छोड़कर सामग्री पर जाएँ

एक ऐसा सिंगर जिसने फिल्मों मे न गाने की खाई थी कसम लेकिन प्रोड्यूसर ने मुंह मांगी रकम देकर गवा लिया गीत

टैग्स:
इस ख़बर को शेयर करें:

बड़े गुलाम अली खान को अपने समय का तानसेन कहा जाता था. उनके गानों से इंसान क्या, पशु-पंछी भी मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे. गुलाम साहब क्लासिकल गाते थे. लेकिन बता रहे हैं वो किस्सा जब उन्होंने बॉलीवुड की फिल्म के लिए गाना गाया था।

बॉलीवुड की बात आती है तो इसमें संगीत की दुनिया भी जुड़ जाती है. वैसे तो संगीत की दुनिया भी बहुत बड़ी है. कई सारी फिल्में ऐसी रही हैं जिनमें भर-भरकर गाने होते हैं. और इन गानों को गाने वाले सिंगर्स भी कई सारे हैं. लेकिन जब बॉलीवुड की बात आती है तो जिक्र 60-70 का होने लग जाता है. और इस दौर का जिक्र हो और किशोर, रफी, मुकेश का जिक्र न हो ऐसा भला कैसे हो सकता है. उस दौर के 90 पर्सेंट गाने तो इन्हीं तीनों सिंगर्स के हाथ लगते थे. लेकिन जब मुगल-ए-आजम फिल्म बनी थी उस दौरान गाने के लिए इन तीनों सिंगर्स की तुलना में एक अन्य सिंगर को अप्रोच किया गया. ये सिंगर कोई और नहीं बल्कि बड़े गुलाम अली खान थे।

दरअसल मुगल-ए-आजम फिल्म में कई सारे गाने थे. लेकिन कुछ गाने ऐसे थे जिन्हें तानसेन के स्टैंडर्ड से मैच करना था और इसलिए इस बात को लेकर काफी जद्दोजहद शुरू हो गई कि आखिर इन फिल्मों का गाना किन सिंगर्स से गवाया जाए. फिर परेशान के आसिफ अपनी परेशानी लिए संगीतकार नौशाद साहेब के पास पहुंचे और उनसे पूछा कि आखिर इस फिल्म के लिए किससे गाने गवाने चाहिए. नौशाद साहेब ने इसपर कहा कि आज के जमाने में जिसे तानसेन कहा जाता है उसे ही ये सॉन्ग्स गाने चाहिए. फिर के आसिफ ने पूछा किसे? तो नौशाद साहब ने कहा उस्ताद बड़े गुलाम अली खान. बस इसके बाद दोनों बड़े गुलाम अली खान के पास अपना ये प्रस्ताव लेकर पहुंच गए।

कैसे बनी बात?

नौशाद और के आसिफ मशहूर सिंगर बड़े गुलाम अली खान से मिलने के लिए उनके घर पहुंच गए. इस दौरान नौशाद साहब ने अपनी बात बड़े गुलाम अली खान के पास रखी और उन्होंने बड़ी विनम्रता से इस बात से इनकार कर दिया. लेकिन के आसिफ इसी बीच बोल उठे- गाना तो आपको गाना पड़ेगा. के आसिफ का ये अंदाज गुलाम अली साहब को जरा भी रास नहीं आया और उन्होंने नौशाद साहब से के आसिफ के बारे में पूछा कि ये शख्स कौन है जो ऐसे बात कर रहा है. फिर नौशाद साहब ने बताया कि वे बॉलीवुड के फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर हैं. लेकिन गुलाम साहब ने गाना गाने से मना कर दिया. उन्होंने ऐसा डायरेक्टली नहीं किया बल्कि फिल्म में एक गाना गाने के लिए 25 हजार रुपए मांग लिए. मतलब दो गाने के 50 हजार. ये सुनते ही नौशाद साहब को यकीन ही नहीं हुआ. मगर के आसिफ भी कहां मानने वाले थे।

रंग लाई आसिफ की ज़िद

बड़े गुलाम अली साहब को ऐसा लगा कि अब इतने रूपए तो के आसिफ दे नहीं पाएंगे और ऐसे में वे वापिस मुंबई चले जाएंगे. लेकिन सिगरेट की एक लंबी कश मारते हुए के आसिफ ने बड़े गुलाम अली खान की शर्त मान ली और उन्हें 10 हजार रुपए एडवांस भी दे दिए. बता दें कि ये वो दौर था जब लता-रफी जैसे सिंगर्स एक गाना गाने का 500 रुपए लिया करते थे. उस लिहाज से तो बड़े गुलाम अली खान ने जो रकम मांगी वो करीब 100 गुना ज्यादा थी. उस समय ये बहुत बड़ी बात थी. फिल्म की बात करें तो इसमें दिलीप कुमार और मधुबाला लीड रोल में थे. फिल्म ने बंपर कमाई की थी और इसका बजट भी बहुत ज्यादा था। और आज भी इस फिल्म की चर्चा होती है।

गणेश मुखी रूद्राक्ष पहने हुए व्यक्ति को मिलती है सभी क्षेत्रों में सफलता एलियन के कंकालों पर मैक्सिको के डॉक्टरों ने किया ये दावा सुबह खाली पेट अमृत है कच्चा लहसुन का सेवन श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में हुआ दर्ज महिला आरक्षण का श्रेय लेने की भाजपा और कांग्रेस में मची होड़