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‘ॐ’ में समाया है ब्रह्मांड का रहस्य, जाने कहां से हुई “ॐ” की उत्पत्ति

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ॐ की उत्पत्ति कहां से हुई (Origin Of Word “OM”)
हिंदू धर्म के अनुसार, ॐ को ब्रह्मांड का प्रणव शब्द कहा जाता हैं जिसके बाद ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। यहाँ प्रणय से अर्थ सर्वप्रथम से है। ब्रह्मांड लगातार फैलाव कर रहा है व वहां सब गतिमान है चाहे वह सूर्य तारा हो या आकाशगंगाएं। इस ब्रह्मांड में लाखों तारे व आकाशगंगाएं है जो हमेशा गति करते रहते है और फैलते रहते है व अंत में ब्लैक होल में समा जाते है। ब्रह्मांड में जो ध्वनि हमेशा गुंजायेमान रहती हैं उसी ध्वनि को ही ‘ॐ’ कहा गया है। यह बात कई वैज्ञानिक शोधों से सत्य भी प्रमाणित हो चुकी हैं। वर्षो पहले हमारे ऋषि मुनियों ने इस शब्द की व्याख्या कर दी थी और बता दिया था कि इसका संबंध सीधे ब्रह्मांड अर्थात ईश्वर से हैं जो सर्वत्र विद्यमान हैं।

ओम (ॐ) का अर्थ क्या होता है या ॐ का सही उच्चारण
ॐ या ओम शब्द तीन अक्षरों के मेल से बना हैं जो स्वयं ब्रह्मा, विष्णु व महादेव का प्रतिनिधित्व करते है। इसका सर्वप्रथम अक्षर “अ” हैं जो मुख से निकलने वाला प्रथम अक्षर हैं व इसके उच्चारण से नाभि पर बल पड़ता हैं जो हमारी रचना को दर्शाता हैं। जब हम गर्भ में होते हैं व जन्म लेते हैं तब हम अपनी माँ के द्वारा गर्भनाल से जुड़े होते हैं जो हमारी नाभि से निकलती हैं। हम अपना खाना-पीना सब इसी से प्राप्त करते हैं। जन्म लेने के बाद चिकित्सक इसे काट देते हैं अर्थात यह स्वयं ब्रह्म का प्रतीक हैं जो हमारे रचियता है।

  • ॐ शब्द का दूसरा अक्षर “उ” होता हैं (OM Ka Ucharan Kaise Kare) जो हमारे हृदय से निकलता हैं जो हमारे जीवन यापन का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात यह विश्व के पालनहार भगवान विष्णु से संबंध रखता हैं।
  • ॐ शब्द का अंतिम शब्द “म” होता हैं जो हमारे कंठ से निकलता हैं व वहां कम्पन्न उत्पन्न करता हैं। कंठ भगवान शिव से संबंध रखता है जो हमारे जीवन चक्र के समाप्ति का प्रतीक (OM Shabd Ki Vyakhya Kijiye) हैं।
  • इस तरह से ॐ का उच्चारण करने से हम ब्रह्मा, विष्णु व महेश का आह्वान करते (OM Shabd Ka Ucharan Kaise Kare) है। इसी कारण इस शब्द को हमारे धर्म में सबसे ज्यादा महत्ता दी गयी है व हर मंत्र से पूर्व इसका उच्चारण करने को कहा गया है।

ॐ शब्द की विशेषता (OM Ke Ucharan Ke Fayde)
ॐ एक ऐसा शब्द हैं जिसका उच्चारण करने से हम अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार देख सकते हैं। यदि इसका उच्चारण किसी शांत स्थल पर किया जाये तो हम अपने अंदर किसी अद्भुत ऊर्जा का संचार देख सकते (OM Mantra Hindi) हैं। योग में भी इसको बहुत ज्यादा महत्त्व दिया गया (OM In Yoga) हैं क्योंकि ॐ शब्द के उच्चारण के बिना योग अधूरा माना जाता हैं। पुराने समय में भी ऋषि मुनि जब पर्वतों पर जाकर तपस्या करते थे तो वे इस शब्द का उच्चारण करके स्वयं को ब्रह्मांड से जोड़ने का यत्न करते थे। इस मंत्र के लगातार जाप से व एकाग्र मन से हम सीधे ब्रह्मांड से जुड़ सकते हैं क्योंकि यही ब्रह्मांड की ध्वनि हैं। ॐ एक ऐसा शब्द हैं जिसकी कोई उत्पत्ति या अंत नही हैं व बाकि हर शब्द या अक्षर, इसी ॐ शब्द के अक्षरों के सम्मलेन से बनते हैं।

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ॐ बोलने के फायदे व महत्व (OM Chanting Benefits In Hindi)

1. ॐ बोलने के फायदे: मानसिक शांति (OM Bolne Ke Fayde)
यदि आप तनाव से ग्रस्त है या अवसाद में हैं तो ॐ इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए आप एकाग्र मन से कुछ देर आँखे बंद करके ॐ मंत्र का जाप करे जिससे आपके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा व आपका मन शांत होगा। इससे मनुष्य को मानसिक शांति की अनुभूति होती है व उसका मानसिक विकास होता हैं।

2. ॐ जाप के फायदे: सुचारू रक्तसंचार (OM Jaap Ke Fayde)
यह आपके शरीर में रक्त के सुचारू प्रवाह में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका निरंतर व प्रतिदिन जाप करने से आपके शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से बना रहता है जिससे आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।

3. ॐ उच्चारण के फायदे: अनिद्रा की समस्या में
यदि आप नींद ना आने या कम नींद आने की समस्या से परेशान हैं तो इसमें भी यह मंत्र आपकी मदद कर सकता हैं। रात को सोते समय आप इस मंत्र का शांत मन से उच्चारण करे व इसे 10 मिनट तक करे। इससे आपको नींद तो आएगी ही बल्कि आप नकारात्मक स्वप्नों से भी दूर रहेंगे।

4. ओम बोलने के फायदे: मजबूत चेतना (OM Ka Jaap Ke Fayde)
जब हम ॐ मंत्र का जाप करते हैं तो इससे हमारा मन मस्तिष्क एकाग्र होता हैं व हमारी बुद्धि तेज बनती है। इसका निरंतर जाप करते रहने से आपकी याददाश्त में बढ़ोत्तरी होती हैं व आपकी चेतना मजबूत होती हैं।

5. ओम जाप के लाभ: ह्रदय व फेफड़ों की मजबूती (OM Bolne Ke Labh)
इस मंत्र में आप जिन अक्षरों का उच्चारण करते हैं वे हमारे कंठ, ह्रदय व नाभि में कम्पन्न करते हैं जो हमारे शरीर के अंगों को स्वस्थ रखते हैं। इससे आपके फेफड़े पहले की अपेक्षा में मजबूत बनते हैं व आपका ह्रदय स्वस्थ रहता हैं।

संतान प्राप्ति के लिए ॐ का जाप
कोशीतकी एक ऋषि थे, उनकी कोई संतान नहीं थी, संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने सूर्य का ध्यान लगाया और ॐ का जाप किया। ॐ का जाप करने से उन्हें पुत्र रत्न मिला। गोपथ ब्रहामण ग्रंथ में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति कुश के आसन पर बैठ कर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके एक हजार बार ॐ का जाप करेगा उसके सभी काम आसानी से पूरे होंगे।

उच्चारण की विधिः सुबह उठकर नित्य काम करके, ॐ नाम का जाप करें। पद्मासन,अर्धपद्मासन,सुखासन और वज्रासन की अवस्था में बैठकर ॐ शब्द का उच्चारण करें। 5 से21 बार 5 से 21 बार करें।उच्चारण तेज बोलकर भी कर सकते है और धीरे धीरे बोलकर भी कर सकते है। माला द्वारा भी ॐ का जाप कर सकते है। ॐ का उच्चारण करने से बहुत अधिक शांति मिलती है।

‘ॐ’ यह है एक पवित्र ध्वनि
अनंत शक्ति का प्रतीक…ब्रह्माण्ड का सार माना गया है ओम यानि ‘ॐ’ को। ब्रह्माण्ड की सबसे महत्त्वपूर्ण और प्रभावी ध्वनियों में से एक माना गया है ओम को। ओंकार ब्रह्मनाद है, इसके उच्चारण व जाप से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। ओम ध्वनि एक शाश्वत ध्वनि है। ओम एक ऐसी ध्वनि है, जो किसी ने बनाई नहीं है। जो ध्वनि टकराहट से पैदा नहीं होती, वह स्वयंभू ध्वनि है। इसे ही ‘अनहद नाद’ कहते हैं। ‘नाद’ का मतलब ध्वनि होता है। यह ईश्वर की ध्वनि है।

ॐ तीन अक्षरों से बना हुआ है; अ, उ और म। अ से आदि कर्ता ब्रह्म का बोध होता है, उ से विष्णु भगवान का बोध होता है जबकि म से महेश का बोध होता है। यानी ॐ सम्पूर्ण जगत का नेतृत्व करता है। ॐ बोलने से गले में कंपन उत्पन्न होता है, इससे थायराइड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

‘ॐ’ का उच्चारण करते वक्त कुछ विशेष सावधानियां :-

  • ‘ॐ’ का उच्चारण प्रातः उठकर पवित्र होकर करना चाहिए।
  • ‘ॐ’ का उच्चारण हमेशा स्वच्छ और खुले वातावरण में ही करना चाहिए।
  • ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर करना चाहिए।
  • ॐ का उच्चारण जोर से बोलकर और धीरे-धीरे बोल कर भी किया जा सकता है। ‘ॐ’ जप माला से भी कर सकते हैं।
  • ‘ॐ’ का उच्चारण 5,7,11 या 21 बार करना चाहिए।

ॐ शब्द का उच्चारण करने से हमें कई शारीरिक लाभ:-

  • ॐ का उच्चारण करने से पूरे शरीर की थकान कम हो जाती है।
  • ॐ का उच्चारण करने से तनाव मिट जाता है। ॐ का जाप करने से हमारे शरीर की थकान एकदम से दूर हो जाती है।
  • जब कभी भी हमें गभराहट महसूस होने लगे या उतावलापन महसूस होने लगे तो हमें ॐ का उच्चारण करने से बहुत लाभ मिलता है।
  • तनाव के कारण हमारे शरीर में जो द्रव्य पैदा हो जाते हैं ॐ के जाप द्वारा वो सब नियंत्रित हो जाते हैं।
  • ॐ का उच्चारण करने से हमारी जो खाना पचाने की ताकत होती है वह और अधिक हो जाती ह। ॐ का जाप करने से हमारा ह्रदय सुचारू तरीके से कार्य करता है और खून के प्रवाह का संतुलन बना रहता है।
  • ॐ का जाप करने से हमें शक्ति व् स्फूर्ति प्राप्त होती है, प्राणायाम के साथ ॐ का जाप करने से हमारे फेफड़े ताकतवर बनते है। जब हम ॐ के दूसरे शब्द का उच्चारण करते हैं तो इससे हमारे गले में जो थाईराइड ग्रन्थि है उसको ताकत मिलती है।
  • अगर किसी को नींद ना आने की परेशानी हो तो ॐ का जाप करने से यह परेशानी कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है। रात को जब सोने के लिए लेटें तो कुछ देर तक ॐ का जाप करें. ऐसा करने से बहुत अच्छी नींद आती है।
  • जब हम ॐ की पहले शब्द का उच्चारण करते हैं, तो इससे हमारे शरीर में कंपन पैदा हो जाता है. इस कंपन से हमारी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है, और इसकी काम करने की शक्ति अधिक हो जाती है।
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