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क्या आप शिव से जुड़ी इस जानकारी को पहले कभी देखी सुनी और पढ़े हो। अगर नही तो आइये जानते है शिवरात्रि से पूर्व विभिन्न पदार्थों द्वारा निर्मित संपूर्ण शिवलिंग व्याख्या ।
🕉️ शिवलिंगम् 🕉️
विश्व में सर्वत्र शिवलिंग पूजा का विधान है, यदि शास्त्रोक्त विधि से शिवलिंग पूजन किया जाय तो निश्चय ही साधक को “धर्मार्थ काम मोक्ष” चतुर्विध पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। भारत में लगभग सभी प्रान्तों में शिवलिंग पूजन का प्रचलन है। यदि किसी मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कर दी जाती है तो बाद में उस शिवलिंग को हटा कर दूसरे स्थान पर उसकी स्थापना नहीं की जा सकती।
शिव के अलावा अन्य किसी भी देवता को एक स्थान से हटा कर दूसरे स्थान पर स्थापित किया जा सकता है परन्तु शिव के बारे में यह प्रमाण है कि जहां एक बार शिवलिंग स्थापित कर लिया जाता है वहां स्थायी रूप से ही स्थापना होती है, वहां से शिवलिंग को हटाना शास्त्र विरुद्ध माना गया है। परन्तु नर्मदेश्वर शिवलिंग या सोने चांदी के द्वारा निर्मित शिवलिंग एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाये जा सकते हैं।
साधारणतः शिवलिंग अंगूठे के प्रमाण के होते हैं परन्तु पाषाण के शिवलिंग मोटे व बड़े बनाये जा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि लिंग से दुगुने प्रमाण की वेदी और आधे प्रमाण की योनि पीठ होनी चाहिये। यदि लिंग की लम्बाई कम होती है तो शत्रुओं की वृद्धि होती है और बिना योनि पीठ के शिवलिंग का पूजन अशुभ माना गया है। पार्थिव शिवलिंग की पूजा की जाती है, उसमें एक या दो तोले मिट्टी ले कर उसका शिवलिंग बनाना चाहिये जो कि अपने दाहिने हाथ के अंगूठे के ऊपर वाले पोर के प्रमाण का होना चाहिये, इसे बना कर इसकी विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है ।
ब्राह्मण को सफेद, क्षत्रिय को लाल, वैश्य को पीली ओर शुद्र को काली मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग बना कर उसकी पूजा करनी चाहिये। “लिंग” मात्र की पूजा में पार्वती व शिव दोनों की पूजा हो जाती है, लिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य भाग में विष्णु ओर ऊपर प्रणवाख्य (ॐ रूप) महादेवजी की स्थिति मानी जाती है, इसकी वेदी महादेवी है, और लिंग महादेव है ऐसा मान कर ही शिव पूजन किया जाना चाहिये।
विविध कामनाओं की पूर्ति के लिये विभिन्न पदार्थों के शिवलिंग निर्माण कर उनकी पूजा आदि करने का विधान शास्त्र सम्मत है। शास्त्रानुसार विभिन्न पदार्थों से शिवलिंग निर्माण होता है, यह विषय गोपनीय रहा है, इस लेख के माध्यम से इस प्रकार की महत्वपूर्ण सामग्री साधकों की जानकारी हेतु प्रस्तुत की जा रही है।
१. गन्ध शिवलिंग –
दो भाग कस्तूरी, चार भाग चन्दन तथा तीन भाग कुंकुम को मिला कर जो शिवलिंग बनाया जाता है उसे गन्ध लिंग कहा गया है। इस प्रकार के शिवलिंग की पूजा से व्यक्ति स्वयं शिवमय हो जाता है।
२. पुष्प शिवलिंग –
विविध प्रकार के सुगन्धित पुष्पों को मिला कर शिवलिंग बनाया जाता है, उसे पुष्प-लिंग कहते है, इसमें केतकी के पुष्पों को शामिल नहीं करना चाहिये, इस प्रकार के शिवलिंग का पूजन भूमिपति पूजा अथवा चुनाव आदि में सफलता प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
३. रजोमय शिवलिंग –
यह मिट्टी या बालुका द्वारा बनाया जाता है,। विद्या प्राप्ति और धन सम्पदा प्राप्ति के लिये इस प्रकार के लिंग की पूजा का प्रावधान है।
४. यव, गो, धूम शास्तिज शिवलिंग –
जौ, गेहूं तथा चावल तीनों का आटा समान भाग ले कर शिवलिंग का निर्माण किया जाता है और उसका विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है। इस प्रकार की पूजा लक्ष्मी, स्वास्थ्य और संतान प्राप्ति के लिये की जाती है।
५. सिता खण्डमय शिवलिंग –
यह लिंग मिश्री के बने हुए खण्ड का बनाया जाता है, इसके पूजन से लम्बी बीमारी से छुटकारा मिल जाता है तथा वह पूर्ण आरोग्य प्राप्त कर लेता है।
६. लवणज शिवलिंग –
सौठ मिचे और पीपल को बराबर भाग में ले, नमक में मिलाकर इस शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, इसका प्रयोग वशीकरण कार्यों के लिये किया जाता है।
७. तिलपिष्टोन्थ शिव लिंग –
सफेद तिलों को भिगो कर बाद में उसे पीस कर उसकी पीठी से शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, इसके पूजन से मानव की प्रत्येक इच्छा पूरी होती है।
८. भस्मिय शिवलिंग –
किसी भी प्रकार के यज्ञकुण्ड से ली हुई भस्म लेकर शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, इसके पूजन से सभी प्रकार की मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
९. गुड़ोत्थ शिवलिंग –
यह शिवलिंग गुड़ की डली से बनाया जाता है और इसका पूजन परस्पर प्रीति बढ़ाने के लिये किया जाता है।
१०. शर्करामय शिवलिंग –
चीनी को लेकर इस शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, इसके पूजन करने से घर में अनन्त सुख-शांति प्राप्त होती है।
११. वंशांकुरमय शिवलिंग –
बांस के वृक्ष के नवीन कोमल अंकुर लेकर उसका शिवलिंग बनाया जाता है, इस प्रकार के शिवलिंग के पूजन करने से वंश वृद्धि होती है तथा जिसके बच्चें जीवित न रहते हों उसे इस प्रकार के शिवलिंग का पूजन अवश्य करना चाहिये ।
१२. दधिदुग्धोद्भव शिवलिंग –
दही को गाढ़ा बनाकर उसमें दूध मिलाकर इस शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, इसके पूजन से कीर्ति, लक्ष्मी व पूर्ण सुख प्राप्त होता है।
१३. धान्यज शिवलिंग –
किसी भी प्रकार का धान्य ले, उसमें गुड़ मिला कर इस प्रकार के शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, इसके पूजन से अक्षय धन लाभ होता है।
१४. फलोत्थ शिवलिंग –
फलों को किसी धागे आदि में पिरो कर और उन्हें परस्पर बांध कर शिवलिंग बनाया जाता है, इसके पूजन से प्रत्येक प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है ।
१५. धात्रीफलमय शिवलिंग –
अलग-अलग फलों को मिलाकर उसे हल्का-सा पीस, पिष्टी बनाकर उससे यह शिवलिंग बनाया जाता है, इसके पूजन से मनुष्य को निश्चित रूप से मोक्ष प्राप्त होता है।
१६. नवनीतज शिवलिंग –
वृक्षों के नये नये कोमल पत्ते लाकर उससे शिव लिंग आकार निर्माण किया जाता है, इसके पूजन से अनन्त कीर्ति, यश और सौभाग्य प्राप्त होता है।
१७. दूर्वाकाण्डज शिवलिंग –
दूर्वा के नर्म लच्छे पवित्र स्थान से तोड़कर उसे परस्पर मिलाकर शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, इसके पूजन से रोग नाश होता है, और साधक अपने जीवन में स्वस्थ रहता हुआ पूर्ण आयु प्राप्त करता है।
१८. कर्पूरज शिवलिंग –
यह शिवलिंग कर्पूर से बनाया जाता है, इसके पूजन से मुक्ति प्राप्त होती है।
१९. अयस्यान्तकमणिज शिवलिंग –
शहद से शिवलिंग बनाकर उसके पूजन से मनोवांछित सिद्धि प्राप्त होती है।
२०. मौक्तिक शिवलिंग –
सच्चे मोतियों को परस्पर मिलाकर धागे से पिरोकर शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, इसका पूजन अधिकतर स्त्रियां करती हैं। इसके पूजन से अखण्ड सौभाग्य प्राप्त होता है और उसके पति के भाग्योदय में वृद्धि होती है।
२१. स्वरर्ण निर्मित शिवलिंग –
स्वर्ण का शिवलिंग विशेष मुहूर्त में बनाकर उसके पूजन से धन-धान्य, सुख सम्पदा प्राप्त होती है और उसे अपने जीवन में किसी प्रकार का कोई अभाव नहीं देखना पड़ता ।
२२. रजतमय शिवलिंग –
चांदी का शिवलिंग निर्माण करा कर उसका पूजन करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है।
२३. पीतलज शिवलिंग –
शुद्ध पीतल का शिवलिंग बनाकर उसके पूजन करने से घर में समस्त प्रकार का वैभव प्राप्त होता है।
२४. वैदूर्यजमणि शिवलिंग –
यह प्राकृतिक शिवलिंग होता है, इसके पूजन से शत्रु परास्त होते हैं, तथा साधक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है।
२५. स्फटिकमणि शिवलिंग –
यह भी प्राकृतिक शिवलिंग होता है, इसका प्राप्त होना ही सौभाग्यशाली माना जाता है इसके पूजन से मानव के जीवन में किसी प्रकार का कोई अभाव नहीं रहता ।
२६. विविधरत्नमणिमय शिवलिंग –
अनेक प्रकार के रत्न मणियों द्वारा निर्मित शिवलिंग की पूजा करने से जीवन में सभी प्रकार का सुख- सौभाग्य प्राप्त होता है।
२७. महारसेश्वर शिवलिंग –
विशेष रसायन विधान से पारे को ठोस बनाकर उसे शिवलिंग का आकार दिया जाता है, यह पारा गीला नहीं होना चाहिये पर सफेद बना रहना चाहिये । इस प्रकार का शिवलिंग अत्यन्त ही श्रेष्ठ माना गया हैं और भाग्यशाली व्यक्तियों के घर में ही इस प्रकार का शिवलिंग पाया जाता है। इसके दर्शन मात्र से ही समस्त प्रकार के पाप नाश हो जाते हैं। जो सौभाग्यशाली इसका पूजन करता है, उसके जीवन में किसी प्रकार का कोई अभाव रह ही नहीं सकता।
इसके अलावा ताम्र, शीशा, शंख, कांसा, लोहा, रक्तचन्दन आदि से भी शिवलिंग का निर्माण हो सकता है, पर कलियुग में इस प्रकार के शिवलिंग का निर्माण निषेध माना गया है।
वस्तुतः शिवलिंग का अलग-अलग कार्यों के लिये अलग-अलग रूप से विधान है, परन्तु ऊपर जो २७ प्रकार के शिवलिंग बताये गये हैं यदि कोई व्यक्ति इन समस्त प्रकार के शिवलिंग का संग्रह अपने घर में करता है तो वह पूर्ण शंकरमय हो जाता है और जीवन में पूर्ण भौतिक सुख भोगता हुआ अन्त में मोक्ष प्राप्त करता है।