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आनंद फिल्म का मुरारी लाल – जॉनी वॉकर

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आनंद फिल्म का मुरारी याद है आपको? अरे वही जिसका असली नाम तो ईसा भाई सूरतवाला था। लेकिन राजेश खन्ना का किरदार आनंद उसे पहली मुलाकात में मुरारी कहकर पुकारता है। जी हां, अपने जॉनी वॉकर जी। आज आनंद फिल्म को रिलीज़ हुए 53 साल हो गए हैं। 12 मार्च 1971 को आनंद रिलीज़ हुई थी। तो इस मौके पर आपको जॉनी वॉकर जी का एक किस्सा बताता हूं जो इसी फिल्म यानि आनंद से जुड़ा है। और बढ़िया किस्सा है।

फिल्म के आखिर में जॉनी वॉकर यानि ईसा भाई आनंद से मिलने जाता है। ईसा भाई को नहीं पता कि आनंद को कैंसर हो गया है। ईसा भाई एक नाटक के लिए आनंद से मिलने आए हैं। यहां उन्हें बाबू मोशाय डॉक्टर भास्कर बनर्जी से पता चलता है कि आनंद को कैंसर हो गया है और वो आखिसी स्टेज पर है। ईसा भाई को बहुत बुरा लगता है। लेकिन फिर भी जब वो आनंद से मिलते हैं तो उसी गर्मजोशी से पेश आते हैं जैसे कि हमेशा आते हैं। यहां आनंद से वो हल्की-फुल्कि मज़ाकिया बातें करने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर खुद पर काबू नहीं रख पाते और बाहर आकर रोने लगते हैं। लेकिन रोते वाले उस सीन में जॉनी वॉकर यानि ईसा भाई सूरतवाला अपने मुंह को रुमा से छिपा लेता है। इस सीन से ही ये कहानी जुड़ी है।

जब इस सीन की शूटिंग चल रही थी तो जॉनी वॉकर जी ने ऋषिकेश मुखर्जी साहब से कहा,”क्यों ना ऐसा हो कि मैं जब रोते हुए कमरे से बाहर निकलूं और बेंच पर बैठूं तो अपना मुंह रुमाल से ढककर रोऊं?” ऋषि दा ने जॉनी वॉकर जी से पूछा कि उन्हें ये आईडिया क्यों और कैसे आया। तो जॉनी वॉकर साहब बोले,”ये फिल्म का क्लाइमैक्स है। लोग ये सीन देखकर रो उठेंगे। लेकिन मुझे डर है कि मुझ जैसे कॉमेडियन को रोता देखकर वो कहीं हंस ना दें।” ये बात ऋषि दा को भी समझ में आई। उन्हें भी लगा कि जॉनी वॉकर एकदम सही कह रहे हैं। लोग उन्हें रोते देखकर हंस सकते हैं। उन्होंने जॉनी वॉकर की सलाह को मानते हुए सीन को ऐसे ही शूट किया। अगर आप अब कभी आनंद देखें तो इस सीन पर गौर कीजिएगा। आपको ये कहानी ज़रूर याद आएगी।

साथियों ये किस्सा मुझे जॉनी वॉकर साहब के पुत्र और एक्टर नासिर खान जी के यू्टयूब वीडियो के माध्यम से पता चली है। वो अक्सर अपने चैनल पर जॉनी वॉकर साहब से जुड़ी बड़ी ही दुर्लभ और रोचक जानकारियां साझा करते रहते हैं। 

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