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इंडस्ट्री का सबसे डाउन टु अर्थ एक्टर – जैकी श्रॉफ

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मुंबई की तीन बत्ती चॉल में जन्मे जग्गू दादा उर्फ जैकी श्रॉफ आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। गरीबी का वो आलम था कि एक 10 बाय 10 के कमरे में 4 लोग गुजारा करते थे और कमाई का जरिया था मूंगफली बेचना और सड़कों पर पोस्टर चिपकाना।

जैकी कभी थिएटर के बाहर मूंगफली बेचते थे, कभी फिल्मों के पोस्टर चिपकाते थे। एक दिन बस स्टैंड पर एक आदमी ने इन्हें देखा और कहा मॉडलिंग करोगे क्या? जैकी ने सवाल के बदले सवाल पूछा- पैसे दोगे क्या? इन दो सवालों में हुई बातचीत ने चॉल के मामूली लड़के को बॉलीवुड का स्टार बना दिया।

फिल्मों में आने के बाद भी जैकी ने अपना ठिकाना नहीं बदला। सेट पर जाने के लिए भी वो चॉल के बाथरूम में घंटों लाइन में खड़े रहते थे, जहां 30 लोगों के बीच सिर्फ 3 ही बाथरूम थे। बड़े-बड़े प्रोड्यूसर चॉल, तो कभी बाथरूम के बाहर खड़े उनका इंतजार करते थे।

आज उनका ठिकाना तो बदल चुका है, लेकिन जैकी कहते हैं कि उन्हें सुकून की नींद चॉल में ही आती है। जैकी को इंडस्ट्री का सबसे डाउन टु अर्थ एक्टर कहना गलत नहीं होगा। जहां जाते हैं हाथ में पौधा होता है, चाहे कोई नामी अवॉर्ड फंक्शन हो, या राम मंदिर का उद्घाटन। कभी पुराने दिनों को याद करने के लिए घंटों चॉल के 10 बाय 10 के कमरे में रहने जाते हैं, तो कभी पुराने लोगों से मुलाकात करते हैं। चॉल के जग्गू दादा, लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। कोई मदद का मोहताज न रहे, इसलिए उन्होंने भिखारियों को अपना पर्सनल नंबर दे रखा है।

कहानी शुरू होती है, बॉम्बे से। 1 फरवरी 1957 को जैकी श्रॉफ का जन्म तीन बत्ती चॉल में हुआ। इसी चॉल में उनके मां-बाप रीटा और काकूभाई की प्रेम कहानी भी शुरू हुई थी। दरअसल, 1936 के आसपास कजाकिस्तान में हुए तख्तापलट के बीच 10 साल की रीटा 7 भाई-बहनों और मां के साथ, जान बचाकर पहले लाहौर फिर दिल्ली आ पहुंची थीं। कुछ समय बाद उनका परिवार दिल्ली से बॉम्बे आ पहुंचा। पैसे नहीं थे, तो पूरा परिवार तंगहाली में तीन बत्ती चॉल में ही आकर बस गया। वहीं दूसरी तरफ रईस परिवार में जन्मे काकूभाई, शेयर मार्केट में पैसे डूबने से गरीबी की मार झेलकर चॉल में रहने आ गए।

तीन बत्ती चॉल में रीटा और काकूभाई की मुलाकात हुई और दोनों ने शादी कर ली। इस शादी से कपल को दो बेटे हुए। चार लोगों का परिवार चॉल की एक छोटी सी खोली में रहता था। 7 खोलियों में 30 लोगों के बीच सिर्फ 3 ही बाथरूम हुआ करते थे, जिनमें रोजाना लंबी कतारों में लोग खड़े रहते थे।

चॉल में हर साल बड़ी धूमधाम से दिवाली मनाई जाती थी। दीये जलाए जाते थे और पटाखों से पूरा चॉल जगमगा उठता था, लेकिन जैकी को पटाखों से खूब डर लगता था। वो छिपने के लिए बिस्तर के नीचे घुस जाया करते थे। ऐसे में जब मां जैकी को परेशान होते देखती थीं, तो पड़ोस के बच्चों की पिटाई कर दिया करती थीं।

जैकी श्रॉफ के बड़े भाई उनसे 7 साल बड़े थे। तीन बत्ती इलाके में उनके नाम का सिक्का चलता था। जब भी किसी को कोई दिक्कत होती थी, तो वो सीधे जैकी के बड़े भाई के पास आकर शिकायत करता था और वो उनकी परेशानियां सॉल्व करते थे। आसपास के इलाके के लोग उन्हें दादा कहकर बुलाते थे।

1967 में उनके भाई को एक नौकरी मिल गई। परिवार को लगा ही था कि अब उनकी गरीबी दूर हो जाएगी, लेकिन एक हादसे से सब बर्बाद हो गया। दरअसल, जैकी के भाई अपने एक दोस्त को बचाने के लिए समुद्र में कूद गए थे, जबकि उन्हें खुद तैरना नहीं आता था। ये मंजर 10 साल के जैकी ने देखा था, जिससे वो बुरी तरह टूट गए थे। भाई की मौत के बाद वो खुद चॉल के जग्गू दादा बनकर लोगों की मदद करने लगे।

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