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सनातन भारतीय कालगणना की व्यापकता एवं विशिष्टता

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भक्त एवं संत तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तरकांड में गरुड़ जी से काकभुशुंडि जी कहते हैं –
इहां बसत मोहि सुनु खग ईसा।
बीते कलप सात अरु बीसा।।
हे पक्षीराज ! सुनिए , मुझे यहां निवास करते हुए सताईस कल्प बीत गए। 27 कल्प याने कितनी अवधि ?
समय की वृहत्तम इकाई है – कल्प।

समय की वृहत्तम इकाई – कल्प का उल्लेख शुभ मंगल कार्य करने हेतु हम हिन्दुओं द्वारा लिए गए संकल्प में होता है।
ॐ अद्य ब्रह्मणो द्वितीय परार्द्धे श्वेतवाराह कल्पे वैवस्वत मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलि प्रथम चरणे ——— से संकल्प प्रारंभ होता है।

ब्रह्मा जी की आयु एक 100 वर्ष है। ब्रह्मा जी की आयु को ” पर ” कहते हैं । 50 वर्ष को परार्द्ध कहते हैं। संकल्प के अनुसार जिस सृष्टि में हम सभी जीवन बिता रहे हैं , उसमें ब्रह्मा की आयु 50 वर्ष से ऊपर हो गई है । इसलिए ” ब्रह्मणो द्वितीय परार्द्धे “कहा गया है।
इसके बाद श्वेतवाराह कल्पे कहा गया है अर्थात् अभी श्वेत वाराह कल्प चल रहा है।
ब्रह्मा जी का एक अहोरात्र (दिन – रात) एक कल्प कहलाता है।
एक कल्प में 14 मन्वंतर होते हैं। इस कल्प का वर्तमान में सातवां मन्वन्तर चल रहा है , जिसका नाम वैवस्वत मन्वंतर है।
एक मन्वन्तर में 71 चतुर्युग होते हैं। 71 चतुर्युगों में से 27 चतुर्युग बीत चुके हैं तथा 28 वीं चतुर्युग चल रहा है।

कृतं त्रेता द्वापरं च कलिश्चेति चतुर्युगम्।
— भागवत महापुराण
एक चतुर्युग में चार युग होते हैं – 1. कृतयुग (सत्ययुग) 2. त्रेतायुग 3. द्वापरयुग तथा 4. कलियुग।
28 वीं चतुर्युग के भी सत्ययुग , त्रेता युग एवं द्वापर युग बीत कर कलियुग चल रहा है।
उपर्युक्त संकल्प का यह सरल अर्थ हुआ।

सत्ययुग =1728000 वर्ष त्रेतायुग = 1296000 वर्ष
द्वापरयुग = 864000 वर्ष कलियुग = 432000 वर्ष।
अतः एक चतुर्युग = 4320000 वर्ष।
एक कल्प = 1000 चतुर्युग (14 मन्वंतर × 71 चतुर्युग + संध्या तथा सांध्य वर्ष ) = 4320000 × 1000 =
4320000000 वर्ष।

कलियुग का कौन-सा वर्ष चल रहा है ?
कलियुग के प्रारंभ में सूर्य सहित 7 ग्रह एक ही राशि में थे। यह घटना महाभारत युद्ध के बाद हुई थी। महाभारत में उल्लेख है –
ततो दिनकरैदीप्तै: सप्तभिमनुजाधिप।

यूरोप के प्रख्यात ज्योतिषविद बेली गणित की सहायता से इसका निर्धारण किया कि सातों ग्रह एक ही सरल रेखा में कब थे ?
इस घटना का विवरण Theogony of the Hindus by count Bjornotjerna के 32 पृष्ठों के लेख में लिखा है कि ईसा के जन्म के 3102 वर्ष पूर्व कलियुग का प्रारंभ हुआ अर्थात् कलिसंवत (कलि युगाब्द) ईसा के जन्म के 3102 वर्ष पहले भारत में प्रचलित था।
वर्तमान में कलि युगाब्द 5125 चल रहा है। आगामी 9 अप्रैल 2024 से कलि युगाब्द 5126 प्रारंभ हो जाएगा। श्रीमद् भागवत महापुराण के तृतीय स्कंध के एकादश अध्याय में काल-विभाजन का विस्तार पूर्वक वर्णन दिया गया है

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