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गुलाब जामुन और रसगुल्ले में अन्तर, साथ ही जानते है कालाजाम और मावाबाटी

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रसगुल्ले और गुलाब जामुन पूरी तरह अलग मिठाईयां हैं। गुलाब जामुन तेल में तलकर चाशनी में डालें जाते हैं जिससे हार्ट डिजिज का खतरा होता है, जबकि रसगुल्ले छैने से तैयार किए जाते हैं, फिर चाशनी में उबाले जाते है। अगर रसगुल्ले सिर्फ छन्ने से बनाए जाएं व चाशनी में चीनी की बजाए देशी खांड प्रयोग करें तो ये स्वास्थ्यवर्धक होंगे। गुलाब जामुन में भी मैदा की जगह आटा व चीनी की जगह देशी खांड प्रयोग करें।

रसगुल्ला :- रसगुल्ले मूल रुप से बंगाल व ओड़िशा की मिठाई है। इसका निर्माण गाय के दूध के छेने (अर्थात फाड कर छाना हुआ गाय का दूध) से किया जाता है। इसके लिए छेने को चिकना हो जाने तक हथेली से मसलते हैं। फिर उसके इच्छानुसार आकार की गोलियां बना कर शक्कर की या खजूर गुड की पतली चासनी मे डालकर मंदी आंच पर उबालते हैं। इस क्रिया में चासनी का तापमान बहुत मायने रखता है। बंगाल मे शक्कर व गुड दोनो के रसगुल्ले बनाए जाते हैं, किन्तु शक्कर वाले ही 95% प्रचलित हैं, वहीं ओड़िशा मे केवल गुड़ से ही इन्हे बनाया जाता है। ये गुड़ वाले रसगुल्ले भगवान जगन्नाथ जी के भोग का एक प्रमुख अंग हैं।

गुलाबजामुन :- गुलाबजामुन बनाने हेत 90% मावा व 10% मैदे के मसल- मसल कर बनाऐ गए इस मिश्रण की इच्छानुसार आकार की गोलियां बानाई जाती हैं। फिर इन गोलियों को मीडियम गर्म घी/रिफाइंड तेल मे डार्क ब्राउन होने तक तला जाता है। तब इन्हे शक्कर की एक तार वाली चासनी मे 1–2 घंटे डुबा कर रखते है। फ्लेवर के लिए चासनी में पहले से ही इलायची पाउडर या केसर डाल कर रखी जाती है। इस प्रकार गुलाबजामुन तैयार होते हैं। अनेक बार इसके मिश्रण मे मावे के साथ कुछ प्रतिशत छेना भी मिलाने का चलन है।

कालाजाम और रसगुल्ले में क्या अंतर होता है?
मैने यहां रसगुल्ले के स्थान पर गुलाबजामुन व कालाजाम का अंतर बताने का प्रयास किया है। कारण उसमे भी आम लोगों को कम जानकारी है। गुलाबजामुन मावे व मैदे के मिश्रण से बनता है, 80% मावा 20% मैदा (लगभग)। इसे हल्का ब्राउन होने तक तला जाता है। आकार भी मीडियम नीबू से बडा नही रखा जाता। कालेजाम मे खोवे की मात्रा काफी कम होती है, इसमे लगभग 70% छेना व 20% खोवा व 10% मैदा होता है। इसे डार्क ब्राउन (लगभग काला) तला जाता है। इसका आकार भी गुलाबजामुन से दोगुना रखा जाता है। इसी छेने के कारण कालेजाम का स्वाद ओडिशा की प्रसिद्ध मिठाई “छानापोडा” से मिलता जुलता होता है।

कालाजाम
कालाजाम

गुलाबजामुन और मावाबाटी दोनों समान लगते हैं, फिर अलग नाम क्यों हैं?

मावाबाटी

गुलाबजामुन व मावाबाटी के स्वाद मे काफी अंतर होता है। यह पहले केवल मध्यप्रदेश मे बनती थी। मावाबाटी मे मावा व छेने की मात्रा, गुलाबजामुन की अपेक्षा अधिक होती है। मावाबाटी को गुलाबजामुन की अपेक्षा अधिक सेंका जाता है, इतना कि वह चासनी मे डालने के बाद लगभग काले रंग की दिखने लगती है। गुलाबजामुन चासनी के साथ सर्व किए जाते हैं, जब कि मावाबाटी को अतिरिक्त चासनी को हटा कर सूखा सर्व किया जाता है। गुलाबजामुन नर्म होते हैं, मावाबाटी ऊपर से क्रिस्पी व अंदर से सॉफ्ट होती है। मावाबाटी का स्वाद अधिक सोंधा (रिच) होता है। 

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