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शेयर मार्केट में स्टॉक ट्रेडिंग की विस्तृत जानकारी

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अगर आप भी ट्रेडिंग करके खूब सारा पैसा कमाना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं क्योंकि आज मैं आपको इस आर्टिकल में ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी देने वाला हूं जैसे– शेयर मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है और नए लोग ट्रेडिंग कैसे सीखें, ट्रेडिंग कैसे करते हैं, यह कितने प्रकार की होती हैं, शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करके पैसे कैसे कमाए आदि। इसके अलावा मैं आपको ट्रेडिंग से संबंधित कुछ जरूरी बातें भी बताऊंगा। मैं वादा करता हूं अगर आपने इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ लिया तो आपके मन में Trading kya hoti hai इससे संबंधित कोई भी डाउट नहीं रहेगा।

स्टॉक ट्रेडिंग क्या है?

शेयर ट्रेडिंग से प्रॉफिट केवल 10% लोग ही कमा पाते हैं शेष 90% लोग बिना अनुभव और जानकारी की कमी के चलते नुकसान उठाते हैं। Intraday Trading आपको तभी करना चाहिए जब आपको स्टॉक मार्केट में कम समय में होने वाले उतार चढाव के बारे में कुछ बेहतर जानकारी हो, लेकिन अक्सर लोग इसका उल्टा करते है। नया निवेशक Intraday Trading सबसे पहले करने की कोशिश करता है, जबकि उसे डेमो या पेपर ट्रेडिंग से शुरुवात करनी चाहिए।

जब यहां कुछ समझ आने लगे फिर सीमित मात्रा में शेयर खरीद कर 2 -4 दिन वेट एंड वाच करके देखे कि उनमें किस दिशा में और कितना चेंज आया। मार्केट के चार्ट रीडिंग मेथड को देखे और समझने का प्रयास करे। न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों से भी शेयर मार्केट का ज्ञान बढ़ाते रहें। अगर मार्केट की बारीकियां आपने समझ ली तो यहां मोटा पैसा बनाने से आपको कोई रोक नहीं सकता।

इस तरह उसकी मार्केट की समझ बढ़ेगी। जब कोई ट्रेडर मार्केट की स्केल्पिंग और स्विंग ट्रेडिंग जैसी विधियों को जानेगा और उस विधि से ट्रेड करके उसका प्रैक्टिकल अनुभव करेगा तभी जाकर वह अपने लिए एक ट्रेडिंग सिस्टम बना पायेगा। क्योंकि एक सिस्टम जो किसी ट्रेडर को फायदा देता है, आवश्यक नहीं है कि दूसरा ट्रेडर भी उसे अप्लाई करके लाभ प्राप्त कर पायेगा। इसका कारण प्रत्येक ट्रेडर का माइंड सेटअप अलग होना है। ग्रीड एंड फियर फैक्टर सबके लिए अलग तरह से काम करता है। किसी को छोटा मुनाफा और कम समय का स्केल्पिंग ट्रेड करना पसंद होता है तो कोई लम्बा मुनाफा पाने के लिए कुछ दिन वेट करके स्विंग ट्रेडिंग पसंद करता है।

ट्रेडिंग क्या होती है? (What is trading in hindi)

ट्रेडिंग वह प्रक्रिया है जिसमें मुनाफा कमाने के लिए वस्तुओं और सेवाओं की खरीद बिक्री की जाती है। ट्रेडिंग करने वाले लोगों को Traders कहा जाता है। ट्रेडिंग का मकसद चीजों को कम दाम में खरीदना और अधिक दाम में बेचकर प्रॉफिट कमाना होता है।

Trading Meaning

ट्रेडिंग का अर्थ होता है ‘व्यापार’ मतलब लोग बाजार से लाभ कमाने के लिए चीजों को एक जगह से दूसरी जगह ट्रेड करते हैं। आजकल online Stock trading काफी प्रचलन में है क्योंकि इससे लोग शेयर मार्केट में ट्रेड करके दिन का लाखों रुपए कमा रहे हैं।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग क्या है? (What is trading in share market

अब यह तो बात हो गई ऑनलाइन ट्रेडिंग की… अब जरा ऑफलाइन ट्रेडिंग की भी बात कर लेते हैं– Example of Trading in hindi: अगर ट्रेडिंग को समझने के लिए सब्जी मंडी का उदाहरण देखें. सब्जी मंडी से खरीदार कम दाम में सब्जी खरीद कर लाता है और उसे अधिक दाम में sell करता है और इस तरह वह profit कमा लेता है। ठीक इसी प्रकार कपड़ों के बिजनेस में भी दुकानदार wholesale में इकट्ठा माल सस्ते में खरीद कर लाता है और फिर customers को महंगे दामों पर बेचता है, इसे ही ट्रेडिंग कहते है ।) शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का मतलब है शेयर को खरीदना और बेचना. स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग दो प्रकार की होती है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और लोंग टर्म ट्रेडिंग. अधिकतर ट्रेडर्स शेयर बाजार से जल्दी प्रॉफिट कमाने के लिए इंट्राडे और ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं।

ट्रेडिंग का उदाहरण (Example of Trading )

  • आजकल ट्रेडिंग हर व्यापार में होती है चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन। ट्रेडिंग में खरीदार और विक्रेता दोनों ही प्रॉफिट कमाना चाहते हैं।
  • अगर हम शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का उदाहरण देखें तो हमारा मकसद शेयर को कम दाम में share buy करके अधिक दाम में बेचकर profit कमाना होता है।

याद रखिए– ऑनलाइन ट्रेडिंग केवल शेयर मार्केट में ही नहीं बल्कि कमोडिटी मार्केट और Forex मार्केट में भी होती है। कमोडिटी मार्केट में Gold, Silver, Crude oil आदि commodities की ट्रेडिंग की जाती है जबकि Forex market में currencies जैसे; Rupees, doller, pound आदि की trading की जाती है।

अब तक आपने जाना ‘Trading kya hoti hai‘ अब आगे जानते हैं कि– ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है ?

Types of trading in hindi

ट्रेडिंग दो प्रकार की होती है– शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और लोंग टर्म ट्रेडिंग. Short term trading के अंतर्गत इंट्राडे, स्विंग और ऑप्शन ट्रेडिंग आती है जबकि long term trading में डिलीवरी और पोजीशनल ट्रेडिंग आती है। इसके अलावा स्काल्पिंग ट्रेडिंग, एल्गो ट्रेडिंग, मार्जिन ट्रेडिंग, और मूहूर्त ट्रेडिंग भी Share market trading के ही प्रकार हैं। इन सभी में ये 3 ट्रेडिंग सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं–

  • Intraday Trading
  • Swing Trading
  • Option Trading

इनके बारे में हम नीचे विस्तार से बात करने वाले हैं। लेकिन उससे पहले बाकी बची हुई ट्रेडिंग के बारे में आपको शार्ट में बता देता हूं.

ट्रेडिंग के प्रकार (Trading kitne prakar ki hoti hai)

Long Term Trading– इसके अंतर्गत डिलीवरी और पोजीशनल ट्रेडिंग आती है. डिलीवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को डिलीवरी में खरीदते हैं और पोजीशनल ट्रेडिंग में किसी पर्टिकुलर stock में शॉर्ट टर्म या लोंग टर्म के लिए अपनी पोजीशन होल्ड करते हैं।

आप कुछ लोग सोच रहे होंगे कि डिलीवरी ट्रेडिंग का मतलब तो investing ही हुआ ना, तो फिर मैं इसे ट्रेडिंग क्यों कह रहा हूं… जी हां आपका कहना सही है यह इन्वेस्टिंग ही है लेकिन long term में आप शेर को कभी ना कभी तो बेचेंगे ही और शेयर को खरीदना और बेचना ही ट्रेडिंग कहलाता है इसलिए आप investing को long term trading भी बोल सकते हैं।

Scalping Trading– ‘scalping’ का हिंदी अर्थ होता है कालाबाजारी मतलब ऐसी ट्रेडिंग जिसमें शेयर बाजार के नियमों से हटकर ट्रेडिंग की जाती है उसे ‘scalp trading’ कहा जाता है।

इसका मतलब है कि जिस तरह स्टॉक मार्केट में शेयर को खरीद कर फिर उसके बढ़ने की आशा की जाती है लेकिन scalping trading में ऐसा कुछ नहीं होता क्योंकि इसमें लोग तुरंत प्रॉफिट बुक करते हैं। यह short-term के अंतर्गत आती है जिसमें केवल कुछ मिनटों में ही शेयर को बेचकर Profit कमा लिया जाता है। आपको पता दें कि यह इंट्राडे ट्रेडिंग से थोड़ी अलग है।

Algo Trading–Algo trading में लोगों की जरूरत नहीं होती है बल्कि कंप्यूटर्स में कुछ algorithms और software के द्वारा automatic ट्रेडिंग की जाती है.

Margin Trading– जब भी आप अपने ब्रोकर के द्वारा किसी पार्टिकुलर stock में आप मार्जिन लेकर ट्रेडिंग करते हैं तो उसे मार्जिन ट्रेडिंग या leverage trading भी बोला जाता है। Margin का मतलब होता है ऐसा पैसा जो आपने दिया नहीं है बल्कि आपका ब्रोकर आपको ट्रेडिंग करने के लिए दे रहा है.

Margin trading की facility आजकल लगभग हर broking apps में दी जाती है। इनमें आपको 20% से लेकर 80% तक मार्जिन मिलता है। लेकिन याद रहे मार्जिन ट्रेडिंग में Risk भी ज्यादा होता है क्योंकि अगर आपका loss होता है तो broker आप पर भारी charges भी लगा सकता है। इसीलिए मार्जिन ट्रेडिंग केवल तभी करें जब आपको अपनी ट्रेड पर पूरा विश्वास हो।

Muhurat Trading: जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है किसी शुभ मुहूर्त पर की जाने वाली trading को मुहूर्त ट्रेडिंग कहते हैं. यह अधिकतर दिवाली के मौके पर की जाती है जिसमे किसी निश्चित शुभ समय के दौरान इस ट्रेडिंग को किया जाता है। आइए अब बताते हैं आपको trading के उन प्रकारों के बारे में जो सबसे ज्यादा पॉपुलर है–

1. इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)

एक ही दिन में शेयर को खरीदने और बेचने वाले ट्रेडिंग को ‘इंट्राडे ट्रेडिंग‘ कहते हैं. इसमें आपको उसी दिन शेयर को buy और sell करना पड़ता है। अगर आपने intraday में शेयर खरीदा है और शेयर बाजार बंद होने से पहले यानी 3:30 बजे से पहले आप अपने उस दिन खरीदे हुए शेयर नहीं बेचते हैं तो आपका broker अपने आप ही आपकी position ‘square off’ कर देता है मतलब उस दिन खरीदे हुए आपके सारे शेयर बेच देता है। साथ ही आपको कुछ extra charges भी देने पड़ते हैं क्योंकि आप बाजार बंद होने से पहले अपने शेयर नहीं बेच पाए।

  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए चार्ट पेटर्न्स को समझना बहुत जरूरी होता है। चार्ट पर अगली कैंडल (candle) कौन सी बनेगी, हर एक इंट्राडे ट्रेडर्स ही predict करने की कोशिश करता है।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में अधिकतर 1 मिनट, 5 मिनट और 15 मिनट के chart पर ट्रेडिंग की जाती है।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में कंपनियों पर research करना जरूरी नहीं होता है बस आपको technical analysis की थोड़ी बहुत नॉलेज होनी चाहिए।
  • डिलीवरी की अपेक्षा आपको intraday में मार्जिन बहुत अच्छा मिलता है लेकिन इसमें risk भी ज्यादा है।
  • एक intraday trader प्रॉफिट कमाने के लिए बहुत सारे चार्ट पेटर्न्स, सपोर्ट रेजिस्टेंस, टारगेट, स्टॉप लॉस, मूविंग एवरेज और कई प्रकार के ट्रेडिंग सेटअप के द्वारा ट्रेड करता है।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको फंडामेंटल मजबूत शेयर ढूंढने की जरूरत नहीं होती बल्कि आप किसी भी घटिया फंडामेंटल वाले स्टॉक में ट्रेडिंग कर सकते हैं बस उसमें वॉल्यूम अच्छा होना चाहिए।
  • कहा जाता है कि इंट्राडे ट्रेडिंग में नुकसान होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है जोकि सच भी है लेकिन अगर आप समझदारी से stop-loss लगाकर ट्रेड करते हैं, trading psychology को समझते हैं और intraday trading strategies फॉलो करके ट्रेड करते हैं तो आप अपने नुकसान को कम कर सकते हो और प्रॉफिट को बढ़ा सकते हैं।

2. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों में शेयर को खरीदने बेचने वाली ट्रेडिंग ही ‘स्विंग ट्रेडिंग‘ कहलाती है। मतलब swing ट्रेडिंग में अधिकतर लोग 5% से लेकर 20% profit होने पर अपने खरीदे हुए शेयर को sell कर देते हैं फिर चाहे उसमें 1 हफ्ता लगे या 1 महीना, यह मायने नहीं रखता।

  • स्विंग ट्रेडिंग intraday trading की अपेक्षा अधिक safe मानी जाती है क्योंकि इसमें share को उसी दिन बेचना जरूरी नहीं होता।
  • Swing trading से अधिक प्रॉफिट कमाने के लिए आपको Nifty next 50 वाले stocks में पैसा invest करना चाहिए क्योंकि इन कंपनियों में वॉल्यूम भी अच्छा होता है और फंडामेंटल भी अच्छे होते हैं।
  • इंट्राडे की अपेक्षा swing trading में आपको फंडामेंटली stable कंपनी चुनना पड़ती है क्योंकि आप अपना प्रॉफिट कुछ ही मिनट हो या घंटों में नहीं बल्कि कुछ दिनों यहां तो में कमाना चाहते हैं और आप अधिक Risk भी नहीं लेना चाहते हैं।
  • Swing trading में support और resistance बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और इन्हीं के द्वारा आप लाभ कमाते हैं।
  • बहुत सारे स्टॉक्स ऐसे हैं जो लगातार अपने सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बीच ही ट्रेड करते रहते हैं ऐसे stocks में पोजीशन बनाकर आप स्विंग ट्रेडिंग से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
  • कुछ लोग swing trading के द्वारा stocks में breakout और breakeven होने पर भी अच्छा पैसा कमाते हैं। किसी भी शेयर के चार्ट में ब्रेक आउट होने का मतलब है कि उसने अपना पिछला सपोर्ट या रेजिस्टेंस तोड़ दिया है मतलब share अपने पिछले प्राइस से बहुत ज्यादा ऊपर या बहुत ज्यादा नीचे चला गया है.

इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग को समझने के बाद अब बात करते हैं option trading के बारे में–

3. ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading)

कॉल और पुट ऑप्शंस को खरीदने और बेचने वाली ट्रेडिंग को ही ऑप्शन ट्रेडिंग कहते हैं। कॉल ऑप्शन को खरीदने का मतलब है कि आप शेयर मार्केट पर bullish है और पुट ऑप्शन को खरीदने का मतलब है कि आप bearish हैं।

  • ऑप्शन ट्रेडिंग सबसे ज्यादा रिस्की मानी जाती है इसमें आपको कुछ ही मिनटों में लाखों रुपए का प्रॉफिट और कुछ ही मिनटों में लाखों रुपए का नुकसान भी हो सकता है क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग चार्ट पर प्रीमियम के प्राइस बहुत तेजी से ऊपर नीचे होते हैं।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपको बहुत ही कम पैसों की जरूरत होती है यहां तक कि आप 100 रुपये से भी option trading की शुरुआत कर सकते हैं।
  • इसमें आप दो तरह से पैसा कमा सकते हैं option buying करके और option selling करके।
  • आपको बता दूं कि शेयर मार्केट में 80% option buyers है जबकि केवल 20% option sellers हैं। इसका कारण यह है कि option buying में आप 100-200 रुपये से भी शुरुआत कर सकते हैं जबकि option selling में आपको लाखों रुपए की जरूरत होती है।
  • यह भी जान लें कि 75% option sellers पैसा कमाते हैं जबकि केवल 25% option buyers ही पैसा कमा पाते हैं। इसका कारण यह है कि option sellers के पास पैसा बहुत ज्यादा होता है जबकि option buyer कुछ ही पैसों से ट्रेड करता है और जितने भी नए लोग होते हैं वह option buying ही करते हैं इसलिए उन्हें नुकसान होता है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग में option seller पैसा इसलिए कमाता है क्योंकि वह अधिक पैसे देकर कम प्रॉफिट किया था करता है जबकि option buyer नुकसान इसीलिए करता है क्योंकि वह कम पैसे देकर अधिक प्रॉफिट की आशा करता है।
  • मैं आपको बताना चाहता हूं कि ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय हमेशा stop loss लगा कर रखें वरना आपका लाखों रुपए कुछ ही मिनटों में साफ हो सकता है।
  • इसमें आपको अपनी रिस्क मैनेजमेंट के हिसाब से ही trade करना चाहिए।

दोस्तों मैं आपको बताना चाहता हूं कि ऑप्शन ट्रेडिंग को बिना सीखे कभी मत करें क्योंकि ऐसा करने से हो सकता है कि आप शॉर्ट टर्म में थोड़ा बहुत पैसा कमा लें लेकिन long term में आपको नुकसान ही होगा।

ट्रेडिंग कैसे काम करती है? (How Trading works in hindi)

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग buyers और sellers के शेयर खरीदने और बेचने के आधार पर काम करती है। stock market trading में डिमांड और सप्लाई नियम काम करता है. जिस स्टॉक की डिमांड अधिक होती है उसका प्राइस बढ़ने लगता है और जिस stock की डिमांड कम होती है उसकी कीमत घटने लगती है.

ट्रेडिंग किस तरीके से काम करती हैं यह समझने के लिए आपको trading volume को समझना आवश्यक है।

अगर आज किसी स्टॉक में buying volume ज्यादा है और selling वॉल्यूम कम तो जाहिर सी बात है शेयर ऊपर जाएगा और अगर situation इसके विपरीत है तो शेयर नीचे जाएगा।

इसके अलावा ट्रेडिंग में कैसे शेयर की कीमत ऊपर निचे होती है इसे समझने के लिए Bid और Ask price पर नजर रखें. Bid price का मतलब होता है कि buyer किस प्राइस पर शेयर खरीदने को तैयार है और Ask price का मतलब है कि seller किस प्राइस पर शेयर बेचने को तैयार है।

आपको इतना पता होना चाहिए कि किसी भी स्टॉक में ट्रेडिंग तब तक संभव नहीं है जब तक bid और ask price मैच ना कर जाए। इसका मतलब यह है कि जब तक खरीदार विक्रेता के मूल्य पर शेयर खरीदने को तैयार नहीं हो जाता तब तक उस स्टॉक में ट्रेडिंग नहीं हो सकती।

और यही कारण है कि कुछ stocks में बहुत देर तक trading नहीं होती है क्योंकि उनमें number of buyers और sellers बहुत कम है। इसीलिए ऐसे stocks में अगर कोई बड़ी quantity खरीद ले उस स्टॉक का प्राइस अचानक बहुत तेजी से बढ़ने लगता है और फिर वह शेयर news में आने लगता है।

आपने ऐसा कई बार न्यूज़ में देखा होगा कि जो कोई FII यानी विदेशी निवेशक किसी शेयर में खरीदारी करता है तो उस शेयर में बहुत सारे लोग पैसा लगाने लगते हैं जिससे कुछ ही दिनों में उस शेयर का बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और फिर कुछ दिनों बाद लगातार नीचे आने लगता है।

लेकिन इन सबके बीच swing trader अच्छा पैसा कमाते हैं क्योंकि उन्हें फायदा तभी होता है जब किसी स्टॉक में movement हो रही हो। अभी के लिए आप बस इतना समझ लीजिए कि अगर किसी शेयर में buyers strong हैं तो वह ऊपर जाएगा और अगर sellers strong हैं तो वह शेयर नीचे जाएगा।

ट्रेडिंग में क्या-क्या आता है?

ट्रेडिंग के अंतर्गत टेक्निकल एनालिसिस की सभी चीजें आती है जैसे– चार्ट पेटर्न्स, मूविंग एवरेज, सपोर्ट रेजिस्टेंस, इंडिकेटर्स, वॉल्यूम, प्राइस एक्शन, पुट कॉल रेश्यो आदि। अगर इन सभी चीजों को एक-एक करके देखा जाए तो trading एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जिसमें काफी चीजें समाहित हैं।

उदाहरण के लिए: अगर हम चार्ट पेटर्न्स देखें तो तरह-तरह की chart patterns होते हैं जिन्हें सीखने में आपको हफ्तों से लेकर महीने लग सकते हैं। इसी प्रकार indicators भी कई प्रकार के होते हैं जिसमें RSI इंडिकेटर मेरा फेवरेट है। इसके अलावा मूविंग एवरेज भी अलग-अलग तरह के होते हैं। कैंडलस्टिक चार्ट pattern को देखा जाए तो इसमें भी तरह-तरह की candle होती हैं और हर candle का अलग मतलब होता है। इस प्रकार अगर देखा जाए तो ट्रेडिंग में बहुत सारी चीजें होती है लेकिन ट्रेडिंग में सफल होने के लिए आपको किसी एक चीज पर मजबूत पकड़ बनानी पड़ती है।

ट्रेडिंग शुरू करने से पहले सबसे पहले आपको खुद में निवेश करना होगा शेयर बाजार से रिलेटेड बुक्स पढ़नी होंगी किसी ब्रोकर के पास डिमैट अकाउंट खोलना होगा आपके पास पैन कार्ड होना अनिवार्य है कुछ राष्ट्रीय कृत बैंक जैसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया आईसीआईसीआई आदि बैंक किसी भी ब्रोकर के डिमैट अकाउंट से डायरेक्ट लिंक होते हैं अर्थात आप जैसे ही पैसा डिमैट अकाउंट में डालते हैं तुरंत ही आप के डिमैट अकाउंट में शो होने लगता है जबकि अन्य बैंक यूको बैंक आदि के साथ ऐसा नहीं होता यह कम से कम 2 से 3 घंटे लेते हैं आपको अगर आप शुरुआत कर रहे है तो आपको पेनी स्टॉक्स जिनकी कीमत ₹25 से कम होती है से दूर रहना होगा।

Disclaimer :– khabarjunction.com पर Share Market ट्रेडिंग से सम्बंधित दिए हुए लेख केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गयी हैं। Share Market ट्रेडिंग काफी रिस्की है khabarjunction.com वेबसाइट किसी भी तरह से आपको लाभ / हानि होने का दावा नहीं करता है। ट्रेडिंग के लिए प्रोत्साहित नही करता हैं। इसलिए किसी भी Share में निवेश करने से पहले किसी  प्रोफेशनल से संपर्क करके ट्रेडिंग करें।

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