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17 अप्रैल बुधवार को श्रीराम नवमी का पर्व है। त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री रामजी का जन्म हुआ था। इसलिए भारत सहित अन्य देशों में भी हिंदू धर्म को मानने वाले इस महापर्व को बहुत धूम-धाम से मनाते हैं। भगवान श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवरात्र की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में हुआ था।भरत का जन्म पुष्य नक्षत्र तथा मीन लग्न में हुआ था। लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न का जन्म आश्लेषा नक्षत्र तथा कर्क लग्न में हुआ था महाराज दशरथ ने 11 दिन बीतने के बाद बालकों के नामकरण संस्कार ब्रह्मर्षि वशिष्ठ से कराए।
भगवान राम ने बचपन में ही हाथी के कन्धे और घोड़े की पीठ पर बैठने तथा रथ हॉंकने की कला में भी सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त किया था।श्री रामचन्द्रजी बचपन से ही भोजन लक्ष्मणजी को दिए बिना नहीं खाते थे। जब भगवान राम का अवतरण हुआ, उस दिन वशिष्ठजी रामचन्द्रजी को देखकर इतने मन्त्रमुग्ध हो गए कि वह वेद मन्त्र तक भूल गए थे और एक टक राम के मुख को ही देखते रहे। राम नवमी के दिन भगवान राम चतुर्भुज रूप में प्रकट हुए थे।
माता कौशल्या ने चतुर्भुज रूपधारी भगवान की स्तुति की। उस समय भगवान ने माता कौशल्या को उनके पूर्व जन्म की अनेक सुन्दर कथाऍं सुनाई और माता को समझाया, ताकि उन्हें पुत्र का (वात्सल) प्रेम प्राप्त हो माता के आग्रह पर भगवान चतुर्भुज रूप छोड़कर शिशु बन गए और रोना शुरू किया। तब महाराज दशरथ को पता चला कि महारानी कौशल्या को पुत्र उत्पन्न हुआ है।
हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम जी विष्णु के अवतार हैं और इन्हें श्रीराम और श्रीरामचन्द्र के नामों से भी जाना जाता है। रामायण में वर्णन के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने पुत्रेश्टी यज्ञ (पुत्र प्राप्ती यज्ञ ) कराया जिसके फलस्वरूप उनके घर पुत्रों का जन्म हुआ।
मर्यादा-पुरुषोत्तम राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं और भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ और गुरु विश्वामित्र की बहुत सेवा की थी ।श्रीराम ने लंका के राजा रावण (जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया।
श्री राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहाँ तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार, आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा रघुकुल रीति सदा चलि आई प्राण जाई पर बचन न जाई की थी।
भगवान श्रीराम ने हर परिस्थितियों में अपने चित्त को सम रखा,भगवान राम सबसे मधुर-नम्रता से बात करते थे,वे नित्य सूर्योपासना करते,जप-ध्यान करते थे। बचपन में गुरुकुल में रहकर शिक्षा पायी,युवावस्था में संतो को सताने वाले राक्षको का वध किया और अंत समय में राम-राज्य करते हुए , प्रजा पालन करते हुए अपने लोक को चले गए।
श्रीराम जय राम जय जय राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी की जय