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क्यों टूटी थी सलीम-जावेद की हिट जोड़ी, खुला 42 साल बाद राज

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‘शोले’, ‘दीवार’, ‘जंजीर’, ‘डॉन’, ‘हाथी मेरे साथी’ और ‘यादों की बारात’ जैसी कई फिल्मों में उन्होंने काम किया. राजेश खन्ना तो इस जोड़ी से खफा इसलिए भी हो गए, क्योंकि वो मानते थे कि उनकी लिखी फिल्मों से अमिताभ बच्चन चमके और उनका करियर बुरी तरह से डूब गया. साल 1982 में 12 साल बाद ये जोड़ी अलग हो गई।

हिंदी सिनेमा की वो लेखक जोड़ी जिन्होंने कई डूबते सितारों की किस्मत को जगा दिया. अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और जीतेंद्र जैसे दिग्गजों को उन्होंने स्टार बनाया. लेकिन, अचानक से फिर दोनों ने रास्ते अलग कर लिए और जोड़ी हमेशा के लिए टूट गई. इस जोड़ी के टूटने का कारण क्या था. हाल ही में पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने इस बात की खुलासा किया. उन्होंने बताया साथ में आई इस जोड़ी ने कैसे ऐतिहासिक फिल्में बनाई और फिर क्यों ये आखिर में टूट गई।

जावेद अख्तर ने इस बात की खुलासा किया कि आखिर क्यों दोनों के रास्ते बिखर गए. सलीम खान के साथ अलग पर जावेद अख्तर ने कहा कि लेखन साझेदारी को बनाए रखना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि वे एक मजबूत मानसिक तालमेल पर निर्भर करते है, जैसा कि मेरे और सलीम खान के बीच एक समय था।

उन्होंने आगे कहा कि सीमेंट फैक्ट्री में साझेदारी करना आसान है, क्योंकि आप जानते हैं कि सीमेंट बनाने की लागत क्या है? बाजार में कीमत क्या है? और यदि आप सभ्य लोग हैं तो आप अपने साझेदार के साथ औपचारिक संबंध रख सकते हैं और व्यवसाय जारी रह सकता है. लेकिन इसके विपरीत, लेखन में साझेदारी एक गेंद का खेल है. आपके पास कोई तराजू या तौलने की मशीन नहीं है, जिस पर आप एक दृश्य रख सकें और उसका वजन तय कर सकें, यह केवल महसूस करने की बात है.

किसी दृश्य को लेने और उसे पारस्परिक रूप से विकसित करने और इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कि यह अंतिम चीज है और यह अच्छा है, आपके पास जबरदस्त मानसिक तालमेल होना चाहिए. जब तक आपके पास जबरदस्त मानसिक तालमेल है तब तक आप लोग मिलकर काम कर सकते हैं. जिस क्षण वह तालमेल टूट जाता है या कमजोर हो जाता है, आप एक साथ काम नहीं कर सकते।

यह पूछे जाने पर कि उनका रिश्ता कैसे टूटा? जावेद अख्तर ने कहा कि जब वे सफल हो गए तो वे स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से दूर हो गए और उनके जीवन में और ज्यादा लोग आने लगे. अख्तर ने कहा, कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ, यहां तक कि क्रेडिट या पैसे को लेकर भी कोई झगड़ा नहीं हुआ।

उन्होंने आगे बताया कि जब हमने शुरुआत की थी, हम दोनों कोई नहीं थे, हम केवल एक-दूसरे के थे. इसलिए, हम एक साथ काफी समय बिताएंगे, समुद्र के किनारे बैठेंगे, कहानियों के बारे में बात करेंगे. वह मेरे कमरे में आता था, मेरे पास एक पेइंग गेस्ट रूम था, या मैं उसके घर में जाता था. लेकिन जब आप बड़े हो जाते हैं, ज्यादा सफल हो जाते हैं, तो आपके जीवन में कई और लोग आ जाते हैं. फिर वे सभी इच्छाएं जो सोई हुईं थीं, वे सभी रुचियां आपकी सोई थीं… फिर वो धीरे-धीरे उभरने लगती हैं।

तब आप अलग-अलग तरह के लोगों से मिलना शुरू करते हैं और फिर धीरे-धीरे आप अलग-अलग लोग बन जाते हैं और यही हुआ. हमने लड़ाई नहीं की, क्रेडिट को लेकर कोई मुद्दा नहीं था, पैसे को लेकर कभी कोई मुद्दा नहीं था, कुछ भी नहीं था. हम बस अलग हो गए. एहसास हुआ कि अब रिश्ते नहीं रहे, अब हम शाम को साथ नहीं बैठते, हमारे अपने दोस्त हैं. धीरे-धीरे ऐसा हुआ और तालमेल कमजोर हो गया और इसका असर हमारे काम पर भी पड़ रहा था और एक दिन हम अलग हो गए।

एक पुराने इंटरव्यू में सलीम खान ने जावेद से अलग होने को लेकर बात की थी. उन्होंने इसे एक्सपायरी डेट बताया था. उन्होंने बताया था कि एक शाम हम जावेद के घर के पास थे, जब जावेद ने मुझसे कहा कि वह अलग होना चाहता है, वह पिछले कुछ समय से इसके बारे में सोच रहे थे. मैं उठा, उनसे हाथ मिलाया और अपनी कार की ओर चलने लगा.

वह भी मेरे साथ चलने लगा, लेकिन मैंने उन्हें पकड़ लिया, अपने घर की ओर घुमाया और कहा, ‘मैं अपना ख्याल रख सकता हूं.’ मैं घर वापस आ गया और इस बारे में किसी को नहीं बताया. अगली शाम, टूटी हुई इस जोड़ी के बारे में पूछने के लिए कॉल आने लगीं. मैंने जावेद से पूछा कि क्या उसने किसी को बताया है, उसने कहा कि केवल कुछ दोस्तों को ही पता है. कुछ दिनों के बाद ही मैंने ही इस टूटी जोड़ी के बारे में बात कर दी।

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