इस ख़बर को शेयर करें:
भारत में सनातन धर्म के कई लोग हर मंगलबार को सुंदरकाण्ड का पाठ करते हैं। सुंदरकाण्ड का पाठ करने से कई लाभ मिलते हैं। वैसे सुंदरकांड का पाठ खुद ही करना चाहिए। किंतु ऐसा नहीं हो सके तो जो लोग सुंदरकाण्ड का पाठ करते हैं उन्हें सप्ताह में एक बार घर बुलाकर पाठ करवाना चाहिए।
महर्षिपं वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण पर आधारित तुलसीकृत महाकाव्य रामचरित मानस का पंचम सोपान है सुंदरकाण्ड।
– विकट परिस्थितियों में सुंदरकांड पाठ करने की सलाह दी जाती है। जीवन में किसी प्रकार को समस्या उत्पन्न होती है तो आप संकल्प लेकर लगातार सुंदरकांड का पाठ करें अनेक सैकड़ों समस्याओं का समाधान तुरंत मिलने लगता है। विचारात्मक उन्नति का संचार होने लगता है। वह व्यक्ति किसी भी काम में अपनी रुचि दिखाता है तो उसमें सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
-सुंदरकाण्ड का पाठ करने से व्यक्ति के मन से भय जात्ता रहता है और आत्मविश्वास एवं इच्छाशक्ति प्रबल हो जाती है।
-सुंदरकाण्ड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूणर करने वाला माना गया है। किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो।
-सुंदरकाण्ड के 5 पाठ से यह संकट तुरंत ही दूर हो जाता है।
– श्रीरामचरित्र मानस को रचने वाले गोस्वामी तुलसीदास जी अनुसार हनुमान जी को जल्द प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ रामबाण उपाय है।
-सुंदरकांड पाठ करने वालों के जीवन में खुशियों का संसार होता है और आपका जीवन सुखमय होता है। सुंदरकांड करने वाले व्यक्ति के अंदर सकारात्मक और गृहकलेश दूर होता है और परिवार में खुशियां चढ़ती हैं। नियमित पाठ करने से कर्ज और रोग से छुटकारा मिलता जाता है।
-सुंदरकांड के पाठ से भूत, पिशाच, यमराज, शनि राहु, केतु, ग्रह-नक्षत्र आदि सभी का भय दूर हो जाता है।
-. हनुमानजी के सुंदर काण्ड का पाठ माह में एक वार जरूर करना चाहिए।
सुंदरकांड का पाठ 11, 21, 31 और 41 दिन का होता है। किसी निश्चित समय पर देशी घी का दीपक जलाकर सात पीपल के पत्ते और लड्डू हनुमानजी के चरणों में रखकर सुंदरकांड का पाठ करें। फिर पीपल के पत्तों की माला बनाकर हनुमान जी के मंदिर में चढ़ा दें। जितने दिन का अनुष्ठान होगा, उतनी ही अवधि के पीपल के पत्तों की माला (11, 21, 31 और 41) बनाकर हनुमान जी को अर्पित करें। ध्यान रखें कि सुंदरकांड पाठ प्रतिदिन हो। पत्तो के ऊपर राम नाम लिख सकते है। 🙏🏻