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जब ऋषिकेश मुखर्जी को गुस्सा आया तो किशोर कुमार गाना असरानी से गवा दिये

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वो गाना जो किशोर कुमार गाने वाले थे, वो असरानी को क्यों गाना पड़ा था? ये कहानी बड़ी रोचक है। और ये जुड़ी है साल 1977 में आई फिल्म अलाप से। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म अलाप में अमिताभ बच्चन हीरो और रेखा जी हीरोइन थी। असरानी जी इस फिल्म में तांगे वाला बने थे।

कहानी के मुताबिक एक अमीर घराने से होने के बावजूद अमिताभ अपने पिता से नाराज़ होकर घर छोड़ देते हैं। और फिर असरानी की मदद से घोड़ा तांगा चलाना सीखते हैं। इस फिल्म में असरानी साहब पर एक गीत पिक्चराइज़्ड किया गया था जिसके बोल थे ‘ओ रामा डर लागे अपनी उमरिया से।’

ये गीत किशोर कुमार जी को गाना था। संगीतकार जयदेव और ऋषिकेश मुखर्जी की बात किशोर दा से हो भी गई थी। असरानी को इस गाने में किशोर दा के साथ खड़े होकर कुछ डायलॉग्स रिकॉर्ड करने थे। वो कुछ ऐसे डायलॉग्स थे जैसे कोई तांगे वाला जब सड़क पर अपना तांगा लेकर निकलता है तब बोलता है।

रिकॉर्डिंग के लिए जो वक्त तय हुआ था उस वक्त पर असरानी साहब तो पहुंच गए। लेकिन किशोर दा नहीं आए। कई घंटों तक किशोर दा का इंतज़ार किया गया। जब वो नहीं आए तो ऋषि दा और जयदेव जी ने उनका पता लगाने की कोशिश की। मालूम हुआ कि वो तो किसी और रिकॉर्डिंग में फंसे हुए हैं।

ऋषिकेश मुखर्जी परेशान हो गए। क्योंकि उन्होंने स्टूडियो बुक कर लिया था। रिकॉर्डिंग ना होने का मतलब था कि उस दिन की बुकिंग के लिए खर्च किया गया सारा पैसा बर्बाद। ऋषि दा को गुस्सा आ रहा था। उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा था कि क्या करें। अचानक असरानी उनके सामने आ गए।

ऋषि दा के मन में फौरन ख्याल आया कि क्यों ना गाना असरानी से ही गवाया जाए। गाना वैसे भी असरानी पर ही पिक्चराइज़ होना है। तब ऋषि दा संगीतकार जयदेव जी के पास गए और बोले,”जयदेव जी, ये गाना असरानी गाएगा।” असरानी पास ही खड़े थे। ऋषि दा की ये बात सुनकर वो टेंशन में आ गए।

असरानी ऋषिकेश मुखर्जी से बोले कि सर मुझे तो बस कुछ आवाज़ें लगानी थी। मैं पूरा गाना कैसे गा पाउंगा भला। ऋषिकेश मुखर्जी बोले,”तू फिल्म में तांगे वाला बना है। तो एक तांगे वाला जैसे गाता है तू वैसे ही गा। वो भी बिना डरे।” तभी जयदेव जी ने भी असरानी की हौंसलाअफज़ाई की और कहा कि असरानी तुम गाओ। बाकि हम देख लेंगे।

दो दिग्गजों के कहने पर असरानी अनमने ढंग से गाना गाने को तैयार हो गए। फिर उन्होंने दो तीन-दफा गाने की रिहर्सल की। और रिहर्सल के दौरान असरानी का आत्मविश्वास कुछ ऐसा जगा कि जब फाइनल रिकॉर्डिंग का वक्त आया तो उन्होंने एक ही टेक में वो गाना रिकॉर्ड कर दिया।

अलाप में असरानी साहब ने एक और गाना गाया था। उस गाने के बोल थे ‘बिनती सुन ले तनिक।’ ये गाना भी किशोर दा को ही गाना था। लेकिन पहला गाना सक्सेसफुली रिकॉर्ड होने के बाद ऋषि दा को लगा कि ये वाला गाना भी असरानी से ही रिकॉर्ड कराया जाना चाहिए।

क्योंकि फिल्म की कहानी के मुताबिक असरानी के गाने से मुहल्ले वाले दुखी रहते हैं। यानि वो बेसुरा गाते हैं। इसलिए असरानी खुद ये गाना गाएगा तो ये ज़्यादा प्रभावी लगेगा। और इस तरह अपने पूरे करियर में गाए तीन गानों में से दो असरानी जी ने अलाप में ही गाए थे।

अपने करियर का तीसरा गाना गाने असरानी जब रिकॉर्डिंग रूम में आए थे तब उनके साथ किशोर दा भी थे। वो गाना साल 1978 में आई फिल्म ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ में था। और उसके बोल थे मन्नू भाई मोटर चली पम पम पम। इस गाने में असरानी साहब ने किशोर दा के साथ जुगलबंदी की थी। और ये गाना कितना पॉप्युलर हुआ था ये तो हम सभी जानते हैं। 

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