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कैसेट किंग गुलशन कुमार के छोटे भाई एक्टर कृष्ण कुमार के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक ही वो गुमनाम हो गए? क्या आप जानते हैं कि एक खौफनाक घटना उनका करियर ले डूबी ?
90 के दशक का वो हीरो आपको याद है? लोगों ने जिसे किशन कुमार भी कहा. 1993 में आई फिल्म ‘आजा मेरी जान’ से अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद इसी साल एक्टर की दो फिल्में और रिलीज हुई ‘कसम तेरी कसम’ और ‘शबनम’ और फिर ये कलाकार रातों-रात स्टार बन गया।
अब तो हर टूटे दिल वाला आशिक उनकी फिल्म के कैसेट्स लेकर घूमा करता था. लेकिन आखिर उनके साथ ऐसा क्या हुआ कि अचानक ही वह एक्टर गुमनाम हो गया? क्या आप जानते हैं कि एक खौफनाक घटना उनका चढ़ता कैरियर ले डूबी थी? आज आपको गुलशन कुमार के छोटे भाई की कहानी बताते हैं।
दिल्ली के दरियागंज इलाके में रहने वाले चंद्रभान कुमार दुआ फलों की जूस की दुकान लगाया करते थे. इनके दो बेटे हुए बड़ा बेटा गुलशन कुमार दुआ और छोटा बेटा कृष्ण कुमार दुआ. गुलशन थोड़ा बड़े हुए तो घर की तंगी संभालने के लिए पिता के साथ जूस बेचने लगे. तब उनका छोटा भाई कृष्ण कुमार पढ़ाई कर रहे था.
पापा से जब कहा था, ‘मैं मुंबई जा रहा हूं, हीरो बनने के लिए…’गुलशन भले ही तब रोड पर जूस बेचने का काम करते थे, लेकिन उनके सपने बड़े थे. उनका सपना था कि मुंबई जाकर वो भी एक्टर बनें. एक दिन उन्होंने अपने पिता से कहा, ‘मैं मुंबई जा रहा हूं, हीरो बनने के लिए…’. इसके बाद वे मायानगरी चल दिए. एक हफ्ते गुरुद्वारे में उन्होंने बिताए और धक्के खाने के बाद समझ आ गया नए चेहरों को यहां मौके मिलना बहुत मुश्किल है. वापस दिल्ली लौटे तो जूस बेचने का काम शुरू कर दिया।
गुलशन भले मुंबई से लौट आए थे, लेकिन सपने उनके बड़े थे. मन में कुछ बड़ा करने का सपना अभी भी चल रहा था. उनको गाने सुनने का बहुत शौक था लेकिन कैसेट्स उस जमाने में बहुत महंगे मिलते थे. गुलशन का दिमाग बस यही काम कर गया और उन्होंने कैसेट्स की एक दुकान खोली. शुरुआत में सस्ती कैसेट्स वो बेचने लगे. लोगों को सस्ते कैसेट्स मिलने लगे और उनका काम थोड़ा चल पड़ा।
इसके बाद उन्हें एक और आइडिया आया और उन्होंने ये तिगड़म लगाया कि क्यों ना महंगी कैसेट्स के गानों को डब करके सस्ते में बेचा जाए. इसके बाद उन्होंने एक कंपनी बनाई इसका नाम उन्होंने रखा सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज और डबिंग कैसेट्स बेचना शुरू कर दिया. किस्मत ने खूब साथ दिया. भाई कृष्ण कुमार भी लक्ष्मण की तरह बड़े भाई के साथ संघर्ष में चलता गया. काम चला तो उन्होंने मुंबई जाने का फैसला लिया.
मुंबई आने के बाद उन्होंने कंपनी का नाम बदलने का फैसला किया.
गुलशन कुमार भगवान शिव के बड़े भक्त थे. इसलिए उन्होंने उनके त्रिशूल शब्द से T लेकर और 1983 में कंपनी का नाम टी-सीरीज रख दिया. पहली बार उनकी कंपनी को बड़ी कामयाबी 1988 में तब मिली, जब फिल्म आई ‘कयामत से कयामत तक’ इसके साउंडट्रेक टी-सीरीज ने हीं बनाए थे.
रातो-रात गाने सुपरहिट हो गए और टी-सीरीज देश की मशहूर कंपनी में से एक हो गई. इसके बाद अनुराधा पौडवाल से लेकर गुलशन कुमार के भक्ति गीत टी-सीरीज की कैसेट्स पूरी देश में जाने लगे. अब पैसा आने लगे तो उन्होंने फिल्मों में भी पैसा लगाना शुरू कर दिया. 1990 में बतौर प्रोड्यूसर उन्होंने फिल्म ‘आशिकी’ ने बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी कमाई की.
इसके बाद उन्होंने अपना दूसरा सपना पूरा करने का फैसला किया. खुद तो वो एक्टर नहीं बन सके, लेकिन उन्होंने भाई को सुपरस्टार बनाने की ठान ली थी. पैसों की कमी नहीं थी, इसलिए खुद प्रोड्यूसर बनकर उन्होंने अपने भाई कृष्ण कुमार को लॉन्च किया. 1991 के आसपास की बात है जब मशहूर डायरेक्टर केतन आनंद को रखा गया. फिल्म में शम्मी कपूर, प्राण जैसे दिग्गजों को महंगी फीस देकर फिल्म में रखा गया.
1993 में फिल्म ‘आई आजा मेरी जान’ पहली बार छोटे भाई कृष्ण कुमार को उन्होंने लॉन्च किया. फिल्म पूरी तरह से पिट गई थी, लेकिन गुलशन ने पहले से ही इसका बैकअप प्लान तैयार कर रखा था. उन्होंने दूसरी फिल्म की शूटिंग भी साथ-साथ करवाई थी. 1993 में भाई को दूसरी बार हीरो बनाकर लाए, फिल्म थी ‘कसम तेरी कसम’ कृष्ण कुमार की एक्टिंग उस दौर के एक्टर से मैच नहीं कर पाई और ये फिल्म भी फ्लॉप हो गई।
भाई को अब कैसे सुपरस्टार बनाया जाए? इस बार उन्होंने वह तिगड़म बिड़ाया, जिसके लिए वो मशहूर थे. क्यों न म्यूजिकल हिट फिल्म बनाई जाए, जिससे भाई की एक्टिंग में जो कमी है वो छिप जाए और फिल्म भी चल पड़े।
उन्होंने इंडस्ट्री के दिग्गज संगीतकारों को इकट्ठा किया और अनुराधा पौडवाल,सोनू निगम और उदित नारायण जैसे सिंगर से फिल्म के गाने गवाए. उन्होंने इस फिल्म को सिर्फ प्रोड्यूस ही नहीं किया बल्कि डायरेक्शन भी किया. कृष्ण कुमार के साथ शिल्पा शिरोडकर की जोड़ी बनाई गई।
एक से बढ़कर एक गीतों से सजी फिल्म 1995 में आई जिसका नाम था ‘बेवफा सनम’. लेकिन फिल्म की रिलीज से पहले ही गानों की कैसेट्स बाजार में उतार दी गईं. ऐसा लगा जैसे 90 के दौर के आशिक इसी कैसेट का इंतजार कर रहे थे बाजार में गानों की कैसेट आते ही कोहराम मच गया था।
ब्लॉकबस्टर साबित हुई फिल्म ‘बेवफा सनम’
फिल्म रिलीज होने से पहले गानों ने ऐसा समा बांधा कि लोग फिल्म देखने सिनेमा घर पहुंचने लगे. गुलशन कुमार का आइडिया चल निकला. फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई. फिल्म ने दो कलाकारों को रातों-रात स्टार बना दिया. पहले थे गायक सोनू निगम और दूसरे कृष्ण कुमार. सफलता मिलने के बाद कृष्ण कुमार भी अब बड़े सपने देखने लगे थे, लेकिन अचानक एक दर्दनाक घटना घटी और कृष्ण कुमार का पूरा करियर एक झटके में डूब गया।
कैसे अचानक एक्टर हो गया गुमनाम‘बेवफा सनम’ के बाद कृष्ण कुमार के लिए गुलशन कुमार अगले प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे कि अचानक एक दर्दनाक घटना घटी. 12 अगस्त 1997 के दिन गुलशन कुमार की हत्या हो गई।
पूरा बॉलीवुड इस हत्याकांड से दहशत में आ गया. कृष्ण कुमार को खबर मिली तो वो सदमे में चले गए. 41 साल के पिता समान जैसा भाई अब नहीं रहा. जो भाई अपने छोटे भाई को बड़ा स्टार बनाने जा रहा था वो दुनिया से जा चुका था. गुलशन कुमार के बच्चे छोटे थे और पूरी टी-सीरीज कंपनी को कोई संभालने वाला नहीं था. कृष्ण कुमार को बहुत बड़ा फैसला लेना पड़ा।
गुलशन की मौत के बाद उन्होंने बॉलीवुड स्टार बनने का सपना छोड़ दिया और भाई के बच्चों लालन-पालन की जिम्मेदारी उठा ली. एक्टिंग की दुनिया से उन्होंने फिर दूरी बना ली और परिवार की जिम्मेदारियों में लग गए. इस घटना ने कृष्ण कुमार को एक झटके में गुमनाम कर दिया और उनका सपना टूट गया. कृष्ण कुमार की निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने ‘आजा मेरी जान’ में रहीं अभिनेत्री तान्या सिंह से शादी कर ली थी. दोनों की एक बेटी है, जिसका नाम दिशा है.।