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कितनी आय पर टैक्स लगता है?

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अपनी कमाई पर सभी को टैक्स भरना होता है, ये हर एक नागरिक का फर्ज है. हालांकि, सरकार नागरिकों को कानूनी रूप से टैक्स बचाने के भी अधिकार देती है. कानूनी रूप से टैक्स बचाने के तमाम तरीके मौजूद हैं. टैक्स स्लैब से लेकर टैक्स बचाने तक के नियम समझ लीजिए। बीते कुछ बजट सत्रों में टैक्स के स्लैब में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है. फिलहाल, टैक्स की दो प्रणाली मौजूद हैं.

पहली प्रणाली जिसे ओल्ड टैक्स स्लैब के तौर पर जाना जाता है. वहीं साल 2020 में सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए नया टैक्स स्लैब शुरू किया था. इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने में आसानी हो, इसके लिए नए सिस्टम की शुरुआत हुई थी. हालांकि, सरकार ने नए स्लैब के साथ पुराने को भी बरकरार रखा है। नए टैक्स स्ट्रक्चर में 2.50 लाख रुपये तक की सालाना इनकम टैक्स फ्री है. इसके बाद के 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगता है, जो 12,500 रुपये बनता है.

वहीं, 6 लाख रुपये की सालाना सैलरी पर 23,400 रुपये की टैक्स की देनदारी बनती है. अगर आमदनी पांच लाख रुपये से एक लाख रुपये अधिक है, तो एक लाख की रकम 10 फीसदी के ब्रैकेट में आती है. इसलिए इसपर 10 हजार रुपये की टैक्स की देनदारी बनती है. इसके अलावा कैलकुलेटेड टैक्स पर 4 फीसदी सेस लगता है. अगर 12,500 रुपये टैक्स है तो सेस 900 रुपये हो जाता है. आप 80C के तहत 1.5 लाख रुपये बचा सकते हैं. इसके लिए EPF, PPF, ELSS, NSC में निवेश करना होता है.

अगर आप अलग से नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में सालाना 50,000 रुपये तक निवेश करते हैं, तो सेक्शन 80CCD (1B) के तहत आपको अतिरिक्त 50 हजार रुपये Income Tax छूट का फायदा उठा सकते हैं. होम लोन (Home Loan) वाले अतिरिक्त 2 लाख रुपये बचा सकते हैं।

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डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्सेस में क्या फर्क है?

डायरेक्ट टैक्स- डायरेक्ट टैक्स डायरेक्टली आपसे चार्ज किया जाता है , जैसे – इनकम टैक्स । इनकम टैक्स का पेमेंट आपको खुद को सरकार को करना होता है , अगर आपकी इनकम एक निर्धारित लिमिट से अधिक होती है । डायरेक्ट टैक्स वह वसूली है जो सरकार आपसे सीधे तौर पर लेती है। यानि ऎसी आय जो आपने किसी भी स्त्रोत से कमाई हो जेसे – लाटरी से , किसी भी व्यवसाय से , आपके द्वारा किसी दी गई सेवा के बदले में दी गई राशि या उपहार आदि इसमें कृषि को शामिल नहीं किया जाता है।

लेकिन इनडायरेक्ट टैक्स में टैक्स का पेमेंट आपके द्धारा डायरेक्टली सरकार को नही किया जाता , बल्कि उस पर्सन द्धारा किया जाता जो कि इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम में रजिस्टर्ड है ।
अप्रत्यक्ष कर – ऎसा टैक्स जिसे सरकार आपसे सीधे तौर पर नहीं वसूलती है बल्कि किसी सामान या वस्तु पर से अप्रत्यक्ष रूप से लेती है यानि आपने कभी दुकान से कोई भी समान खरीदा होगा तो उस सामान के पैकेट पर लिखा होता है। included all tax ये वाक्य का मतलब है कि जो सामान बनाया गया है उस बनाए समान पर आपको सरकार को भी कुछ पेसे अप्रत्यक्ष रूप से देने पड़ेंगे। यही एक अंतर है प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में, इनडाइरेक्ट टैक्स में जीएसटी , कस्टम डयूटी को शामिल किया जाता है। जैसे – जब भी आप कोई गुड्स या सर्विसेज का पेमेंट करते है, तो उस पेमेंट में आप गुड्स या सर्विसेज की वैल्यू के साथ टैक्स का भी पेमेंट करते है ।लेकिन इस टैक्स का पेमेंट आप डायरेक्टली सरकार को न करके उस पर्सन को कर रहे है जिससे ये गुड्स या सर्विसेज आपने प्राप्त की है । जो पर्सन आपसे टैक्स प्राप्त कर रहा है वह उस टैक्स को सरकार को जमा करवाता है । इस तरह इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम काम करता है ।

टोबिन टैक्स (Tobin Tax) क्या होता है?

टोबिन टैक्स को मूल रूप से एक मुद्रा के एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण पर एक कर के रूप में परिभाषित किया गया था। यह जेम्स टोबिन द्वारा सुझाया गया था, जिन्होंने आर्थिक विज्ञान में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार जीता था।

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