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आधी रात होता है पैर, अंगूठे या टखने में दर्द तो ना करें इग्नोर

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आधी रात अचानक पैर, अंगूठे या टखने में दर्द महसूस होता है तो उसे इग्नोर ना करें क्योंकि यह गाउट का संकेत हो सकता है। गाउट गठिया का ही एक प्रकार है, जिसमें मांसपेशियों व हड्डियों पर असर पड़ता है। इसके कारण सिर्फ पैर ही नहीं बल्कि घुटनें व कलाई में भी अहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। मामूली समझकर इसपर ध्यान ना देना ही आपकी सबसे बड़ी लापरवाही है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह बीमारी और कैसे रखें इसपर कंट्रोल….

क्या है गाउट की समस्या?
खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से यह रोग होता है, जिसे वातरक्त भी कहा जाता है। शरीर में यूरिक एसिड के क्रिस्टल बनकर हड्डियों के जोड़ों में जम जाते हैं, जो सूजन, असहनीय दर्द को पैदा कर देते हैं। यह पैर की उंगलियों के सबसे बड़े जोड़ यानि अंगूठे पर ज्यादा असर डालते हैं।

. जोड़ों में 4 से 12 घंटे तेज दर्द
. सुस्ती और बेचैनी
. जोड़ों में सूजन और लालपन
. एड़ी व टखनों में तेज दर्द
. कलाई, कोहनी, अंगुलियों में दर्द

किन लोगों को होती है अधिक समस्या?
. जिन लोगों में ट्रायग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ा हो
. हाइपरटेंशन व मोटापे से ग्रस्त लोग
. विविध गुर्दों के रोगों से पीड़ित मरीज
. एंटीबायोटिक्स, डाइयूरेटिक औषधियां, कीमोथैरेपी लेने वालों में इसकी संभावना ज्यादा होती है।

रक्त में जब यूरिक ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है, तो यह रोग पैदा होता है। यूरिक ऐसिड हमारे शरीर की विविध चयापचयिक क्रियाओं के कारण पैदा होता है, जिसका निर्माण कुछ खास प्रकार के आहारों से होता है। इस रोग को चिकित्सकीय भाषा में गाउट नाम से जाना जाता है। सामान्यतया मूत्र उत्सर्जन के माध्यम से शरीर से यूरिक ऐसिड बाहर होता रहता है। लेकिन कुछ लोगों में यूरिक ऐसिड की उत्पत्ति बहुत ही अधिक मात्रा में होने लगती है, तथा जो शरीर से उसी अनुपात से मूत्र के द्वारा बाहर नहीं हो पाता है। बहुधा यही बढ़ा हुआ यूरिक ऐसिड नुकीले सुई जैसे क्रिस्टल्स का रूप लेकर विविध जोड़ों के इर्दगिर्द इकट्ठे होकर उस जोड़ के आसपास सूजन, तीव्र दर्द को पैदा कर देते हैं। आयुर्वेद में इस रोग को वात-रक्त नाम से जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि उत्पत्ति में वायु और रक्त की भूमिका होने से ही इसे वात-रक्त नाम से जाना जाता है।

गाउट (Gout) गठिया या सूजन का एक रूप है जिसकी वजह से जोड़ों में तेज दर्द, लालिमा और सूजन होती है। इस बीमारी से पैर की बड़ी उंगुली सबसे ज्यादा प्रभावित होती है, लेकिन गाउट पैर (घुटने, टखने, पैर के निचले हिस्से) के अन्य जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा हाथ (कलाई और कोहनी) में भी इसका प्रभाव देखा जाता है। रीढ़ में इस बीमारी का प्रभाव शायद ही कभी दिखता है।

सामान्य भाषा में शरीर में यूरिक एसिड के जमने या बढ़ते स्तर को गाउट यानी गठिया कहा जाता है। गठिया सबसे अधिक लोगों के पैरों को प्रभावित करता है। यदि आप गाउट से ग्रस्त हैं तो आपको अपने पैरों के जोड़ों में सूजन और दर्द महसूस हो सकता है। अचानक व तीव्र दर्द या गाउट अटैक होने पर व्यक्ति का पैर जलने जैसा प्रतीत हो सकता है।

गाउट के कारण
1. गलत खान जैसे नमकीन, खट्टी व खारी चीजें, चिकन, अरबी, आलू, मूली, जमीकंद, दही, कांजी, सिरका, शराब और गर्म फूड्स का अधिक सेवन गाउट का कारण बन सकता है।
2. इसके अलावा देर रात डिनर करना, अपच, अधिक गुस्सा, दिन में सोने की आदत और देर रात जागना भी गाउट की समस्या पैदा करते हैं।

कैसे करें उपचार?
1. सुबह सवेरे उठते ही सबसे पहले कुल्ला किए बिना दो गिलास पानी पीएं। इससे यूरिक एसिड कंट्रोल में रहेगा। साथ ही दिनभर में कम से कम 9-10 गिलास पानी जरूर पीएं।
2. डाइट में साबुत अनाज, ताजे मौसमी फल, मुनक्का, आंवला, देसी घी, दूध, बथुआ, चौलाई, करेला, अदरक, लहसुन, प्याज, जमीकंद, आलू आदि शामिल करें।
3. बेकरी उत्पाद, फैंच बीन, बैंगन, मशरूम, पनीर, सूखे मेवे, खमीरी आटा, सत्तू, मूली, अरबी, अचार, चाय, काॅफी, मांस, मछली, शराब, फास्टफूड, उड़द की दाल, बाजरा, मिठाईयां, पापड़ आदि से दूर रहें। साथ ही ऐसी चीजों से भी दूर रहें, जो यूरिक एसिड बनाती हो।
4. गिलोय जूस, चूर्ण या काढ़ा पीने से भी गाउट की समस्या कंट्रोल में रहती है।
5. नियमित व्यायाम करें। साथ ही जोड़ों पर ज्यादा तनाव डालने वाली गतिविधियों से बचें।

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