस महापुरुष के अनुयायी बन गए हैं अगर वे राम व श्रीकृष्ण के अनुयायी हैं तो उन्होंने तत्काल श्री जया किशोरी जी से क्षमा मांग लेनी चाहिए क्योंकि पुरूष श्रेष्ठ कृष्ण की प्यारी को कोई कष्ट तनाव देगा तो भगवान सो गुना करके वापिस लौटाएंगे ।

रजस्वला स्त्री के विषय मे पराशर ऋषि ने लिखा है महीने के उन दिनों में स्त्री अस्पर्श्य होती है अस्पर्श्य लिखा है अछूत या अशुद्ध या अशुभ नही लिखा है और अस्पर्श्य लिखने के पीछे उनका उद्देश्य हो सकता है स्त्री को दर्द के उन दिनों में आराम देना हो परिश्रम व कठिन कार्यों को करने से बचाना हो ।

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