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जब दिलीप कुमार को नापसंद करने की बात कह कर इस हीरोइन ने तहलका मचा दिया था

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साल था 1958 । निर्देशक विजय भट्ट ने आशा पारेख नामक एक संघर्षरत अभिनेत्री को “गूंज उठी शहनाई” में लीड रोल के लिए कास्ट किया। इस फिल्म की एक-दो दिन शूटिंग होने के बाद अचानक विजय भट्ट ने ये कहकर आशा को निकाल दिया कि “तुम हीरोइन बनने के काबिल नहीं हो। “

आशा पारेख ने इसके बावजूद हार नही मानी । इसके कुछ समय पश्चात ही नासिर हुसैन ने आशा पारेख को अपनी फिल्म ‘दिल देके देखों’ में शम्मी कपूर के अपोजिट कास्ट किया । साल आया 1959। ये फिल्म रिलीज हुई और सुपर हिट हो गई। आशा पारेख का नाम ए ग्रेड की हीरोइन्स में शामिल हो गया ।

आशा ने अपने दौर में कई बड़े सितारों के साथ काम किया और कई हिट फिल्में भी दीं। लेकिन आशा पारेख ने अपने पूरे फिल्मी सफर में एक स्टार से हमेशा दूरी बनाए रखी और वो थे ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार।

दिलीप कुमार के साथ आशा पारेख ने एक भी फिल्म नहीं की । उस दौर में यह सवाल अक्सर पूछा जाता था कि आशा दिलीप कुमार के साथ काम करने के मिले मौकों को क्यों ठुकरा रही है ? तब भी इस बारे में इन दोनों की तरफ से कभी कोई रिएक्शन भी नहीं आया।

लेकिन कुछ साल पहले ही एक फिल्म फेस्टिवल समारोह में आशा पारेख ने सभी को ये कहकर चौंका दिया था कि वह दिलीप कुमार को कतई पसंद नहीं करती। आशा के दिलीप कुमार के नापसंद करने की बात ने तहलका मचा दिया था । आशा ने दिलीप कुमार के लिए ऐसा क्यों कहा ? यह बात आज तक राज है ।

हिन्दी सिनेमा की नायिकाओं में आशा पारेख की इमेज टॉम-बॉय की रही है। हमेशा चुलबुले, शरारती और नटखट अंदाज में रहती थी आशा । आशा के बारे में मीडिया में कभी अभद्र गॉसिप या स्केण्डल नहीं छपे। अलबत्ता आशा का साथ पाकर उनके नायकों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सिल्वर तथा गोल्डन जुबिली मनाती रहीं।

इसके बावजूद आशा को अभिनय के क्षेत्र में वह मान्यता तथा प्रतिष्ठा नहीं मिली जो नूतन, वहीदा रहमान, शर्मिला टैगौर अथवा वैजयंती माला को नसीब हुई थी। यह अफसोस आशा के मन में आज तक कायम है।

महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस 2 अक्टूबर 1942 को जन्मी आशा की मां सुधा सामाजिक कार्यकर्ता के अलावा आजादी के आंदोलन में भी सक्रिय थीं।

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