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फिल्म ‘खून पसीना’ की मेकिंग सिफारिशें शर्तों के बीच कैसे रोल कटते मिलते है

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ये किस्सा जुड़ा है साल 1977 में आई फिल्म खून पसीना से। खून पसीना डायरेक्टर राकेश कुमार की एज़ ए डायरेक्टर पहली फिल्म थी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और रेखा की सुपरहिट जोड़ी के अलावा विनोद खन्ना, असरानी, अरुणा ईरानी, निरूपा रॉय, कादर खान और रंजीत जैसे दिग्गज कलाकार थे।

इस फिल्म के लीड हीरो अमिताभ बच्चन थे। लेकिन पहले इस फिल्म में विनोद खन्ना को लीड हीरो के रोल के लिए अप्रोच किया गया था। जबकी सेकेंड लीड के लिए डैनी डैंगजोंगपा से बात हुई थी। लेकिन जब फिल्म रिलीज़ हुई तो पता चला कि विनोद खन्ना फिल्म के मेन हीरो नहीं, साइड हीरो हैं। और डैनी तो फिल्म में कहीं से कहीं तक भी नहीं है।

लेकिन ऐसा हुआ कैसे? वो डायरेक्टर जिसकी सिफारिश खुद विनोद खन्ना हर प्रोड्यूसर से किया करते थे, उसने क्यों विनोद खन्ना की जगह अमिताभ को मेन हीरो का रोल दे दिया? और फिर किस शर्त पर विनोद खन्ना खून पसीना फिल्म में साइड हीरो का रोल निभाने को तैयार हुए? आइये जनते है ।

ये किस्सा शुरू होता है उस वक्त से जब राकेश कुमार फिल्म इंडस्ट्री में नए-नए आए थे और एक स्ट्रगलर थे। उन दिनों विनोद खन्ना से राकेश कुमार की बढ़िया दोस्ती हो गई थी। मुंबई आने के बाद राकेश कुमार प्रकाश मेहरा के असिस्टेंट बन गए थे।

उन्होंने कुछ साल प्रकाश मेहरा के साथ रहकर फिल्म मेकिंग की बारीकियां सीखी। और फिर वो इंडिपेंडेंट डायरेक्टर बनने के लिए मेहनत करने लगे। और चूंकि विनोद खन्ना उनके बढ़िया दोस्त थे तो उन्हें विनोद खन्ना का पूरा सपोर्ट मिला। विनोद अक्सर अपने जानकार प्रोड्यूसर्स से राकेश कुमार की सिफारिश करते थे।

एक दिन एक्टर ओम प्रकाश के बहनोई विनोद खन्ना के पास एक फिल्म का ऑफर लेकर गए। विनोद खन्ना ने फिल्म में काम इस शर्त पर करने को कहा कि फिल्म का डायरेक्शन राकेश कुमार करेंगे। ओम प्रकाश के बहनोई ने राकेश कुमार की स्क्रिप्ट सुनी और विनोद खन्ना की बात मानते हुए राकेश कुमार को ही फिल्म के डायरेक्शन की ज़िम्मेदारी दे दी। विनोद खन्ना को लीड रोल के लिए साइन कर लिया गया और सेकेंड लीड के लिए डैनी डेंगजोंगपा फाइनल हो गए।

सब कुछ सेट हो गया था। फिल्म की शूटिंग की तैयारी की जाने लगी। और बाकी कास्टिंग भी होने लगी। लेकिन तभी एक रात डायरेक्टर राकेश कुमार को एक फोन आता है। और उस फोन का असर कुछ ऐसा होता है कि फिल्म की कहानी तो वही रहती है। लेकिन फिल्म की स्टारकास्ट और फिल्म के प्रोड्यूसर्स एकदम बदल जाते हैं।

जिस वक्त राकेश कुमार खून पसीना फिल्म बनाने की तैयारियों में लगे थे, उन्हीं दिनों प्रकाश मेहरा डिप्रेशन में चल रहे थे। उनकी फिल्म हिमालय से ऊंचा बुरी तरह फ्लॉप हो चुकी थी। अब उन्हें एक ऐसी फिल्म की ज़रूरत थी जो उन्हें एक बार फिर सफलता का स्वाद चखाती। इत्तेफाक से उन्हीं दिनों किसी ने प्रकाश मेहरा को बताया कि राकेश कुमार ओम प्रकाश के बहनोई के साथ कोई फिल्म डायरेक्ट करने जा रहे हैं।

उन्होंने उसी दिन ठीक रात 1 बजे राकेश कुमार को फोन किया और तुरंत घर आने के लिए कहा। राकेश कुमार हड़बड़ाते हुए उनके घर पहुंचे। उन्होंने देखा कि प्रकाश मेहरा अपने ड्राइंग रूम में बैठे सिगरेट के कश लगा रहे हैं।

राकेश कुमार के आते ही प्रकाश मेहरा ने उनसे उस फिल्म की कहानी सुनाने को कहा जो वो ओम प्रकाश के बहनोई के साथ बनाने जा रहे थे। ये सुनकर राकेश कुमार सकपका गए। वो समझ गए कि प्रकाश मेहरा के दिमाग में क्या चल रहा है।

उन्होंने प्रकाश मेहरा से कहा कि वो ये फिल्म ओम प्रकाश के बहनोई के साथ बनाने जा रहे हैं। राकेश कुमार ने प्रकाश मेहरा को ये भी बताया कि इस फिल्म में उन्होंने विनोद खन्ना और डैनी को साइन कर लिया है। लेकिन प्रकाश मेहरा उनसे कहानी सुनाने की ज़िद करते रहे।

गुरू की ज़िद के आगे झुकते हुए राकेश कुमार ने अपनी फिल्म की कहानी उन्हें सुना ही दी। पूरी कहानी सुनने के बाद प्रकाश मेहरा खड़े हुए और बोले, ये फिल्म अब मैं बनाऊगा। फिल्म में लीड हीरो अमिताभ बच्चन होगा और डैनी वाला रोल विनोद खन्ना निभाएगा।

अपने गुरू प्रकाश मेहरा के मुंह से ये बात सुनकर राकेश कुमार सन्न रह गए। उन्होंने प्रकाश मेहरा को समझाने की कोशिश की, कि वो पहले ही विनोद खन्ना और डैनी से वादा कर चुके हैं। अब भला किस मुंह से वो इन दोनों कलाकारों को मना करेंगे।

लेकिन प्रकाश मेहरा ने उनकी एक ना सुनी। उल्टे उन्हें इस बात का उलाहना और दे दिया कि तुमने हमारे यहां रहकर डायरेक्शन सीखा है। अब तुम हमें कैसे इन्कार कर सकते हो। प्रकाश मेहरा ने अपनी फिल्म हिमालय से ऊंचा के फ्लॉप होने का दर्द भी राकेश कुमार के सामने रखा। और आखिरकार राकेश कुमार को प्रकाश मेहरा की बात माननी पड़ी।

राकेश कुमार ने प्रकाश मेहरा से कहा कि मैं अमिताभ को ज़्यादा नहीं जानता। मैं उन्हें फिल्म में कैसे लाऊंगा। तब प्रकाश मेहरा बोले कि अमिताभ को तो मैं ले आऊंगा। तुम विनोद खन्ना को लेकर आओ। इसके बाद अगले दो दिनों तक राकेश कुमार टेंशन में रहे।

लेकिन तीसरे दिन वो हिम्मत जुटाकर विनोद खन्ना के पास पहुंच ही गए। और जब उन्होंने विनोद खन्ना को सारा माजरा बताया तो विनोद खन्ना बुरी तरह भड़क गए। उन्होंने कह दिया कि तुम चाहे किसी के साथ ये फिल्म बनाओ। लेकिन मैं इसमें सपोर्टिंग रोल तो बिल्कुल भी नहीं निभाऊंगा।

इसके बाद विनोद खन्ना ने राकेश कुमार को अपने घर से जाने को कह दिया। ठीक इसी वक्त राकेश कुमार को एक और बुरी खबर मिली। उन्हें पता चला कि फिल्म दुनिया मेरी जेब में, जिससे वो डायरेक्शन में अपना डेब्यू करने वाले थे, वो बंद हो गई है। राकेश कुमार पर तो मानो पहाड़ टूट पड़ा।

इसी दौरान प्रकाश मेहरा ने अपनी फिल्म समाधि की गोल्डन जुबली पार्टी रखी और उसमें विनोद खन्ना को भी इनवाइट किया। विनोद खन्ना जब पार्टी में आए तो उस पार्टी में पहले से मौजूद राकेश कुमार उनके सामने आकर रोने लगे। विनोद खन्ना ने उनसे रोना-धोना बंद करने को कहा।

विनोद खन्ना राकेश कुमार से बुरी तरह से नाराज़ थे। और इिसलिए उन्हें राकेश कुमार के आंसू नाटक लग रहे थे। लेकिन राकेश कुमार ने जब विनोद खन्ना को बताया कि दुनिया मेरी जेब में नाम की उनकी फिल्म बंद हो चुकी है और अगर विनोद खन्ना ने खून पसीना में काम नहीं किया तो वो पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे तो विनोद खन्ना मान खून पसीना फिल्म में काम करने के लिए मान तो गए, लेकिन उन्होंने एक शर्त भी रख दी।

प्रकाश मेहरा की उस पार्टी में विनोद खन्ना ने राकेश कुमार को खूब भला बुरा कहा। विनोद खन्ना ने राकेश से कहा कि तुम भूल गए, मैं हर किसी को तुम्हारा नाम रिकमेंड करता था। जब ओम प्रकाश जी के बहनोई मेरे पास फिल्म बनाने की बात लेकर आए तो मैंने तुम्हारी स्क्रिप्ट तक नहीं सुनी थी और तुम्हें डायरेक्टर बनाने के लिए उन्हें मना लिया था।

मैंने तुम्हें बताया था कि हाथ की सफाई के बाद से मैंने ये फैसला कर लिया था कि मैं अब अमिताभ की किसी फिल्म में सपोर्टिंग रोल नहीं करूंगा। और तुम जिस फिल्म में मुझे हीरो लेने वाले थे उसी में अब तुम मुझे सपोर्टिंग रोल करने को कह रहे हो। वो भी अमिताभ के साथ। तुम्हें शर्म है या नहीं।

इस पर राकेश कुमार ने विनोद खन्ना से कहा कि मैं तुम्हारे रोल को बेहद पावरफुल कर दूंगा। तुम किसी भी लिहाज से फिल्म में हीरो से कम नहीं लगोगे। और मैं तुम्हारे लुक को हॉलीवुड एक्टर क्लिंट ईस्टवुड का टच दूंगा। जबकी तुम्हारे डायॉलग्स मार्लोन ब्रांडो से इंस्पायर होंगे।

राकेश कुमार की इन बातों ने विनोद खन्ना का गुस्सा शांत किया और फिर कुछ दिन बाद उन्होंने इस शर्त पर खून पसीना फिल्म में काम करने के लिए हामी भरी कि उन्हें उतनी ही फीस दी जाएगी जितनी की अमिताभ बच्चन को मिलेगी।

राकेश कुमार और प्रकाश मेहरा दोनों ही इस बात पर तुरंत राज़ी हो गए। और इस तरह बनी खून पसीना जो साल 1977 की छठी सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। आज विनोद खन्ना जी की पुण्यतिथि है। 

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