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बात कोई 2013 की है , छत्तीसगढ़ में 10 साल से भाजपा की सरकार थी , कांग्रेस वहा पर परिवर्तन यात्रा निकाल रही थी । यात्रा में छत्तीसगढ़ कांग्रेस से बड़े बड़े नेता शामिल थे । रैली खत्म करने के बाद कांग्रेस का दल सुकमा से जगदल पुर जा रहा था । लगभग 20 से 30 गाड़ियों के काफिले में नेता सहित 200 लोग सवार थे ।
सबसे आगे छत्तीसगढ़ काग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल की गाड़ी थी , उनके पीछे उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा अपने सुरक्षा बल के साथ चल रहे थे । इनके पीछे छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की कमर तोड़ने वाले महेंद्र कर्मा थे ।
महेंद्र कर्मा वह नेता थे जिन्होंने आदिवासी जनता को नकासलियों के चंगुल से बचाया । इसके कारण नक्सलियों ने उनके भाई समेत उनके 20 से ज्यादा रिश्तेदारों की हत्या कर दी थी । लेकिन वो नक्सलियों के विरुद्ध सलवा जुडूम आंदोलन कमजोर नही किया ।
महेंद्र कर्मा के गाड़ी के पीछे बस्तर के कांग्रेस प्रभारी पूर्व विधायक उदय मुदलियार, विद्याचरण शुक्ल समेत कई नेता अपनी अपनी गाड़ियों से चल रहे थे । गाड़ियां लगभग शाम 4 बजे के आस पास झीरम घाटी के पास पहुंचती है । रास्ते पर पेड़ गिरा हुआ था । सारा काफिला वही रुक जाता है ।
जब तक कोई कुछ समझ पाता , चारो तरफ से अंधाधुंध फायरिंग होने लगती है । लगभग 1.5 घंटे फायरिंग होने के बाद नक्सली नीचे आते है । और हर लाश को पलट पलट कर देखते है । जिनके कोई घायल अगर जिंदा मिलता उसे चाकू घोंप कर मार डालते है । उसके बाद जीवित जो घायल नही थे ,उनको बंधक बनाना सुरु करते हैं ।
महेंद्र कर्मा अपनी गाड़ी में सुरक्षित थे , वो उतरकर सामने आते हैं और सबको छोड़ने के लिए बोलते है । बदले में खुद को समर्पित कर देते हैं । लेकिन नक्सली उनको थोड़ी दूर लेकर जाते है और उनकी हत्या कर देते हैं । इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की टॉप लीडरशिप शहीद हो गई थी । ऐसा माना जाता है कि मुख्य टारगेट महेंद्र कर्मा जी ही थे । केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी और केंद्र सरकार के पास ही नक्सलियों से लड़ने के लिए जरूरी संसाधन होते हैं।