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क्या पीपीएफ टैक्स फ्री है?

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आयकर अधिनियम की धारा 80सी, पीपीएफ, ईपीएफ, एलआईसी प्रीमियम, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम, होम लोन के लिए मूल राशि का भुगतान, संपत्ति की खरीद के लिए स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क, सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) में किए गए निवेश के लिए कटौती की अनुमति देता है।

सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (एससीएसएस), यूलिप, 5 साल के लिए टैक्स सेविंग एफडी, इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड आदि। यही नहीं, PPF पर मिलने वाला व्याज सार्वजनिक भविष्य निधि में निवेश के कारण अर्जित ब्याज आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(11) के तहत पूरी तरह से मुक्त है, तो इस प्रकार प्रश्न का जवाब होगा हाँ PPF में निवेश के साथ साथ मिलने वाली व्याज की रकम भी आयकर से मुक्त है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड
टैक्स बचाने का प्रचलित जरिया सार्वजनिक भविष्य निधि यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड हैं. यह EEE कैटेगरी में आता है. EEE में तिहरा टैक्स बचत होता है. इसमें निवेशक को इन्वेस्टमेंट, ब्याज की इनकम और टैक्स फ्री रकम का फायदा मिलता है. पीपीएफ में आयकर के सेक्शन 80C के तहत टैक्स का फायदा मिलता है. यहां आपको 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का फायदा मिलता है.

क्या हैं नुकसान
पब्लिक प्रोविडेंट फंड में कम लिक्विडिटी है. इसमें पैसे की निकासी सातवें साल में ही हो सकती है. लोन आवेदन 3-6 साल में दे सकते हैं. इसमें महंगाई को मात देने वाला इन्वेस्टमेंट ऑप्शन नहीं है. इसमें सरकार हर 3 महीने में ब्याज की समीक्षा करती है. ब्याज दरें सरकारी बॉन्ड यील्ड के आधार पर तय होती हैं. इस समय PPF की मौजूदा ब्याज दर 7.90 फीसदी है.

PPF में योगदान
– न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं.
– अब साल में कई बार कर सकते हैं PPF में योगदान.
– एक महीने में 1 से ज्यादा किश्त जमा कर सकते हैं.
– पहले एकमुश्त या 1 ही किश्त जमा कर सकते थे.
– PPF खुलवाने के लिए फॉर्म A के बजाए फार्म 1 का इस्तेमाल करें.

योगदान में डिफॉल्ट
– वित्त वर्ष में 500 रुपये जमा करना जरूरी.
– न्यूनतम राशि नहीं जमा की तो अकाउंट बंद हो जाएगा.
– ऐसे में लोन आवेदन या रकम निकासी की भी इजाजत नहीं.
– हर साल के 50+500 रुपये की न्यूनतम राशि से अकाउंट फिर खोल सकते हैं.

एक्सटेंशन नियम
– PPF का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल है.
– मैच्योरिटी के बाद भी PPF एक्सटेंशन संभव.
– अवधि 5 साल के लिए और बढ़ाई जा सकती है.
– डिपॉजिट के साथ PPF रखने के लिए फॉर्म 4 भरना जरूरी.
– मैच्योरिटी अवधि पूरा होने के 1 साल के अंदर 1 डिपॉजिट जरूरी.
– मैच्योरिटी के बाद भी खाते को बगैर जमा के जारी रखना संभव.
– बगैर डिपॉजिट खाते से वित्त वर्ष में 1 बार विदड्रॉल संभव.

प्रीमैच्योर क्लोजर नियम
– पता बदलने पर मैच्योर होने से पहले बंद कर सकेंगे खाता
– PPF खाता प्रीमैच्योर स्टेटस में भी बंद कर सकते हैं
– पासपोर्ट, वीजा की कॉपी, ITR का डीटेल देना जरूरी
– पहले कुछ खास वजहों में ही खाता बंद करने का प्रावधान था
– खाते खोलने के 5 साल बाद ही बंद कर सकते हैं
– अपने, परिवार के मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए प्रावधान
– अपने या बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए संभव
– प्रीमैच्योर खाता बंद करने के लिए जरूरी दस्तावेज दिखाएं

निकासी के नियम
– रकम निकासी सिर्फ मैच्योरिटी पर संभव
– कुछ विशेष स्थिति में आंशिक निकासी का प्रावधान
– निवेश करने के सातवें साल में 1 बार रकम निकाल सकते हैं
– चौथे साल तक बैलेंस राशि के 50% तक निकासी संभव

लोन पर घटी ब्याज दर
– PPF पर लोन लेने की भी सुविधा मिलती है
– खाता खोलने के तीसरे से छठे साल के बीच लोन ले सकते हैं
– PPF बैलेंस के बदले लिए गए लोन पर पहले ब्याज दर 2% था
– अब PPF लोन पर ब्याज दर घटकर 1% कर दी गई है
– PPF खाताधारक लोन को 36 महीनों के भीतर लौटा सकता है
– समय पर लोन न लौटाने पर 6% की दर से ब्याज लगेगा

कौन खोल सकता है अकाउंट
पीपीएफ खाता देश का कोई भी नागरिक खोल सकता है. नाबालिग के नाम पर PPF खोल सकते हैं. आप संयुक्त अकाउंट भी खोल सकते हैं. एक नाम पर एक ही अकाउंट खोल सकते हैं.

बजट 2021 में प्रोविडेंट फंड में 2.5 लाख रुपये से ज्‍यादा के कॉन्ट्रिब्‍यूशन की रकम से मिले ब्‍याज पर टैक्‍स लगाने का प्रस्‍ताव किया गया। इसने काफी उलझन पैदा कर दी है. मोटे तौर पर लगता है कि कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ), वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ) के साथ पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में मिलाकर किए गए कॉन्ट्रिब्‍यूशन से मिले ब्‍याज पर टैक्‍स लागू होगा। लेकिन, ऐसा नहीं है. 2.5 लाख रूपये की सीमा कैलकुलेट करने के लिए पीपीएफ और ईपीएफ/वीपीएफ के कॉन्ट्रिब्‍यूशन को मिलाकर नहीं देखा जाएगा।

ईपीएफ और वीपीएफ में कॉन्ट्रिब्‍यूशन के मामले में इन दोनों में कमाए गए ब्‍याज पर टैक्‍स छूट का फायदा उठाने के लिए कुल कॉन्ट्रिब्‍यूशन 2.5 लाख रुपये से ज्‍यादा नहीं होना चाहिए। अगर कर्मचारी का ईपीएफ और वीपीएफ में मिलाकर कुल कॉन्ट्रिब्‍यूशन किसी वित्‍त वर्ष के दौरान 2.5 लाख रुपये से ज्‍यादा हुआ तो अतिरिक्त कॉन्ट्रिब्‍यूशन पर अर्जित ब्‍याज पर कर्मचारी को टैक्‍स देना होगा। नए टैक्‍स नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू।

यानी अगर कोई साल में पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये कॉन्ट्रिब्‍यूट करता है, वहीं ईपीएफ में 3 लाख रुपये का निवेश किया जाता है तो सिर्फ 50,000 रुपये (ईपीएफ में 2.5 लाख रुपये से ज्‍यादा) के ब्‍याज पर टैक्‍स लगेगा। न कि 2 लाख के ब्‍याज पर जो इस मामले में पीपीएफ और ईपीएफ को मिलाकर 2.5 लाख रुपये की सीमा से ज्‍यादा है।

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