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सहजन और इसके पत्ते के फायदे और नुकसान

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सहजन को आयुर्वेद में औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अकेला सहजन 300 से ज्यादा बीमारियों में औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सहजन की पत्तियां, इसके फल, बीज और सहजन के पेड़ की छाल का अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। क्या आप सदैव स्वस्थ रहना चाहते है कभी कोई समस्या न हो हमेशा उर्जा और जिंदादिली से भरपूर रहें! तो ये पेड़ इश्वर ने आपके लिए बनाया है, बस ज़रूरत है इसके भरपूर इस्तेमाल की. Moringa oleifera जिसको सहजन, मुनगा या drumstick के नाम से भी जाना जाता है।

दक्षिण एशिया का एक जादुई पौधा है। इसका उपयोग परंपरागत और चिकित्सा प्रणाली में कई सालों तक किया जाता है। यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है। जो लोग anti oxidants के लिए Wine पीते हैं उनको बता दें के wine से कई गुना अधिक Anti Oxidant सहजन में अनार में या ऐसी ढेरो परंपरागत चीजें हैं जिनमे मिल जाता है, इसलिए दुष्प्रचार से बचें।

सहजन में NUTRITION इस पौधे के पत्ते छाल और फली में बहुत minerals और vitamins होते हैं. और इसका 1 छोटा cup 157% RDA vitamin C देता है…सहजन के एक कप में :

Vitamin B6- 19% daily needs
Vitamin A-9%
protein-2 g
vitamin C-12%
vitamin B2 riboflavin- 11%
iron- 11%
magnesium- 8%

जहाँ पर ये पौधा ना मिले वहां इसके पत्ते और फूलों को सुखाकर इसका चूर्ण काम में ले लेना चाहिए. आइये अभी जानते हैं इसके बेहतरीन फायदे जो इसको Tree of Heaven बनाते हैं।

हड्डियों की मजबूती – जैसा के हम अपनी पुरानी पोस्ट में बता चुके हैं के अगर किसी को घुटने बदलने के लिए डॉक्टर ने बोल दिया है तो भी वो इसका प्रयोग कर के देखे, इसमें कैल्शियम और आयरन अधिक मात्रा में पाया जाता है जिसके सेवन से हड्डियाँ मज़बूत होती हैं, और हड्डियों की घिसावट रूकती है।

कैंसर नहीं होगा – इस पौधे में बहुत सारे Anti Oxidants हैं और ये Free Radicals से लड़ने में बहुत सहायक है, ये कैंसर के सेल्स को बढ़ने से रोकता है, इसमें vitamin सी और Beta Carotene होते हैं इसके साथ में इसमें chlorogenic acid and quercetin भी हैं जो के सेल्स के लिए रक्षात्मक शील्ड का निर्माण करते हैं।

तुरंत सर दर्द से आराम – सहजन की जड का रस निकाल कर इसको गुड के साथ सेवन करने से तुरंत सर दर्द में आराम आता है।

आँखों के लिए – इसका नियमित सेवन आपकी आँखों की रौशनी को बढ़ाएगा, आप इसके पत्तों का रस निकाल कर इसको आँखों में भी लगा सकते हैं।

मौसमी बीमारियों में – सर्दी-खांसी, गले की खराश और छाती में बलगम जम जाने पर सहजन के सूप का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है. इसके लिए इसके पत्तों फूलों या फली का इस्तेमाल करें. सहजन का सूप पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाने का काम करता है. इसकी फली में मौजूद फाइबर्स कब्ज की समस्या नहीं होने देते हैं।


Blood Pressure – Heart Attack – cholesterol – सहजन का नियमित सेवन blood pressure को नियमित करता है, इसमें मौजूद vitamin सी, बैड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं और इसका नियमित सेवन हार्ट अटैक और हार्ट फ़ैल जैसी स्थिति आने ही नहीं देता।

वैवाहिक जीवन के लिए – सहजन के सूप के नियमित सेवन से सेक्सुअल हेल्थ बेहतर होती है. सहजन महिला और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फायदेमंद है।

अस्थमा में – अस्थमा की शिकायत होने पर भी सहजन का सूप पीना बहुत फायदेमंद होता है।

खून की सफाई – सहजन का सूप खून की सफाई करने में भी मददगार है. खून साफ होने की वजह से चेहरे पर भी निखार आता है. चेहरे पर दाग धब्बे, कील मुंहासे सही होंगे।

डायबिटीज – अगर आप डायबिटिक हैं तो ये आपके लिए बहुत काम का है, इसके पत्तों को छाया में सुखाकर 1 चम्मच दिन में दो बार भोजन के आधे घंटे के पहले सेवन करें. आपको इसमें आराम मिलेगा।

किडनी के लिए – मोरिंगो में Vitamin A, C और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, किडनी के रोगियों को डाइट की लिमिट होती है, ऐसे में उनको ज़रूरी पोषक तत्व की कमी हो जाती है, ऐसे में सहजन उनके लिए बहुत फायदेमंद डाइट है. और किडनी का जो Electrolyte को बैलेंस करने का काम है उसमे ये बहुत बेहतरी से काम करता है. अगर किडनी एक बार काम करना बंद कर दे तो रक्त में फॉस्फोरस बढ़ जाता है जिस से शरीर का कैल्शियम कम हो जाता है जिस से हड्डियों के बहुत सारे रोग हो सकते हैं, ऐसे में ऐसे रोगी जिनको किडनी की कोई समस्या है वो इसका सेवन ज़रूर करें।

मोटापे के लिए – इसके 11 पत्तों की चाय बनाकर इसमें आधा निम्बू निचोड़ कर पियें, इस से मोटापा भी कम होगा।

बढती आयु को रोके – इसमें vitamin भरपूर होने की वजह से ये बढती आयु को रोकता है अर्थात ये Anti Aging है, ये आँखों की रौशनी बढाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर रोगों से लड़ने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग कैसे करें?

ड्रमस्टिक का प्रयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता हैः

● पूरे पौधे का उपयोग मांसपेशियों की ऐंठन या मांसपेशियों में जकड़न के लिए हो सकता है। यह हृदय और सर्कुलेटरी टॉनिक के रूप में भी कार्य कर सकता है और एंटी-सेप्टिक व ड्यूरेटिक के रूप में कार्य कर सकता है।

● सहजन (ड्रमस्टिक) के बीज अम्लीय होते हैं और उनमें कई उत्तेजक होते हैं जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) के लिए सहायक होते हैं।

● सहजन (ड्रमस्टिक) के तने की छाल और फूल रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को कम करने में उपयोगी हो सकते हैं।

● सहजन (ड्रमस्टिक) के फूल गॉलब्लैडर के संकुचन को उत्तेजित कर सकते हैं और बाईल के प्रवाह को बढ़ा सकते हैं।

● तेज़ बुखार के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) की फलियां उपयोगी हो सकती हैं।

● सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्ते का रस हिचकी रोकने (डायफ्राम के संकुचन) में मदद कर सकता है।

● सहजन (ड्रमस्टिक) की पत्तियां इन्फ्लूएंजा की समस्या (श्वसन तंत्र के वायरल संक्रमण) के लिए उपयोगी हो सकती हैं।

● सहजन (ड्रमस्टिक) की सूखी जड़ की छाल से पाइल्स, गॉइटर (थायराइड ग्रंथि की सूजन) और अंदरूनी फोड़ा (पस का बनना) के इलाज में मदद मिल सकती है।4

नियमित रूप से सहजन (ड्रमस्टिक) का सेवन करने से पहले आपको हमेशा अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। वे आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही रूप और खुराक निर्धारित करने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति होंगे।

सहजन (ड्रमस्टिक) के गुण:
सहजन (ड्रमस्टिक) के प्रमुख घटकों में बायोलॉजिकल गतिविधियां होती हैं जो आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग, निसर्ग-चिकित्सा पद्धति और सिद्धा जैसी अनेक औषधीय प्रणालियों में इसके संभावित उपयोग में भूमिका निभा सकती हैं।1 सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित गुण इस प्रकार हैंः

● इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट गुण हो सकते है

● यह एंटी-डायबिटिक हो सकती है (ब्लड ग्लुकोज़ के स्तर को कम करता है)

● इसमें एंटी-कैंसर (कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है) क्षमता हो सकती है

● इसमें एंटी-सीज़्यूर के गुण हो सकते है

● यह एंटी-अस्थमैटिक हो सकता है

● यह सूजन को कम करने में मदद कर सकता है

● यह एंटी पैरासाइटिक एजेंट के रूप में कार्य कर सकता है

● इसमें एंटी-बैक्टेरियल गुण हो सकते हैं

● इसमें एंटी-फंगल गुण हो सकते हैं

● इसमें एक एंटी-पायरेटिक (बुखार कम करने वाला) एजेंट हो सकता है

● यह एक एंटी-अल्सर (अल्सर के बनाने को कम करता है) एजेंट के रूप में कार्य कर सकता है

● इसमें एंटी-स्पास्मोडिक (मांसपेशियों की ऐंठन से राहत देने वाला) गुण हो सकता है

● इसमें एंटी-एलर्जी क्षमता हो सकती है

● यह ब्लड प्रेशर कम करने में मदद कर सकता है

● यह किडनी की पथरी को कम करने में मदद कर सकता है

● यह हैपटो-प्रोटैक्टिव (लीवर को क्षति से बचाता है) हो सकता है।

● यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद कर सकता है

● यह एक लैक्सेटिव (कब्ज को नियंत्रित करता है) के रूप में कार्य कर सकता है।

● यह एक ड्यूरेटिक (पेशाब बनने को बढ़ावा देता है) के रूप में कार्य कर सकता है।

सहजन (ड्रमस्टिक) के दुष्प्रभाव ( Side Effects of Drumstick )
पिछले कुछ वर्षों में, सहजन (ड्रमस्टिक) की प्राकृतिक उत्पत्ति और कुछ दुष्प्रभावों के कारण इस पर काफ़ी शोध किये गए है। यह एंटी-एलर्जिक एजेंट होता है और आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में जड़ी-बूटियों के उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।4,5 हालांकि, कुछ लोगों को सहजन (ड्रमस्टिक) के बीज की फलियों से एलर्जी हो सकती है। इसके सबसे सामान्य दुष्प्रभाव निम्न हैंः

● चेहरे का एंजियोएडेमा (त्वचा के नीचे सूजन)
● हाइपोटेंशन (लो ब्लड प्रेशर)
● निचले अंग की त्वचा में जलन
● ऑक्यूपेशनल अस्थमा का कारण सांस लेने से होने वाली चिड़चिड़ाहट होती है।5

1. लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए सहजन बहुत नुकसानदायक माना जाता है। ऐसे लोग जिन्हें लो ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन्हें सहजन का सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए। सहजन के पत्तों का इस्तेमाल हाई ब्लड प्रेशर में किया जाता है। इसका लो ब्लड प्रेशर में अधिक सेवन आपकी परेशानी को और बढ़ा सकता है।

2. प्रेग्नेंसी औ मासिक धर्म के दौरान सहजन का सेवन करने से बचना चाहिए। प्रेग्नेंसी में सहजन खाने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को सहजन न खाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा सहजन का अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त दोष बढ़ा सकता है, इसलिए पीरियड्स के दौरान सहजन खाने से बचना चाहिए।

3. अधिक मात्रा में सहजन खाने से आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इसकी वजह से आपको तनाव और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। सहजन में इसोथियोसीयानेट (Isothiocyanate) और ग्लाइकोसाइड सायनाइड (Glycoside Cyanides) जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व शरीर के लिए विषैले माने जाते हैं।

4. जिन लोगों को ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या है उन्हें सहजन का सेवन करने से बचना चाहिए। इस समस्या में बहुत ज्यादा सहजन खाने से आपको कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

5. डिलीवरी (प्रसव) के ठीक बाद सहजन खाने से बचना चाहिए। डिलीवरी के ठीक बाद सहजन के बीज, सहजन की छाल आदि का इस्तेमाल नुकसानदायक होता है। इसलिए गर्भावस्था या डिलीवरी के बाद भी सहजन खाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

पेट के रोग में करें सहजन का इस्तेमाल
सहजन की ताजी जड़, सरसों और अदरक को समान मात्रा में लें। इसे पीसकर 1-1 ग्राम की गोली बना लें। इस 2-2 गोली का सुबह और शाम सेवन करने से जठराग्नि सक्रिय हो जाती है जिससे मन्दाग्नि दूर होती है। सहजन के 10-20 मि.ली. काढ़े में 2 ग्राम सोंठ डालकर सुबह-शाम पिलाने से पाचन शक्ति (Digestive Power) बढ़ती है।
पेट की गैस या पेटदर्द की स्थिति में सहजन की जड़ की 100 ग्राम छाल में 5 ग्राम हींग और 20 ग्राम सोंठ मिला लें। इसे जल के साथ पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। इनमें से 1-1 गोली दिन में 2-3 बार खाने से पेट दर्द में लाभ (drumstick benefits) होता है।
इसके पत्तों को पानी के साथ पीसकर गुनगुना गरम कर लें। इसे पेट पर लेप करने से भी पेट का दर्द ठीक होता है।
सहजन की फलियों की सब्जी (drumstick vegetable) बनाकर खाने से पेट की आंत के कीड़ों का नाश होता है।
सहजन की 50 ग्राम की जड़ को 200 मि.ली. पानी में मिला लें। इसकी चटनी बनाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने से जलोदर (पेट में पानी भर जाने की समस्या) में लाभ होता है।
सहजन की जड़ और देवदारू की जड़ को बराबर मात्रा में लें। इसे कांजी के साथ पीसकर गुनगुना कर लेप करे। इसे अपच की समस्या ठीक हो जाती है।

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