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एक बार जब रानी सत्यभामा को अपनी सुंदरता पर , सुदर्शन चक्र को अपनी शक्ति पर और गरुण को अपनी गति पर घमंड हो गया था।
तो ये सब देख तीनों लोगो का घमंड तोड़ने के लिए कृष्ण जी ने एक योजना बनाया। और गरुण से कहा जाओ हनुमान को बुलाकर जाओ और उनसे कहना की द्वारिका में श्री राम जी आपका इंतजार कर रहे हैं।
कृष्ण जी ने सत्यभामा जी को कहा जाओ सिंगार करके तैयार हो जाओ। और सुदर्शन चक्र से कहा जाओ द्वार पर पहरा दो और अंदर किसी को आने मत देना।
जब हनुमान जी को यह बात पता चली की श्री राम जी द्वारिका में मेरा इंतजार कर रहे है। तो हनुमान जी और गरुड़ दोनों एक साथ उड़ान भरे लेकिन गरुड़ ने पीछे मुड़कर देखा तो हनुमान जी नहीं थे।
उनको लगा शायद हनुमान जी अभी पीछे होंगे लेकिन हनुमान जी द्वारिका में श्री कृष्ण जी के पास पहुंच गए थे। जब हनुमान जी ने सत्यभामा को कृष्ण जी के पास बैठा देखा तो उन्होंने पूछा की। माता सीता के जगह पर यह दासी कौन है?
फिर कृष्ण जी ने पूछा तुम्हें द्वार पर किसी ने रोका नहीं फिर हनुमान जी ने सुदर्शन चक्र को अपने मुंह से बाहर निकाला। और कृष्ण से कहा मेरे प्रभु श्री राम से मिलने के लिए कोई भी शक्ति मुझे रोक नही सकती।
जिसके कुछ समय बाद गरुण वहां पहुंच गए और हनुमान जी को वहां पहले से पहुंचा दे गरुण का भी घमंड चकनाचूर हो गया अतः हनुमान जी अपने सूक्ष्म शक्ति के द्वारा इतनी बड़ी शक्ति का घमंड तोड़ दिए। तो बाकी शक्ति इनके सामने क्या है इन प्रमाण से कहा जा सकता है हनुमान जी सभी देवता में सबसे शतिशाली है।