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अभिनेता बलराज साहनी का फिल्मी सफर

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कहानी साल 1951 में आई फिल्म हलचल की शूटिंग के दौरान की है। बलराज साहनी इस फिल्म में जेलर के किरदार में थे। और दिलीप कुमार के कहने पर हलचल के डायरेक्टर के.आसिफ ने जेलर का रोल में बलराज साहनी जी को कास्ट किया था। बलराज साहनी, जो अपने हर किरदार पर जमकर मेहनत करते थे, वो इस किरदार को भी जीवंत बनाने के लिए सक्रिय हो गए। अपने किरदार को पूरी तरह से तैयार करने के लिए वो आर्थर रोड जेल के जेलर से मिले। और उनसे बात करके तय हुआ कि बलराल साहनी कुछ दिन जेलर साहब के साथ ही रहेंगे।

इसी दौरान कुछ ऐसा हुआ कि वाकई में बलराज साहनी जेल में बंद हो गए। हुआ यूं कि बलराज साहनी एक जुलूस में शामिल हो गए। लेकिन उस जुलूस में हिंसा भड़क गई। नतीजा ये हुआ कि पुलिस ने बलराज साहनी व कुछ अन्य लोगों को भी हिरासत में ले लिया और जेल में बंद कर दिया। यानि अब बलराज साहनी वाकई में जेल में आ गए।

लेकिन इस दफा एक कैदी बनकर। तब प्रोड्यूसर के.आसिफ जेल में ही बलराज साहनी से मिलने आए। उन्होंने जेलर साहब के गुज़ारिश की कि वो बलराज साहनी को फिल्म की शूटिंग की इजाज़त दे दें। जेलर साहब ने इजाज़त दे भी दी। और इस तरह लगभग तीन महीने जेल में रहते हुए ही बलराज साहनी जी ने हलचल फिल्म की शूटिंग पूरी की थी।

आज बलराज साहनी जी की पुण्यतिथि है। 13 अप्रैल 1973 को बलराज साहनी जी का निधन हुआ था। अपने दौर के बहुत दमदार अभिनेता थे बलराज साहनी, जो अपने हर किरदार की महीन से महीन खूबियों की भी पूरी तैयारी करते थे। चलिए बलराज साहनी जी से जुड़े कुछ और किस्से भी जानते हैं।

इनके करियर की सबसे शानदार फिल्मों में से एक है दो बीघा ज़मीन। बलराज साहनी इस फिल्म का हिस्सा कैसे बने, ये भी एक दिलचस्प कहानी है। बिमल दा इस रोल के लिए एक्टर नज़ीर हुसैन, अशोक कुमार और त्रिलोक कपूर के नाम पर भी गौर कर चुके थे। लेकिन जब उन्होंने बलराज साहनी जी की फिल्म हम लोग देखी तो फैसला कर लिया कि वो बलराज साहब को ही दो बीघा ज़मीन में कास्ट करेंगे।

फिर जब बलराज साहनी बिमल रॉय से मिलने आए तो इन्हें देखकर बिमल दा दंग रह गए। क्योंकि बलराज साहनी आए थे सूट-बूट पहनकर। और उनमें अपने हीरो की छवि बिमल दा को ज़रा भी नहीं दिखी। उन्हें लगा कि बलराज साहनी एक रिक्शेवाले के रोल में सही नहीं लगेंगे। उन्होंने बलराज जी से कहा भी कि मिस्टर साहनी मेरी फिल्म का कैरेक्टर तो एक ग़रीब रिक्शा वाला है। आप तो इस कैरेक्टर में फिट नहीं बैठते हो। तब बलराज साहनी जी ने बिमल दा से गुज़ारिश की कि आप एक दफा मेरी फिल्म धरती के लाल देखिए।

बलराज साहनी साहब के कहने पर बिमल दा ने धरती के लाल देखी। और उन्हें यकीन हो गया कि बलराज साहनी इस रोल को बहुत अच्छी तरह से निभाएंगे। उन्होंने दो बीघा ज़मीन के शंभू महतो का कैरेक्टर निभाने के लिए बलराज साहनी को साइन कर लिया। बस फिर क्या था। बलराज साहनी जुट गए उर कैरेक्टर की तैयारियों में। उस ज़माने में बंबई की सड़कों पर वो घंटों तक रिक्शा खींचा करते थे।

बात अगर बलराज साहनी जी की के निजी जीवन की करें तो 1 मई 1913 को बलराज साहनी का जन्म रावलपिंडी के भेरा में हुआ था। अब ये इलाका पाकिस्तान में है। बलराज साहनी जी को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का बड़ा शौक था। इन्होंने इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया था।

गुरूदेव रबिंद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन में बलराज जी ने बतौर लेक्चरर कुछ वक्त तक नौकरी भी की थी। साल 1938 में बलराज साहनी महात्मा गांधी के संपर्क में आए। और फिर उन्हीं की सलाह पर साल 1939 में लंदन स्थित बीबीसी रेडियो में बतौर अनाउंसर नौकरी करने पहुंच गए।

इस वक्त तक बलराज साहनी गुड़िया फिल्म की अपनी हीरोइन दमयंती से शादी कर चुके थे। दमयंती जी से इनकी शादी साल 1936 में ही हो गई थी। दमयंती जी से इन्हें एक बेटा हुआ जिनका नाम परीक्षित साहनी है। परीक्षित साहनी भी एक एक्टर हैं और आपने इन्हें भी ढेरों फिल्मों में देखा होगा।

साल 1943 में बलराज साहनी भारत वापस लौट आए और इंडियन पीपल्स थिएटर असोसिएशन यानि इप्टा से जुड़ गए। लेकिन भारत लौटने के बाद साल 1947 में इनकी पत्नी दमयंति का निधन हो गया। इन्होंने दूसरी शादी की साल 1951 में लेखिका संतोष चंढोक से।

बलराज साहनी की पहली फिल्म थी साल 1946 में आई ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म धरती के लाल। हालांकि 1951 में आई फिल्म हम लोग से इन्हें देशव्यापी पहचान मिली। और फिर दो बीघा ज़मीन ने तो इन्हें उस दौर के दमदार अभिनेताओं की कतार में ला खड़ा किया।

दो बीघा ज़मीन बलराज साहनी जी के फिल्मी करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई थी। सिनेमा के अलावा बलराज साहनी सामाजिक कार्यों में ी खूब दिलचस्पी लेते थे। बलराज साहनी कम्यूनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे और ग़रीब व मेहनतकश लोगों की हमेशा हिमायत करते थे। 

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