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इनकम टैक्स कैसे बचाएं?

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इस आर्टिकल में इनकम टैक्स बचाने के नियम की बात कर रहा हूँ जो आम लोग नहीं जानते, कि ऐसी तरकीब बताई जाय, जिससे आयकर बचाई जा सके। एक आम आदमी जिसे आयकर की अधिक समझ नहीं, नौकरी पेशा हो या व्यवसायी, उसे भी साधारणतया, 80C के छूट की जानकारी होती है।

इनकम टैक्स रिटर्न क्या है?

इनकम टैक्स रिटर्न जिसे आयकर रिटर्न भी कहते है असल में आपकी पूरे साल की आमदनी और खर्च का ब्यौरा होता है जिसकी जानकारी आप सरकार को देते हैं| ITR के जरिये आप ने बीते वित् वर्ष में अपनी नौकरी, कारोबार या किसी अन्य साधन के जरिये कितनी कमाई की और कितना निवेश किया इत्यादि का विस्तार केंद्र सरकार या आयकर विभाग को बताते हैं| कई लोगो में यह गलत धारणा बनी हुई की इनकम टैक्स रिटर्न का मतलब सरकार को टैक्स चुकाना है| जबकि देश के कानून के हिसाब से देश के हर व्यक्ति तो इनकम टैक्स भरना बोहोत जरुरी है| इनकम टैक्स रिटर्न भरने से खुद का ही फ़ायदा होता है| अगर आप नियमित रूप से ITR भरते है तो यह आपकी आमदनी का एक दस्तावेजी सबूत बन जाता है| जब आप विदेश जाने के लिए वीसा अप्लाई करते हैं या बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो इनकम टैक्स रिटर्न दिखाना जरुरी होता है| ITR आपकी आय का एक भरोसेमन स्रोत मन जाता है|

कम से कम: PPF , NSC जमा, PF, पोस्ट ऑफिस जमा, ५ वर्षीय सावधि जमा जो आयकर में छूट के लिए बनवायी जाती है, ट्यूशन फी, जीवन बीमा, होम लोन की इन्स्टालमेन्ट में मूल धन की रकम, आदि में कुल १.५ लाख तक की छूट – Section 80C

  • मेडिक्लेम – Section 80D,
  • घर लेने के लिए, लिए लोन पर २ लाख तक की छूट – Section 24b,
  • सुकन्या समृद्धि योजना में जमा,
  • NPS में ५०,००० तक की छूट – Section 80CCD(1B)
  • चैरिटेबल ट्रस्ट में योगदान पर ५०% / १००% तक की छूट – Section 80G मिलती है।

इसके अलावा वैतनिक अर्जन करने वाले कर्मचारियों को सैलरी में अनेक प्रकार के छूट मिलते हैं जिनकी गणना आपका नियोक्ता करता है। इसलिए, कुल मिला कर आपको इन सब की चिंता नहीं करनी पड़ती। लेकिन, ये सब लिखने के लिए हमने ये जवाब लिखना नहीं चुना। हम कोशिश करेंगे कि वास्तव में हम आपको वो तरकीब बताएं जससे आप इन सब के परे आयकर में छूट पा सकें।

वस्तुतः, आयकर में छूट पाने के लिए सीमित विकल्प मौजूद हैं, जिनका जिक्र उपरोक्त अंश में हम कर चुके हैं। इसलिए ये आसान नहीं कि इनके ऊपर भी आप आयकर बचाने के उपाय सोच सकें। लेकिन, आयकर की धाराओं में फिर भी कुछ धारा ऐसी हैं जिनका लाभ लेना सम्भव है और जो साधारण लोगों की जानकारी में नहीं होती।

  1. अगर आप भाड़े के घर में रहते हैं तो आपको घर भाड़े पर छूट मिलती है। लेकिन साथ हीं आपको घर भाड़ा भी चुकाना पड़ता है। कर कोई धन का लाभ प्रत्यक्ष तौर पर नहीं होता। लेकिन थोड़ी योजनाबद्ध तरीके से काम करने पर आप दोहरा लाभ कमा सकते हैं।

मान लीजिये कि आप घर का भाड़ा मासिक १५,००० चुकाते हैं। अगर न्य घर लिया तो कुल ३० लाख तक की रकम का निवेश होगा। एक बार २०% रकम अपने बचत से आपने चुका कर बाकी की रकम बैंक से लोन लेकर घर खरीद लिया तो आप को निम्न स्थिति मिलेगी।

  • आपको घर भाड़ा से बचत होगी : १५,००० मासिक
  • आपके लोन की EMI होगी : कोई १८,६०० मासिक की इन्स्टालमेन्ट आएगी।
  • घर की रजिस्ट्री पत्नी के नाम करिये।

घर की मालकिन पत्नी होगी और आप उस घर पर घर का भाड़ा अपनी कंपनी को बताइये कि आप अपनी पत्नी को चुकाते हैं, जिसकी पावती बना कर पूरी रकम की छूट ले सकते हैं, पूर्ववत। थोड़ा EMI अधिक होगा लेकिन, कालांतर में एक आवधिक एक बाद पूरा घर आपका होगा वो भी बिना किसी अतिरिक्त निवेश के।

2. पूंजीगत आय के बारे में सभी जानते हैं। मगर इसकी धारा जटिल होती है, इसलिए अधिक विस्तार से कोई नहीं समझना चाहता। पिछले साल वित्त मंत्री ने दीर्घावधि पूंजीगत आय, जिस पर पहले कोई आयकर देय नहीं था, एक लाख तक की छूट के बाद की आय पर १०% की दर से आयकर लगाने की घोषणा की जो कि शेयरों की खरीद बिक्री से हुए लाभ पर लागु है। यद् रखिये कि दीर्घावधि पूंजीगत लाभ, किसी भी शेयर को खरीदने के एक वर्ष तक रखने के बाद हीं बेचने पर उपलब्ध है।

इसके पहले बेच क्र लाभ अर्जन कर लेने के बाद यह अल्पावधि पूंजीगत लाभ की श्रेणी में आता है जो १५% की दर से आयकर में कर के लिए योग्य है। इसलिए आपकी योजना इस तरह होनी चाहिए कि आपको आयकर की इस धारा का अधिकतम लाभ मिले।

अल्पावधि लाभ पर आयकर चुकाने से बचने के लिए आप को किसी भी शेयर को खरीदने के एक वर्ष के भीतर उन शेयरों को बेचना होगा और हानि बुक करनी होगी जिन पर आपको नुकसान है। इसलिए एक साल की अवधि होने के पहले हानि वाले शेयर को बेच कर नुकसान लेना उचित है जिससे अल्पावधि लाभ को नुकसान से एडजस्ट किया जा सके और कर के दायित्व से बचा जा सके। और दीर्घावधि लाभ की रकम एक लाख तक रखा जाय जिससे कर का दायित्व नहीं आये। और अगर आती भी है तो १०० रूपये के लाभ पर १० रूपये आयकर देना कोई नुकसान का सौदा नहीं।

(शेयर बाजार में कुछ शेयर पर लाभ होता है तो कुछ शेयर पर नुकसान भी। जिनपर लाभ होता है, उस पर कर की देनदारी बनती है और जिन पर हानि होती है वह लाभ की रकम से घटा दिया जाता है। लेकिन यह केवल अल्पावधि लाभ – हानि के मामले मे मान्य है। दीर्घावधि लाभ जहाँ एक लाख के बाद १०% की दर से आयकर के अधीन है, वहीं दीर्घावधि हानि की कोई गणना नहीं होती।)

3. माता-पिता के स्वास्थ्य के बीमा पर कम से कम २५,००० तक की छूट सालाना है। अगर आप माता पिता के स्वास्थ्य पर खर्च अधिक हो रही हो तो आपको उनके स्वास्थ्य का बीमा लेना चाहिए। एक तरफ खर्च कम होंगे और दूसरी तर्क आयकर में लाभ भी मिलेगा। यह छूट की रकम असल बीमा के प्रति देय राशि से अधिक नहीं हो सकती। छूट की रकम ५०,००० तक हो सकती है अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हों। ये रकम आपके स्वास्थ्य बीमा की रकम के अलावा है। यह आयकर की धारा 80D के तहत छूट के लिए उपलब्ध हैं।

4. अगर आपकी दिलचस्पी राजनीति में है और आप किसी पंजीकृत राजनीतिक पार्टी को डोनेशन देते हैं तो यह भी पूरी तरह आयकर की धारा 80GGC के तहत छूट के हक़दार हैं लेकिन इससे आपको कोई वास्तविक लाभ नहीं होगा, सिवाय इसके कि आप अपनी आत्मसंतुष्टि क्र सकेंगे कि आपने अपनी पसंदीदा पार्टी को चंदा दिया। याद रखिये कि पार्टी पंजीकृत होनी चाहिए तभी छूट मिलेगी।

5. आयकर की धारा 80DDB के तहत ४०,००० तक की छूट का प्रवधान है जो विशिष्ट बी बीमारियों के इलाज के लिए उपलब्ध है। लेकिन ये छूट केवल न्यूरोलॉजिकल रोग, घातक कैंसर, एड्स, गुर्दे की विफलता या रक्त संबंधी रोग के इलाज पर हीं उपलब्ध है।

6. अगर आपके घर का कोई सदस्य हमेशा के लिए विकलांग हो गया है तो उसके पालन के लिए आयकर की धारा 80DD के तहत १२५,००० तक की छूट है, अगर ८०% या उससे अधिक की स्थायी विकलांगता है और एक छूट ७५,००० तक है अगर यह ४०%या उससे अधिक है।

7. आपकी निजी विकलांगता पर यह छूट 80U के तहत उपलब्ध है। रकम उपरोक्त अनुसार।

8. आयकर की धारा 80E के अनुसार खुद या बच्चों के उच्च शिक्षा के लिए लिए लोन की अदायगी पर ब्याज की रकम की छूट लगातार ८ वर्षों तक बिना किसी सीमा के उपलब्ध है। अमूमन इसे शिक्षा लोन पर ब्याज की छूट कहा जाता है। यह लोन के चुकाने के साल से लगातार ८ वर्ष हीं उपलब्ध है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने बीच में लोन की रकम चुकाना बंद कर दिया। लेकिन अगर आपने रकम का भुगतान प्रीपेमेंट के आधार पर कर दिया तो यह छूट समाप्त हो जाती है।

9. बचत खातों में ब्याज की रकम पर १०,००० तक की छूट आयकर की धारा 80TTA के तहत उपलब्ध है। यह एक छोटी रकम सोच कर कई लोग नजरअंदाज करते हैं लेकिन यह आपके लिए महत्वपूर्ण है।

10. अगर आपने लोन ले लिया है और लोन की रकम ३५ लाख से अधिक और घर की लागत ५० लाख से अधिक है तो आप धारा 80EE के तहत ५०,००० अतिरिक्त छूट के हकदार हैं। यह छूट धारा 24b के तहत मिलने वाली २,००,००० की छूट के अलावा है।

इसके अलावा कुछ और उपाय जो छोटे व्यवसाइयों के लिए प्रस्तावित है जिससे वे अपनी आयकर के दायित्व को कम कर सकते हैं।

  1. छोटे व्यवसाय में वाहन आदि कभी भी निजी नाम से न खरीद कर व्यवसाय के नाम से खरीदें और डेप्रिसिएशन के छूट का लाभ लें।
  2. रख-रखाव, पेट्रोल-डीजल के खर्चे, ऑफिस के खर्चे, यात्रा खर्चे जो व्यवसाय के लिए किये गए हों, आदि की पावती जरूर रखें। ये छोटे मगर एक साल एम् बड़ी रकम बनते हैं। निजी खर्चों में डाल कर कोई लाभ नहीं, इसलिए व्यवसाय में डाल कर आप अपनी आय कम कर आयकर की गणना में लाभ ले सकते हैं।
  3. ऑफिस अगर घर के किसी हिस्से में है तो घर के मालिक को दो पावती बनाने के लिए कह कर आप ऑफिस वाले हिस्से का भाड़ा व्यवसाय में ले सकते हैं जो आय से छूट के लिए उपलब्ध होगी।
  4. व्यवसाय के लिए अगर पैसे किसी सबंधी से उधार लिए हों जैसे कि माता – पिता या पत्नी, या भाई, तो उन्हें उस रकम पर व्याज चुकाया जा सकता है जो खर्चे में शामिल किये जाने के लिए उपर्युक्त है।
  5. इसी तरह अगर आपका व्यवसाय किसी सदस्य की विशेष योग्यता का उपयोग आपके निजी संबंधों के आधार पर करता है तो आप उसे व्यवसाय की परिधि में पेशेवर खर्च के रूप में शामिल कर सकते हैं। अततः यह, आपके नेट प्रॉफिट पर आयकर की गणना को कम करेगा।

इसी प्रकार और भी सूक्ष्म निरिक्षण कर आप और भी तरकीब आजमा सकते हैं।

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