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शशि कपूर की साली फ़ेलिसिटी केंडल अपनी आत्मकथा ‘वाइट कार्गो’ में लिखती हैं, “शशि कपूर से ज़्यादा फ़्लर्ट करने वाला शख़्स मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा. इस मामले में वो किसी को बख़्शते नहीं थे, लकड़ी के लट्ठे को भी नहीं. वो बहुत दुबले-पतले शख़्स थे लेकिन उनकी आँखें बहुत बड़ी-बड़ी थीं. उनके बड़े बाल सबको उनका दीवाना बना देते थे. उनके सफ़ेद दाँतो और डिंपल वाली मुस्कान का तो कहना ही क्या! उस पर सफलता की अकड़ तो उनमें थी ही.”
शबाना आज़मी का मानना है कि शशि कपूर को उनकी अच्छी शक्ल की वजह से नुकसान हुआ.
वे कहती हैं, “दरअसल इस असाधारण आकर्षक शख़्स को देखकर लोग ये भूल जाते थे कि वो कितने बेहतरीन अभिनेता भी थे.”
श्याम बेनेगल ने शशि कपूर को जुनून और कलयुग में निर्देशित किया था. वे कहते हैं, “शशि असाधारण अभिनेता थे लेकिन उन्हें अमिताभ बच्चन की तरह की फ़िल्में नहीं मिल पाईं जिनसे उन्हें स्टार और अभिनेता दोनों का तमग़ा मिल पाता. उनको हमेशा एक रोमांटिक स्टार के रूप में देखा गया. लोगों की नज़रें हमेशा उनके चेहरे की तरफ़ गईं. भारतीय फ़िल्म जगत में उन जैसा ख़ूबसूरत अभिनेता उस समय नहीं था. नतीजा ये हुआ कि उनका अभिनय बैकग्राउंड में चला गया और वो सुपर हीरो नहीं बन पाए.”
मशहूर निर्देशक कुमार शाहनी ने भी कहा था, “भारतीय निर्देशकों ने शशि कपूर का पूरी तरह से फ़ायदा नहीं उठाया. शशि कपूर में भी वो ‘किलर इंस्टिंक्ट’ भी नहीं था जो किसी अभिनेता को चोटी पर पहुंचाता है.”
●जैनिफ़र और शशि कपूर साथ-साथ रखते थे करवाचौथ का व्रत
जैनिफ़र कपूर नास्तिक थीं लेकिन वो अपने सास ससुर को खुश करने के लिए सभी तरह के व्रत रखा करती थीं. उनकी ये भी कोशिश होती थी कि उनके बच्चों में भारतीय संस्कार आएँ.
मधु जैन अपनी किताब ‘द फ़र्स्ट फ़ैमिली ऑफ़ इंडियन सिनेमा, कपूर्स’ में लिखती हैं, “जैनिफ़र अपनी सास की तरह करवाचौथ का व्रत रखा करती थीं. दिलचस्प बात ये है कि पृथ्वीराज कपूर और शशि कपूर भी अपनी पत्नी के साथ करवाचौथ का व्रत रखते थे. जैनिफ़र ने अपनी सास की ज़िंदगी तक ये व्रत रखना जारी रखा.”