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शोले के सांभा की दहसत इतनी कि एक बार पब्लिक से पिटते-पिटते बचे

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उस दिन शोले का ट्रायल शो चल रहा था। डायरेक्टर रमेश सिप्पी सहित फिल्म के सभी बड़े स्टार्स वहां मौजूद थे। फिल्म में सांभा बने मैक मोहन भी उस शो में थे। फिल्म जब खत्म हुई तो सभी ने ज़ोर-ज़ोर से तालियां बजाई। सभी खुश थे। लेकिन मैक मोहन की आंखों में आंसू थे। और वो आंसू खुशी के नहीं थे। दुख के आंसू थे। मैकमोहन रो रहे थे। जब रमेश सिप्पी की नज़र मैक पर पड़ी तो उन्होंने मैक से उनके रोने की वजह पूछी। मैक ने उनसे कहा,”आप प्लीज़ मेरा रोल फिल्म में से काट दीजिए। वैसे भी कुछ खास तो बचा ही नहीं है। आपने तो मुझे जूनियर आर्टिस्ट बनाकर रख दिया।”

तब रमेश सिप्पी ने मैकमोहन से कहा,”मैक, जितना हम काट सकते थे उतना हमने काट दिया है। फिल्म की लेंथ काफी बढ़ गई थी इसलिए तुम्हारे सीन्स कटे। साथ ही कुछ सीन्स को वॉयलेंस की वजह से सेंसर बोर्ड ने कटवा दिया। लेकिन एक बात मैं तुमसे कहना चाहूंगा मैक। अगर ये फिल्म हिट हो गई तो मैं गारंटी देता हूं तुम्हारा ये रोल लोगों को सालों तक याद रहेगा।”

रमेश सिप्पी की बात सही साबित हुई। शोले की रिलीज़ के बाद उसमें सांभा बने मैक मोहन का डायलॉग पूरे ‘पचास हज़ार’ अमर हो गया। आज भी वो डायलॉग लोगों की ज़ुबान पर है। जबकी शोले को रिलीज़ हुए अब 49 साल से अधिक समय हो गया है। सोचिए शोले की रिलीज़ के बाद मैक मोहन के उस डायलॉग का लोगों पर क्या असर हुआ होगा। वैसे, शोले में डकैत बने मैक मोहन को बाद में आम लोगों ने सच में चोर-डाकू ही समझ लिया था।

एक इंटरव्यू में मैक मोहन ने एक किस्सा सुनाते हुए बताया था कि शोले की रिलीज़ के कुछ महीनों बाद मैक मोहन के एक दोस्त जयपुर से मुंबई आए। वो मुंबई में किसी दूसरी जगह पर ठहरे थे। और मैक मोहन को वहां आने के लिए बोल रहे थे। जबकी मैक मोहन चाहते थे कि इनके वो दोस्त इनके घर पर आकर ठहरें। इनके उस दोस्त ने इन्हें एक एड्रेस दिया। और कहा कि तुम यहां आ जाओ। मैं तुम्हारे साथ ही तुम्हारे घर चलूंगा। मैक मोहन उसके बताए पते पर उसे लेने पहुंच गए।

मैक मोहन जब अपने दोस्त के बताए पते पर पहुंचे तो उन्होंने एक घर का दरवाज़ा खटखटाया। दरवाज़ा एक औरत ने खोला। फिर जैसे ही उस औरत ने मैक मोहन को देखा, वो वापस अंदर भाग गई। और चिल्लाने लगी कि चोर आ गया है। बचाओ बचाओ। ये तो डाकू है। उस महिला के चिल्लाने से वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। और बदकिस्मती से ये वो लोग थे जो मैक मोहन को उस दिन असलियत में सामने देखकर पहचान ही नहीं सके।

उन लोगों ने मैक मोहन को पकड़ लिया। वो लोग मैक मोहन को पीटने ही वाले थे कि उनमें से एक ने इन्हें पहचान लिया। जबकी इस दौरान मैक मोहन खुद भी चिल्ला रहे थे कि मैं कोई चोर नहीं हूं। मैं तो एक्टर हूं। यहां किसी से मिलने आया हूं। खैर, मैक मोहन को पहचानने के बाद उन लोगों ने मैक मोहन को छोड़ दिया और इनसे माफी भी मांगी। लेकिन ये इतना ज़्यादा घबरा गए थे कि अपने उस दोस्त को छोड़कर आ गए। और फिर जीवन में कभी उससे नहीं मिले।

आज मैक मोहन साहब का जन्मदिन है। 24 अप्रैल 1938 को कराची में इनका जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम था मोहन माकीजानी। इनका बचपन लखनऊ में गुज़रा था। और ये क्रिकेटर बनना चाहते थे। बहुत अच्छा क्रिकेट खेलते भी थे। मुंबई आए भी थे क्रिकेट में करियर बनाने के इरादे से। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि फिल्मों में चले गए। 

चलिए मैक मोहन से जुड़ी एक और रोचक बात आपको बताता हूं। मैकमोहन साहब की पत्नी का नाम मंजरी माकिजानी है। मंजरी जी एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं। जिस वक्त मंजरी जी और मैक मोहन साहब की शादी हुई थी उस वक्त ये अफवाह उड़ाई गई कि मैक मोहन ने अपने पिता की गर्लफ्रेंड से शादी कर ली है। एक मैगज़ीन में ये बात छपी थी।

जबकी सच ये था कि उस वक्त मैक मोहन के पिता एक हॉस्पिटल में अपना इलाज करा रहे थे जब मंजरी जी से इनकी मुलाकात हुई थी। मंजरी जी ही मैक मोहन के पिता का इलाज कर रही थी। वहां इन दोनों की नज़रें मिली और दोनों एक-दूजे को पसंद करने लगे। फिर दोनों ने शादी कर ली। लेकिन कुछ मीडिया वालों ने इनकी शादी के बारे में गलत अफवाहें फैला दी। 

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