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नदिया के पार फिल्म से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

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🎞️नदिया के पार फिल्म की 90 प्रतिशत शूटिंग जौनपुर के केराकत तहसील के विजयपुर और राजेपुर नामक गांवों में हुई।
राजश्री प्रोडक्शंस की सबसे सफल फिल्मों में से एक ” नदिया के पार” को लिखा और निर्देशित किया था गोविंद मूनिस जी ने और इसे महान संगीतकार “रविंद्र जैन” जी ने अपने संगीत से सजाया था।

केराकत ग्राम के स्थानीय निवासी बताते हैं कि फिल्म की शूटिंग लगभग डेढ़ से दो महीने तक चली। फिल्म की पूरी टीम उस गांव में ही लगभग डेढ़-दो महीनों तक रही। गाँव के स्थानीय निवासी बताते हैं कि फिल्म की पूरी शूटिंग के दौरान वहाँ पर हमेशा पुलिस तैनात रहती थी क्योंकि कभी-कभी शूटिंग देखने आयी भीड़ बेकाबू हो जाती थी और उन्हें कंट्रोल करने का काम पुलिस करती थी।

गांव के स्थानीय निवासी बताते हैं कि राजश्री प्रोडक्शंस के मालिक ताराचंद बड़जात्या ने गाँव के लोगो को उस दौर में फिल्म की शूटिंग करने के लिए 8 लाख रुपये भी देने की पेशकश की थी । मगर फिल्म के यूनिट मैनेजर रामजनक सिंह उसी गाँव के निवासी थे। उन्हें अपनी ही फिल्म कंपनी के मालिक से अपने ही गाँव में शूटिंग करने के लिये पैसे लेने का दिल नहीं था। इसीलिए उन्होंने फिल्म बनाने के लिए उनके गाँव की लोकेशन का इस्तेमाल करने के लिए एक भी रूपया नहीं लिया था।

फिल्म के होली वाले गीत “जोगी जी धीरे धीरे” के लिए कई बोरियां रंग और गुलाल मंगाए गए थे और गाने में दिख रहे ज्यादातर लोग वही के मूल निवासी थे। नदिया के पार फिल्म की भाषा अवधी और हिंदी मिश्रित है | फिल्म का नायक सचिन पिलगांवकर एक मराठी अभिनेता हैं और गायक जसपाल सिंह एक पंजाबी गायक हैं।

इस फिल्म में कुल 6 गाने हैं-

●जब तक पूरे न हों फेरे सात / हेमलता
●साँची कहें तोरे आवन से हमरे अगना / जसपाल सिंह
●कौन दिसा में लेके चला रे बटोहिया / हेमलता और जसपाल सिंह
●जोगी जी धीरे धीरे / हेमलता और जसपाल सिंह
●गुंजा रे चन्दन / सुरेश वाडकर और हेमलता
●जब तक पूरे न हों फेरे सात (sad) / हेमलता

इस फिल्म के गाने इतने कर्णप्रिय हैं कि कानों में अमृत घोल देते हैं। यकीन मानिये ! इन कालजई गानो के साथ आपकी यादों का कोई ना कोई खुबसूरत किस्सा जरूर जुड़ा होगा जिसे याद करके आप बीते हुए लम्हों में खो जाएंगे।

फिल्म की पूरी टीम का गांव के लोगों के साथ बहुत ही गहरा रिश्ता बन गया था। ऐसा कहा जाता है की जब फिल्म की शूटिंग खत्म हो गयी थी और फिल्म की टीम ® गाँव छोड़कर जा रही थी तो जाते हुए पुरे गाँव के लोग ही नहीं बल्कि फिल्म का पूरा स्टाफ गाँव के लोगों से बिछड़ने के दुःख में फूट-फूट के रोये थे।

जब ये फिल्म रिलीज हुई थी तब टिकट खिड़की पर घंटों खड़े होकर लोग इस फिल्म के टिकट के लिए मशक्कत करते थे। बैलगाड़ी भर-भर के लोग इस फिल्म को देखने जाया करते थे।

कम बजट में बनी इस फिल्म ने कई सिनेमाघरों में लगातार 100 हफ्ते चलकर कामयाबी के कई रिकॉर्ड बना दिए थे। लगभग 60-70 लाख के लागत से बनी इस फिल्म ने उस जमाने में लगभग 5 करोड़ रुपए की कमाई की थी, जो कि आज के परिवेश में कई सौ करोड़ के बराबर हैं।

फिल्म “नदिया के पार” की सफलता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि इसी कहानी पर “हम आपके हैं कौन” नाम से दोबारा एक फिल्म बनायी गयी। यह फिल्म भी सुपरहिट रही। नदिया के पार जहाँ ग्रामीण अंचल पर फिल्माई गई थी तो वहीं ‘हम आपके हैं कौन’ शहरी जीवन पर फिल्माई गई थी। जिसे बाद में “प्रेमलयम” नाम से तेलुगु में भी डब किया गया।

साधना सिंह के मुताबिक, गुंजा का किरदार लोगों को इतना पसंद आया था कि उस जमाने में कई बार तो लोग उन्हें देखते ही उनके पैर छूने लगते थे। उस दौर में जितनी भी लड़कियाँ पैदा हुई उन सबका नाम गुंजा ही रखा गया।

ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म को अक्सर लोग एक भोजपुरी फिल्म समझ बैठते हैं जबकि यह फिल्म हिंदी –अवधी मिश्रित भाषा की ही है। जिसे राजश्री प्रोडक्शंस बैनर तले फिल्मांया गया था। बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि ‘हम आपके हैं कौन’ फिल्म का टाइटल भी फिल्म ‘नदिया के पार’ में बोले गये एक संवाद से लिया गया है।

अभिनेता सचिन पिलगांवकर मूल रूप से मराठी फिल्मों के कलाकार हैं। जबकि आज भी कुछ लोग इन्हें भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता समझ बैठते हैं। नदिया के पार फिल्म को करने से पहले सचिन राजश्री प्रोडक्शन की ‘गीत गाता चल’ और ‘अंखियों के झरोखे से’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके थे।

इस फिल्म के सबसे चर्चित किरदार ‘नदिया के पार’ की नायिका गुंजा की तो इस किरदार को निभाया था अभिनेत्री “साधना सिंह” जी ने। इस किरदार में साधना सिंह इस कदर घुलमिल गयीं थीं हर किसी को यही लगता था कि साधना सिंह ग्रामीण पृष्ठभूमि से होगी। लेकिन आपको ताज्जुब होगा कि साधना सिंह एक पंजाबी शहरी परिवार से ताल्लुक रखती थीं।

हालांकि उन्होंने कभी ऐक्ट्रेस बनने का सोचा तक नहीं था, उन्हें संगीत में रूचि थी और उसी क्षेत्र में कुछ करना चाहती थी। साधना सिंह जी ने गुंजा के किरदार को इतना जीवंत कर दिया था कि आज भी बहुत लोग इन्हें गुंजा के नाम से ही पहचानते हैं।

इस फिल्म का संगीत दिया था जाने माने संगीतकार “रवींद्र जैन” जी ने और फिल्म के गीत भी उन्होंने ही लिखे थे। दोस्तों ताज्जुब की बात है कि रविन्द्र जैन जी जन्मांध थे, लेकिन इन्होंने जिस शिद्दत से इस फिल्म के गाने बनाये। उससे फिल्म की ख़ूबसूरती में चार चाँद लग गये।

फिल्म ‘नदिया के पार’ में एक और अहम किरदार था। वो किरदार था चंदन के बड़े भाई “ओमकार” का जिसे अभिनेता “इंदर ठाकुर” ने निभाया था। इंदर ठाकुर अपने ज़माने के मशहूर विलेन हीरालाल ठाकुर के बेटे थे।

दरअसल इंदर ठाकुर एक फैशन डिज़ाइनर और मॉडल भी थे, उन्होंने 1985 में न्यूयॉर्क शहर में वर्ल्ड मॉडलिंग एसोसिएशन सम्मेलन द्वारा आयोजित “अंतर्राष्ट्रीय फैशन डिजाइनर” का पुरस्कार जीता था। यात्रा से लौटते वक्त उनका विमान आतंकवादी बम धमाके का शिकार हो गया था। जिसमें सवार सभी 329 लोग मारे गए थे उनमें इंदर ठाकुर भी शामिल थे।

अंत में हम बस इतना ही कहना चाहेंगे की नदिया के पार फिल्म को बने आज लगभग 42 साल हो गये, मगर यह फिल्म आज भी चाहे जितनी बार भी देखा जाए मन नहीं भरता और आपको हर बार नयापन महसूस होगा।

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