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स्वास्थ्य का राज: रीती-रिवाज और हर परंपरा मे है छुपा हुआ गूढ़-रहस्य

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■ ताँबे के बर्तन मे पानी पीना छोड़ा-कब्जियत ,मोटापा बढ़ा।

■ चूल्हे ,उपले पर भोजन बनाना छोड़ा-एसीडिटी, अपच,अनिद्रा सहित समस्त शारिरिक रोगों ने शरीर पर अटैक किया।

■ प्रदूषण के कारण बहती नदियों का जल छोड़ा-बोरिंग कैल्शियम ,खार ने कीडनी पर अटैक किया ,अपच ,पेटरोग पैदा किये।

■ एयर कंडीशनर आया-अस्थमा , वीटामिन-डी की कमी सरदर्द लाया।

■ लकड़ी के फर्नीचर छोड़े -हड्डियों कमर दर्द, जकड़न, अकडऩ पैदा हुई।

आज हम जानते है लकड़ी फर्नीचर छोडकर लोहे स्टिल, और फोम के दुश्परिणाम के बारे मे…..

सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है। हमारे पूर्वजों को क्या लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे ? वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे।

लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं। लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके। चारपाई बनाना एक कला है। उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।

जब हम सोते हैं, तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है; क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।

दुनिया में जितनी भी आरामकुर्सियां देख लें , सभी में चारपाई की तरह जोली बनाई जाती है। बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था , लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया है। चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही होता है। दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है।

डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है , उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं , वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती। चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है। खटिये को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं।

अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो तीन दिन में उसको English Bed पर लेटने से Bed -Soar शुरू हो जाता है । भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है । चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है ।

गर्मियों में इंग्लिश Bed गर्म हो जाता है इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती है जबकि सनातन चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है। बान की चारपाई पर सोने से सारी रात अपने आप सारे शारीर का एक्स्युप्रेशर होता रहता है ।

गर्मी में छत पर चारपाई डालकर सोने का आनद ही और है। ताज़ी हवा , बदलता मोसम , तारों की छाव ,चन्द्रमा की शीतलता जीवन में उमंग भर देती है । हर घर में एक स्वदेशी बाण की बुनी हुई (प्लास्टिक की नहीं ) चारपाई होनी चाहिए ।

सस्ते प्लास्टिक की रस्सी और पट्टी आ गयी है , लेकिन वह सही नही है। स्वदेशी चारपाई के बदले हजारों रुपये की दवा और डॉक्टर का खर्च बचाया जा सकता है। अगर हमे स्वस्थ रहना है तो खानपान पर विशेष ध्यान देना होता है ।

■ भोजन मिट्टी या ताँबे, पीतल के बर्तन मे बनाना चाहिए।

■ फ्रीज की जगह मिट्टी के मटके का पानी पीना चाहिए ।
फ्रीज की जगह मटका, प्लास्टिक की जगह लकडिय़ों की टोकरी मे शाक-भाजी रखना चाहिए ।

शिशु से लेकर बुजुर्गों तक के अलग-अलग आहार-विहार स्वास्थ्य के हिसाब से सुनिश्चित है। इसी प्रकार त्यौहार और उत्तसवो तक की परंपरा ,रीति-रिवाजों मे गूड़ रहस्य छीपा हुआ है । इसलिए दोस्तों सनातन धर्म और पुरातन प्राचीन परंपराओं पर हँसे नहीं ,हमारे पुरखे पागल नहीं थे जो ईतने रीति-रिवाज और त्यौहार परंपरा बनाई …!!!

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