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राजेश खन्ना का दौर खत्म हो गया लेकिन यादें अब भी हर किसी के जहन में है जिंदा

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राजेश खन्ना जिस समय अपनी मर्जी की फिल्म, अपनी मर्जी का डायरेक्टर और अपनी मर्जी का किरदार आजादी से चुन रहे थे उस समय अमिताभ बच्चन दो से तीन मिनट के रोल के लिए भी दर दर भटक रहे थे। राजेश खन्ना और जया भादुड़ी की फिल्म बावर्ची के दौरान अमिताभ बच्चन और जया अच्छे दोस्त बन गए थे जिसके चलते अमिताभ बच्चन हर दिन सैट पर उनसे मिलने पहुंच जाया करते थे।

इससे परेशान होकर राजेश खन्ना जया से कहा करते थे कि तुम इस लड़के से मत मिला करो इसका कुछ नहीं होने वाला तुम अपने करियर पर ध्यान दो। इसके जवाब में जया ने राजेश खन्ना को कहा था कि देखना एक दिन ये लड़का तुमसे भी बड़ा सुपरस्टार बनेगा। इन‌ सब बातों से अनजान अमिताभ बच्चन अपने हर कम को निष्ठा और लगन से करते जा रहे थे।

जिसे देखते हुए उन्हें आनंद फिल्म में राजेश खन्ना के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के दौरान मिली पहचान को देखते हुए अमिताभ बच्चन ने कहा था कि उनकी पहचान सिर्फ इसलिए है क्योंकि उन्होंने राजेश खन्ना के साथ काम किया है। धीरे धीरे समय बीतता रहा और अमिताभ बच्चन अपने समय पालन , काम के प्रति समर्पण से कई निर्माता और निर्देशकों के पसंदीदा बन गए ।

और राजेश खन्ना देर से आने वाली आदत से हर किसी की आंखों में खटकने लगे । साल 1973 में राजेश खन्ना के मना करने के बाद अमिताभ बच्चन को जंजीर फिल्म में काम करने का मौका मिला जिसने उनके करियर को पूरी तरह से बदल‌कर रख दिया । एंग्री यंग मैन के किरदार का हर संवाद लोगों की जुबान पर चढ़ गया था और सिनेमा के हर गली कूचे में अमिताभ बच्चन का नाम गूंजने लगा था।

इस फिल्म के बाद हर किसीने यह मान लिया था कि हिंदी सिनेमा को अपना अगला सुपरस्टार मिल गया है। इसी दौरान एक बार फिर अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना को फिल्म नमक हराम में साथ काम करने का मौका मिला। यह फिल्म देखने के बाद राजेश खन्ना ने भी कह दिया था कि अब मेरे तख्त का वारिस मुझे और फिल्म इंडस्ट्री को मिल गया है।

फिल्म प्रशंसकों और राजेश खन्ना की इस बात को अगले साल हुए फिल्म अवार्ड शोज ने भी सही साबित कर दिया । 1974 में आयोजित हुए फिल्म अवार्ड में बेस्ट एक्टर का अवार्ड ऋषि कपूर को मिला था जिसके लिए ऋषि कपूर ने कहा था कि वह अवार्ड उन्होंने खरीदा था। और उस अवार्ड पर अमिताभ बच्चन का ही हक था। इसके अलावा बेस्ट सुपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड अमिताभ बच्चन को मिला था।

यह बदलाव सिनेमा से बाहर आम लोगों के बीच भी देखा जाने लगा था। यहां तक कि नाईयों की दुकानों में राजेश खन्ना कट के लिए 2 रुपए और अमिताभ बच्चन कट के लिए साढ़े तीन रुपए लिए जाने लगे थे। जंजीर के बाद शोले और दीवार जैसी फिल्मों ने हिंदी सिनेमा में रोमांटिक फिल्मों का दौर खत्म कर दिया था।

उपर आका और नीचे काका के नारे लगाने वाले प्रोड्यूसरों की कतार अब धीरे धीरे राजेश खन्ना के दरवाजे से खत्म होने लगी थी। 1982 में वो मौका भी आया जब राजेश खन्ना ने अपनी आंखों से अपने स्टारडम को खुद से अलग होते हुए देखा । दरअसल 1982 में आई फिल्म शक्ति के मुहुर्त पर राजेश खन्ना को बुलाया गया था।

राजेश खन्ना के आते ही आसपास खड़े लोगों का हुजूम राजेश खन्ना के इर्द गिर्द जुट गया। लेकिन थोड़ी देर बाद जब अमिताभ बच्चन सैट पर आए तो राजेश खन्ना के पास खड़ा हर व्यक्ति ज्यों का त्यों बिना आटोग्राफ लिए अमिताभ बच्चन के पास चला गया। इसके घटना के बाद राजेश खन्ना अपने घर की बजाय अपने ऑफिस गए और कहा जाता है कि वह रात उन्होंने रोते हुए गुजारी थी।

इसी दौरान राजेश खन्ना अपनी निजी जिंदगी में भी कुछ ऐसे ही अनुभवों से गुजर रहे थे। डिम्पल कपाड़िया ने राजेश खन्ना को छोड़ दिया था, राजनीति में गए लेकिन वह सफर भी अच्छा साबित नही हुआ।

इसके बाद अमिताभ बच्चन ने भी 90’s के आखिरी सालों में अपने करियर को ढलान पर आते हुए देखा था। Abcl कम्पनी के का बंद होना और फिल्में ना मिलने की वजह से अमिताभ बच्चन भी निराश हो गए थे। लेकिन उन्होंने अपने अहंकार और स्टारडम को पीछे छोड़ कर फिर से काम मांगने का फैसला किया और यश चोपड़ा के पास गए जिन्होंने उन्हें मोहब्ब्ते फिल्म में काम करने का मौका दिया।

लेकिन राजेश खन्ना को अपनी पुरानी आदतों ने अब भी जकड़ रखा था जो उन्हें काम मांगने से मना कर रही थी। और उनकी इसी आदत के चलते मिस्टर इंडिया जैसी फिल्म से भी उन्हें हाथ धोना पड़ा था। इसके बाद राजेश की दिनचर्या का अधिकतर समय शराब के साथ गुजरने लगा । साल 2005 के दौरान राजेश खन्ना उस समय पुरी तरह से टुट गए थे।

जब उनके घर आशीर्वाद को इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने सील कर दिया था। इन सब बातों को देखते हुए राजेश खन्ना ने टीवी की दुनिया से वापसी करने का मन बनाया लेकिन उनकी एक शर्त थी कि उन्हें उतने रुपए मिलने चाहिए जितने अमिताभ बच्चन को केबीसी के लिए मिलते हैं। बीग बॉस ने उनकी इस शर्त को भी मान लिया था।

लेकिन अंतिम मौके पर अक्षय कुमार के कहने पर राजेश खन्ना ने बिग बॉस में जाने से मना कर दिया । इसके बाद राजेश खन्ना को वफ़ा जैसी फिल्मों और पंखे के विज्ञापन करते हुए देखा गया । भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार को बदहाली और बेचारगी में देखना काफी कष्टदायक था लेकिन यह रास्ता भी राजेश खन्ना ने खुद ही अपने लिए चुना था।

प्रशंसा और प्रशंसकों से घिरे रहने की लालसा और ज्यादा से ज्यादा काम करने की आदत उन्हें इस मोड़ पर लाई थी जहां उनके पास कुछ नहीं था। साल 2005 में फिल्मफेयर ने राजेश खन्ना को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के लिए चुना जिसे देने के लिए खुद अमिताभ बच्चन मौजूद थे। राजेश खन्ना का उस अवार्ड शो में दिए गए भाषण में वो बेचारगी और बेबसी साफ नजर आ रही थी।

18 जुलाई 2012 के दिन राजेश खन्ना अपनी तन्हा जिंदगी को छोड़कर इस दुनिया से विदा हो गए। एक अभिनेता ,जो ताउम्र सुपरस्टार रहा लेकिन इस बीच उन्होंने अर्श से फर्श तक का दर्दनाक सफर भी तय किया, अपनों को पराया बनते हुए भी देखा।

इज्जते ,शोहरतें ,चाहते ,उल्फते
कोई चीज इस दुनिया में रहती नहीं
आज मैं हूं जहां कल कोई और था
ये भी एक दौर है वो भी एक दौर था।

दौर खत्म हो गया लेकिन राजेश खन्ना की यादें अब भी हर किसी के जहन में जिंदा है और जब तक यादें जिंदा रहती है कलाकार भी जीवित होता है।

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