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ऐक्टिंग के मामले में फ्लैट फेस – विद्युत जामवाल

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जब हमने सिनेमा समझना शुरु किया था, तब धूम आई थी। और धूम के साथ ही जॉन अब्राहम नाम का एक ऐसा हीरो देखने को मिला था जिसे लड़कियों से कहीं ज़्यादा लड़के कॉपी करते थे।

फिर 2011 में फोर्स आई। फोर्स में पहली बार एक ऐसा विलन दिखा जो सुपर फिट है, जो मार्शल आर्ट्स जानता है पर ये अक्षय कुमार नहीं लगता। इसकी बॉडी भी बहुत शानदार है पर ये जॉन अब्राहम या सलमान खान के जैसा भी नहीं है, ये बस अपने जैसा है।

पर अपन तो acting पसंद करते हैं और acting के मामले में विद्युत जामवाल फ्लैट फेस नज़र आते थे। हालाँकि पिछली फीचर IB71 में वो अपनी बाकी फ़िल्मों के मुकाबले कुछ बेहतर दिखे थे।

आप विद्युत को फ़िल्मों में देखो तो वह उछल-कूद, भाग-दौड़ और खींचा-खाँची करते बेचैन, बेसब्र से रोल में नज़र आते हैं लेकिन जब उन्हें इंटरव्यू में सुनो तो ऐसा लगता है कि इससे ज़्यादा calm, clear, composed और असली कोई एक्टर नहीं। विद्युत सुपर कमैन्डो ध्रुव और किसी सांसारिक संत का रेयर काम्बनैशन लगते हैं।

इसकी एक मिसाल देखिए, विद्युत हर साल कुछ दिन जंगलों में बिना कपड़ों के रहते हैं। ऐसा करते हुए उन्हें 14 साल हो गए हैं। बीते साल उनकी कुछ तस्वीरें वाइरल हुईं तो ये पता चला। जब पूछा गया कि ऐसा क्यों?

तो बोले “मुझे अपने साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है। रही बात जंगली जानवरों की, तो वो भी कुछ नहीं कहते, वो अपने रास्ते चलते हैं मैं अपने रास्ते”

मायापुरी मैगज़ीन के सदके मुझे विद्युत का इंटरव्यू करने का मौका मिला था, ये पहला इंटरव्यू था जिसमें गेस्ट ने एक भी फम्बल नहीं किया, एक भी सवाल डिच नहीं किया। मैंने तो यहाँ तक कह दिया था कि आप सिर्फ एक्शन के चक्कर में एक्टिंग करना क्यों भूल जाते हो?

तो अगले ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया “मैं एक्शन करने ही तो आया हूँ, acting अगर हो जाती है तो वो बोनस समझ लेता हूँ”

ऐसा ही बोनस उस म्यूनसिपल में काम करने वाले लड़के को मिला कि एक सुबह विद्युत अपनी सुपर एक्स्पेन्सिव लगज़री कार में बैठने ही वाले थे कि इस लड़के ने कार के एक्स्ट्राऑर्डनरी टायर्स पर कुछ कॉमेंट कर दिया।

विद्युत रुके, उन्होंने पूछा कि तुम्हें टायर्स की इस क्वालिटी के बारे में कैसे पता?

तो वो सकुचाते हुए बोला “वो मुझे न शौक है कार्स का, मैं गूगल पे देखता रहता हूँ, इनके बारे में पढ़ता रहता हूँ”

अगले मिनट विद्युत ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और उसको बिठाकर राइड पर ले गए कि लो भाई, कार्स का शौक है, तो शौक पूरा कर लो।

एक्टिंग तो हमारे टाइगर्स (दोनों) भी बाकमाल करते हैं, इससे इतर, किसी को नीचा न दिखा के, किसी को गले लगा के, किसी को ये एहसास देकर की हम कामयाब हुए हैं तो क्या, हैं तो तुममें से ही एक; एक साधारण एक्टर भी इंसान के तौर पर बहुत बेहतर कहलाने लगता है।

बादबाकी आज विद्युत की हालिया रिलीज़ CRAKK देखी, फ़िल्म में वाकई ऐसे एक्शन सीक्वन्सेस हैं जो पहले कभी नहीं देखे गए। लेकिन पहले की ही तरह (iB71 को छोड़) अच्छा स्क्रीनप्ले इस बार भी मिस्टर इंडिया बना रहा।

मुझे लगता है, पर्सनली, हो सकता है आप अग्री न करें कि; अगर विद्युत को सही डायरेक्टर और बढ़िया स्क्रिप्ट किसी दिन मिल गई, उस दिन ये कलरईपट्टु आर्टिस्ट भारत की सबसे बड़ी एक्शन ब्लॉकबस्टर अपने नाम दर्ज करवा लेगा।

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