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पहली फिल्म मे गीतकार हसरत जयपुरी के कामयाबी की हो गई बरसात

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“तू झरोखे से जो झांके तो मैं इतना पूछूं। मेरे महबूब मैं तुझे प्यार करूं या ना करूं।” ये वो पहला शेर था जो हसरत जयपुरी साहब ने अपने घर की बालकनी में बैठकर सामने के घर में रहने वाली एक लड़की के लिए लिखा था। ये अलग बात है कि उस लड़की संग इनका इश्क मुकम्मल ना हो सका। काम की तलाश में इन्हें जयपुर से बॉम्बे का रुख करना पड़ा। और बॉम्बे में ये बस कंडक्टर बन गए।

इन्हें अपनी उस नौकरी से बड़ा लगाव हो गया था। आठ सालों तक ये बस कंडक्टर की वो नौकरी करते रहे। नौकरी के साथ-साथ अपने बचपन के शौक शायरी को भी ये जीते रहे। शायरी लिखते रहे और मुंबई में होने वाले मुशायरों में पढ़ते रहे। इनके कुछ शेर अखबारों में भी छप गए थे।

हसरत साहब रोमांटिक शायरियां लिखा करते थे। अखबारों में छपी उनकी कुछ शायरियां एक दिन राज कपूर ने भी पढ़ ली। उन्होंने हसरत जयपुरी को मिलने के लिए बुलवाया और कहा कि मैं बरसात नाम की एक फिल्म बना रहा हूं। तुम तो रोमांस पर लिखते हो। मैं चाहता हूं कि तुम मुझे अपनी कुछ रोमांटिक शायरियां सुनाओ। तब हसरत जयपुरी ने राज कपूर को सुनाया,”ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर तुम नाराज़ ना होना। तुम मेरी ज़िंदगी हो। तुम मेरी बंदगी हो।” राज कपूर को हसरत साहब की ये शायरी बड़ी पसंद आई। उन्होंने हसरत साहब से कहा कि तुम इसे मेरे लिए रख लो। इसे मैं अपनी एक दूसरी फिल्म में इस्तेमाल करूंगा।

उसके बाद राज कपूर ने शंकर-जयकिशन जी को बुलाया और उन्हें हसरत जयपुरी साहब से मिलवाया। राज साहब ने हसरत जी से कहा कि तुम्हें इनके साथ काम करना है। मैं अपनी एक टीम बनाकर फिल्मेें बनाना चाहता हूं। उसके बाद शंकर-जयकिशन ने हसरत जी को धुनें सुनाई। राज कपूर ने इनसे कहा कि एक इंतज़ार की कविता लिखनी है और एक बिछड़ने की कविता लिखनी है। उस दिन के बाद हसरत जयपुरी अक्सर नौकरी के बाद राज कपूर से मिलने आते और उन्हें अपनी लिखी शायरियां और कविताएं पढ़कर सुनाते।

राज कपूर ने जब नोटिस किया कि अगर हसरत नौकरी छोड़कर फुल टाइम उनके साथ जुड़ जाएं तो वो और बेहतर लिख सकते हैं। उन्होंने हसरत जयपुरी जी को तीन सौ रुपए महीना तनख्वाह पर अपने यहां काम करने को कहा। हसरत जयपुरी जी ने भी राज कपूर की वो पेशकश कबूल कर ली। और इस तरह हसरत जयपुरी जी का फिल्मी सफर शुरू हो गया। बरसात फिल्म के लिए इन्होंने जो सबसे पहला गीत लिखा था उसके बोल थे,’जिया बेकरार है। छाई बहार है। आजा मोरे बालमा तेरा इंतज़ार है।’ ये गीत लता जी ने गाया था। और इसे निम्मी पर फिल्माया गया था।

आज हसरत जयपुरी साहब का जन्मदिवस है। 15 फरवरी 1922 को जयपुर में इनका जन्म हुआ था। इनका असली नाम इकबाल हुसैन था। हसरत इनका तख़ल्लुस यानि पैन नेम था। पहली फिल्म बरसात से ही हसरत जयपुरी को कामयाबी मिलनी शुरू हो गई थी। गीतकार शैलेंद्र और हसरत जयपुरी राज कपूर की टीम का अभिन्न हिस्सा थे। हसरत जयपुरी जी के बारे में बहुत कुछ लिखा जा सकता है। एक पोस्ट में सब लिखना मुमकिन नहीं। इसलिए फिलहाल इस पोस्ट को यहीं पर विराम देता हूं। 

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