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टैक्स प्लानिंग करके कैसे बचाएं टैक्स ?

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भारत में जब भी किसी पर्सन की पुरे वर्ष में इनकम 2.5 लाख से अधिक होती है तो वह इनकम टैक्स के दायरे में आ जाता है। इस इनकम से अधिक इनकम होने पर किसी पर्सन को टैक्स देना ही होता है। अधिकतर लोग इनकम टैक्स के डर से अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में 2 .5 लाख से कम इनकम रिपोर्ट करते है। लेकिन इनकम टैक्स एक्ट में कुछ ऐसी डिडक्शन भी प्राप्त होती है जो कि अधिकतर लोगों को प्राप्त होती है लेकिन इन डिडक्शन के बारे में नहीं जानने की वजह से वे उन्हें क्लेम नहीं कर पाते है। ऐसी कुछ डिडक्शन के बारे में हम यहाँ पर चर्चा करेंगे।

इनकम टैक्स डिडक्शन

  • जीवन बीमा प्रीमियम के भुगतान की छूट,
  • बच्चो की स्कूल फीस की छूट
  • नेशनल पेंशन स्कीम में अंशदान की छूट,
  • होम लोन के प्रिंसिपल और इंटरेस्ट के भुगतान की छूट ,
  • सुकन्या समृद्धि योजना में भुगतान की छूट
  • प्रोविडेंट फण्ड में अंशदान की छूट
  • सेविंग बैंक अकाउंट के ब्याज की छूट
  • मेडिकल प्रीमियम की छूट
  • मेडिकल खर्चो की छूट
  • माता -पिता के मेडिकल प्रीमियम की छूट
  • निर्धारित संस्थानों को दिए गए डोनेशन की छूट
  • उच्च शिक्षा के लिए लोन के इंटरेस्ट के भुगतान की छूट
  • मकान के किराये के भुगतान की छूट
  • टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपाजिट या म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट की छूट

अपने आयकर भुगतान को कम करने और बचाने के लिए, हम कई गलतियों को सुधार करते हैं, जो हमारे वित्तीय भविष्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं।

1. धन सृजन को महत्व नहीं देना

टैक्स सेविंग कभी भी निवेश का प्राथमिक कारण नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, आपको हमेशा अपने दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों के साथ कर नियोजन प्रक्रिया को संरेखित करना चाहिए। अंगूठे के एक नियम के रूप में, उपलब्ध निवेश लाभों के अलावा रिटर्न, तरलता और जोखिम जैसे मापदंडों पर ईएलएसएस, पीपीएफ, एनपीएस इत्यादि जैसे विभिन्न निवेश रास्ते की तुलना करें। ऐसा करने से कर बचत और धन सृजन का दोहरा उद्देश्य पूरा होगा।

2. पारंपरिक साधनों के लिए अपने कर-बचत पोर्टफोलियो को प्रतिबंधित करना

अधिक बार नहीं, करदाताओं के एक बड़े हिस्से का जोखिम वाला स्वभाव बाजार से जुड़े उपकरणों में निवेश करने से रोकने में समाप्त हो जाता है, भले ही ईएलएसएस जैसे उपकरण पीपीएफ, टैक्स सेवर एफडी, एनएससी जैसे पारंपरिक लोगों की तुलना में अधिक रिटर्न प्रदान करते हैं। आदि धारा 80 सी के तहत कर लाभ के अलावा, ईएलएसएस लंबी अवधि में मुद्रास्फीति की धड़कन रिटर्न प्रदान करता है, जो आमतौर पर अपने कर बचतकर्ताओं की तुलना में बहुत अधिक होता है।

3. पिछले मिनट की टैक्स प्लानिंग पर बार-बार भरोसा करना

एक और गलती जो कई करदाता करते हैं, वह है आखिरी बार की कर बचत पर निर्भरता जो कि उनके समग्र कर आउटगो को कम करने के लिए है। इस तरह के अंतिम मिनट की योजना से अनियमित निर्णय लेने का कारण बन सकता है, जो बदले में उप इष्टतम निवेश साधनों को चुनने की संभावना को बढ़ाएगा। इसके अलावा, अंतिम-मिनट की भीड़ भी असफल होती है जिसके परिणामस्वरूप या तो समय पर निवेश प्रमाण प्रस्तुत करने में विफलता होती है या भुगतान की मंजूरी में देरी होती है, जिससे करदाताओं को जोखिम में पड़ता है।

4. निवेश के साथ बीमा को मिलाना

कर दाता अक्सर बीमा और निवेश को मिलाते हैं, और एंडोमेंट, मनी बैक पॉलिसियों या यूलिप में निवेश करते हैं। ये उत्पाद न तो पर्याप्त कवर प्रदान करते हैं और न ही इष्टतम रिटर्न उत्पन्न करते हैं, और 5 साल की अवधि में लॉक भी आते हैं। कुछ पेंशन योजनाएं सेवानिवृत्ति की उम्र तक बंद रहती हैं। इसलिए, कर नियोजन के दौरान बीमा और निवेश को अलग करना महत्वपूर्ण है।

सैलरी क्लास के लिए कमाल के टिप्स
इनकम टैक्स कानून की धारा 80 सी सैलरी बचाने के लिए बेहतर ऑप्शन है।
सेक्शन 24 होम लोन पर ब्याज
इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80E के तहत एजुकेशन लोन के ब्याज पर आयकर में छूट मिलती है।
सेक्शन 80 TTA सेविंग एकाउंट इंट्रेस्ट पर कटौती।

क्या इनाम की रकम टैक्स फ्री होती है?
यह कटौती भारतीय टैक्स नियमों के अनुसार सेक्शन 194बी के तहत होती है और व्यक्ति को 30 फीसदी टीडीएस देना होता है। यानि 1 करोड़ रुपेपर टीडीएस हुआ 30 लाख रुपए। इसके बाद इस राशि पर लगता है सरचार्ज जोकि टीडीएस राशि का 10 फीसदी होता है। यानि यहाँ हुए 3 लाख रुपए और कटौती की पूरी राशि हुई 33 लाख रुपए।

एफडी में टैक्स कैसे बचाएं?
एफडी में टैक्स बचने के लिए केवल एक ही विकल्प है दो या तीन लोगों के नाम से आईडी बनवाएं ताकि एक ही अकाउंट में ज्यादा पैसा ना रहे तब एफडी में आप टैक्स बच सकते हैं।

क्या जी०एस०टी० लागू होने से टैक्स की चोरी रुक सकती है?
GST लागू होने के बाद टैक्स के लिए बहुत सी सहूलियत बढ़ गयी हैं और उनमे से एक टैक्स की चोरी भी है पर टैक्स चोरी पर आप पूरी तरह से रोक कोई भी सरकार नहीं लगा सकती बस उसे कम किया जा सकता है। ख़त्म इसलिए नहीं कर सकते क्योकि भारत की ये आम बात है की जब-जब कोई रूल बनता है तो उसे तोड़ने के लिए हज़ार सोलुशन नए बन जातें हैं।

टैक्स एक्सपर्ट निखिल गुप्ता का कहना है कि जीएसटी के तहत टैक्स चोरी के खिलाफ सरकार ने कई सख्त प्रावधान किए हैं। 5 करोड़ रुपये तक की टैक्स चोरी पर पेनल्टी लगेगा। यह पेनल्टी कुल टैक्स चोरी का 15-100 पर्सेंट तक हो सकता है। 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी पर 1-5 साल तक की जेल हो सकती है। टैक्स चोरी के कई मामलों में जमानत भी नहीं है। अगर किसी ने जाली इनवॉयस दिया हो या फिर किसी को माल बेचा हो और बिल न दिया हो, ऐसे मामलों में टैक्स चोरी अगर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है तो यह आर्थिक अपराध गैर जमानती होगा। उम्मीद है इस कदम से टैक्स चोरी कम होगी।

मोदी सरकार ने तो टैक्स दर घटाया है।पिछली सरकार को तुलना में।आप विचार करें कि जितनी लाभकारी योजनाएं या विकास के कार्य हो रहे हैं वो सब tax ke पैसे से ही तो किए जाते हैं।अगर टैक्स पेयर टैक्स नही दें तो कोई कार्य ही नही होगा।फिर भी मेरा मानना है की समय समय पर इसकी समीक्षा की जानी चाहिए और संभव हो तो कम करना भी चाहिए।

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