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जुर्म की दुनिया का बादशाह – चार्ल्स शोभराज

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डॉन का इंतज़ार तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है चार्ल्स शोभराज

चार्ल्स शोभराज का जन्म वियतनाम के साइगॉन में 6 अप्रैल 1944 को हुआ था. उस वक्त साइगॉन पर जापान का कब्ज़ा था. फ्रांसीसी उपनिवेश में पैदा होने की वजह से उन्हें फ्रेंच नागरिकता हासिल हो गई. उनकी मां वियतनाम की नागरिक थीं और पिता भारतीय थे.

पिता ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया था. पिता की ओर से ठुकराए जाने को लेकर शोभराज के मन में काफी नाराजगी थी. उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, “मैं आपको इस बात के लिए खेद जताने पर मजबूर कर दूंगा कि आपने एक पिता कर्तव्य नहीं निभाया.”

ये माना जाता है कि साल 1963 में एशिया की यात्रा के दौरान शोभराज ने अपने आपराधिक जीवन की शुरुआत की. जानकारों का कहना है कि आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का उनका तरीका हमेशा एक सा था. वो ड्रग्स लेने वाले फ्रेंच और अंग्रेजी भाषी पर्यटकों से दोस्ती गांठते और फिर उनकी हत्या कर देते थे.

रिचर्ड नेविल की बायोग्राफी में चार्ल्स शोभराज कहते हैं, “जब तक मेरे पास लोगों से बात करने का मौका है, तब तक मैं उन्हें बहला-फुसला सकता हूं.” जेल से भागने के बाद शोभराज कथित तौर पर छुट्टियां मना रहे छात्र के तौर पर पेश आ रहे थे.

साल 1976 में दोबारा गिरफ़्तार किया गया. दस साल बाद उन्होंने जेल से भाग निकलने के लिए कहीं ज्यादा दुस्साहसी तरकीब अपनाई. शोभराज ने जेल में जन्मदिन की पार्टी रखी. इसमें कैदियों के साथ गार्डों को भी बुलाया गया.

पार्टी में बांटे गए बिस्कुट और अंगूरों में नीद की दवा मिला दी गई थी. थोड़ी देर में शोभराज और उनके साथ जेल से भागे चार अन्य लोगों के अलावा बाकी सब निढाल हो गए. भारतीय अख़बारों में आई रिपोर्टों के मुताबिक शोभराज बाहर आने को लेकर इस कदर आश्वस्त थे कि उन्होंने जेल के गेट पर तस्वीर भी खिंचाई.

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