इस ख़बर को शेयर करें:
।। श्रीआञ्जनेयमङ्गलाष्टकम् ।।
वैशाखे मासि क्रुष्णायां दशम्यां मन्दवासरे।
पूर्वाभाद्रा प्रभूताय मङ्गलं श्रीहनूमते।।
करुणारस पूर्णाय फलापूप प्रियाय च।
माणिक्य हार कण्ठाय मङ्गलं श्रीहनूमते।।
सुवर्चला कलत्राय चतुर्भुज धराय च।
उष्ट्रा रूढाय वीराय मङ्गलं श्रीहनूमते।।
दिव्य मङ्गल देहाय पीताम्बर धराय च।
तप्त काञ्चन वर्णाय मङ्गलं श्रीहनूमते।।
भक्त रक्षन शीलाय जानकि शोक हारिणे।
स्रुष्टि कारण भूताय मङ्गलं श्रीहनूमते।।
रम्भा वन विहाराय गन्ध मादन वासिने।
सर्व लोकैक नाथाय मङ्गलं श्रीहनूमते।।
पञ्चाननाय भीमाय कालनेमि हराय च।
कौण्डिन्य गोत्र जाताय मङ्गलं श्रीहनूमते।।
केसरीपुत्र दिव्याय सीतान्वेष पराय च।
वानराणां वरिष्टाय मङ्गलं श्रीहनूमते।।
।। ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।।
ज्यादा पसंद की गई खबरें:
आदि शंकराचार्य का दर्शन और अद्वैतवाद
कर्मानुसार सुख एवं दुख
महर्षि अंगिरा के वंशज और संहिताकार महर्षि पतंजलि
6 दिसंबर अयोध्या की रात का वो मंजर जिसकी सुबह ने एक नया इतिहास लिख दिया
ईश्वर और माया और सर्प से जुड़ी जानकारी
हिन्दू धर्म में एक गोत्र में विवाह न करने का कारण..?
शिव पार्वती विवाह स्थल - त्रियुगीनारायण मंदिर
आखिर क्यों पैर छूकर किया जाता है नमस्कार ? जानिए इसका धर्मिक महत्व एवं तरीका