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जाने भारतीय क्रिकेट के लिए 12 अप्रैल का दिन क्यों है ऐतिहासिक

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भारतीय क्रिकेट के लिए 12 अप्रैल का दिन ऐतिहासिक है। क्योंकि इस दिन भारत ने क्लाइव लॉयड की वेस्टइंडीज के खिलाफ उस समय का रिकॉर्ड टारगेट हासिल कर टेस्ट मैच जीता था। सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ के शतकों की मदद से भारत ने 12 अप्रैल 1976 को पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाफ 400 से ज्यादा रनों के टारगेट को हासिल किया था। चौथी पारी में सबसे ज्यादा रन बनाकर टेस्ट जीतने के भारत के इस रिकॉर्ड को साल 2003 में वेस्टइंडीज ने तोड़ा था।

वेस्टइंडीज ने भारत के खिलाफ पहली पारी में 131 रनों की बढ़त हासिल की थी। इसके बाद वेस्टइंडीज ने दूसरी पारी 6 विकेट पर 271 रन बनाकर घोषित करते हुए भारत के सामने जीत के लिए 403 रनों का अंसभव सा लक्ष्य रखा था। लक्ष्य का पीछा करते हुए अंशुमन गायकवाड़ 28 रन बनाकर आउट हुए, इसके बाद गावस्कर ने मोहिंदर अमरनाथ के साथ दूसरे विकेट के लिए 108 रनों की साझेदारी की।

गावस्कर 102 रन बनाकर जुमादीन के शिकार बने। इसके बाद क्रीज पर उतरे विश्वनाथ ने मोहिंदर अमरनाथ के साथ तीसरे विकेट के लिए बड़ी शतकीय साझेदारी की। विश्वनाथ 112 रन बनाकर रन आउट हुए। उन्होंने मोहिंदर के साथ तीसरे विकेट के लिए 159 रन जोड़े।

मोहिंदर एक छोर पर संयमपूर्वक बल्लेबाजी कर रहे थे। मोहिंदर दुर्भाग्यशाली रहे कि शतक नहीं बना पाए। वे 440 गेंदों का सामना करने के बाद 85 रन बनाकर रन आउट होकर पैवेलियन लौटे। इसके बाद ब्रजेश पटेल (49 नाबाद) ने मदनलाल (1 नाबाद) के साथ जीत की औपचारिकताएं पूरी की। वेस्टइंडीज इस मैच में तीन स्पिनरों के साथ मैदान में उतरा था लेकिन आर जुमादिन, इम्तियाज अली और अल्बर्ट पद्मोरे ने निराशाजनक प्रदर्शन किया और वे दूसरी पारी में मात्र 2 विकेट ही ले पाए।

स्पिनरों ने इस टेस्ट मैच में कुल 21 विकेट लिए लेकिन तीन कैरेबियाई स्पिनर दोनों पारियों में कुल मिलाकर 5 विकेट ही ले पाए और यह वेस्टइंडीज की हार का प्रमुख कारण रहा। इसके बाद से क्लाइव लॉयड ने सिर्फ तेज गेंदबाजों पर भरोसा करना शुरू किया और वेस्टइंडीज का वैश्विक क्रिकेट में लंबे समय तक दबदबा रहा।

वेस्टइंडीज ने विवियन रिचर्ड्स के 177 रनों की मदद से पहली पारी में 359 रन बनाए थे जिसके जवाब में भारत की पहली पारी 228 रनों पर सिमट गई थी। मदनलाल ने सर्वाधिक 42 रन बनाए थे। इसके बाद विंडीज ने एल्विन कालीचरण के नाबाद शतक (103) की मदद से 6 विकेट पर 271 रन बनाकर पारी घोषित की और भारत ने सुनील गावस्कर (102) और गुंडप्पा विश्वनाथ (112) के शतकों से 4 विकेट खोकर 406 रन बनाते हुए टेस्ट जीता था।

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