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फिल्म ‘डॉन’ हिंदी सिनेमा की क्लासिक और कल्ट फिल्मों में से एक है

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आज आपको बताने जा रहे है फिल्म से जुड़े वो पांच फैक्ट, जिनको शायद ही कोई जानता होगा. 1978 में ‘डॉन’ फिल्म रिलीज हुई थी. ये उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर थी. टॉप 3 में तीनों अमिताभ बच्चन की फिल्में थी. पहली नंबर पर ‘मुकद्दर का सिकंदर’, दूसरे नंबर पर ‘त्रिशूल’ थी।

‘डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है’ ये डायलॉग भला कोई कैसे भूल सकता है. 1978 में रिलीज हुई फिल्म ‘डॉन’ के इस डायलॉग ने अमिताभ बच्चन को हिट किया कि सालों बाद भी इस फिल्म की कहानी और गानों को लोग याद करते हैं. ‘डॉन’ हिंदी सिनेमा की क्लासिक और कल्ट फिल्मों में से एक है, जिसको शुरुआत में तो दर्शकों को बिल्कुल नहीं भाई लेकिन जब चली तो ऐसी चली की छप्पर फाड़ कमाई के साथ-साथ कई रिकॉर्ड्स तोड़ दिए. आज आपको बताएंगे फिल्म से जुड़े 5 वो फैक्ट, जिनको शायद ही कोई जानता होगा।

अपनी पहली फिल्म के फ्लॉप होने के बाद 12 लाख के कर्ज में डूबे प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी को अमिताभ बच्चन, जीनत अमान और चंद्रा बारोट ने एक और फिल्म बनाने की सलाह दी. इन तीनों से उनकी मुलाकात फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ की मेकिंग के दौरान हुई थी. नरीमन उस फिल्म के छायाकार थे और चंद्रा बारोट डायरेक्ट मनोज कुमार के असिस्टेंट डायरेक्टर थे. ये वो दौर था, जब अमिताभ बच्चन फिल्म ‘जंजीर’ के बाद सुर्खियों में छाए हुए थे.

अमिताभ सहित सभी ने उन्हें भरोसा दिया कि वह फिल्म के लिए कोई पैसा नहीं लेंगे. अगर फिल्म हिट हुई तो अपनी फीस लेंगे वरना नहीं लेंगे. अपने दोस्तों की सलाह पर नरीमन फिल्म बनाने के लिए तैयार हुए. फिल्म के डायरेक्शन की जिम्मेदारी चंद्रा बारोट को दिया गया और फिल्म में मुख्य किरदार के लिए अमिताभ बच्चन, जीनत अमान ने हां कर दिया, लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल फिल्म की कहानी को लेकर थी।

अमिताभ बच्चन ने प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी को सलाह दी कि वह फिल्म की कहानी के लिए सलीम जावेद के पास जाए. नरीमन ने सलाह मानीं, लेकिन सलीम जावेद ने उन्हें इतनी महंगी कहानियां सुनाई. इत्तेफाक से नरीमन ईरानी की पत्नी सलमा ईरानी, वहीदा रहमान की हेयर ड्रेसर थीं. उन्होंने वहीदा रहमान के जरिए सलीम जावेद के पास अपने पति नरीमन ईरानी की सिफारिश भेजी.

ऐसे में सलीम-जावेद की जोड़ी ने उनसे कहा कि हमारे पास एक ऐसी कहानी है, जिसे कोई खरीदने को तैयार नहीं है. देवानंद, जितेंद्र धर्मेंद्र और प्रकाश मेहरा जैसे बड़े नाम इस कहानी को नकार चुके हैं. तुम यह कहानी ले लो अगर फिल्म हिट रही तो पैसे दे देना और फिल्म फ्लॉप हुई तो कोई पैसा नहीं लेंगे. यह कहानी कोई और नहीं बल्कि फिल्म ‘डॉन’ की कहानी थी।

प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी ने ये कहानी ले ली और अमिताभ बच्चन और चंद्रा बारोट को कहानी पसंद आई. इस फिल्म का नाम ‘डॉन’ क्यों पड़ा, इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. सलीम जावेद इस कहानी को ‘डॉन’ वाली कहानी कहा करते थे. चंद्रा बारोट को भी ये नाम पसंद आ रहा था. ये देखकर नरीमन ईरानी ने इस फिल्म को ‘डॉन’ नाम से रजिस्टर करा दिया, जबकि मनोज कुमार ने नरीमन को सलाह दी कि वह अपनी फिल्म का नाम मिस्टर डॉन रखें, क्योंकि उस वक्त मुंबई में डॉन नाम का एक अंडरवियर ब्रांड भी पॉपुलर था।

फिल्म की मूल कहानी में नरीमन ईरानी में खुद भी थोड़े बदलाव किए थे. फिल्म की कहानी को पूरा कर जब चंद्रा बारोट ने अपने गुरु मनोज कुमार को सुनाई तो उन्होंने चंद्रा को सलाह दी क्योंकि यह फिल्म एक एक्शन फिल्म है तो इसके सेकंड हाफ में कोई हल्का-फुल्का गाना होना ही चाहिए, ताकि दर्शक हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी लुत्फ उठा सकें.

मनोज कुमार की सलाह मानते हुए चंद्रा बारोट और नरीमन, कल्याणजी-आनंदजी मिले. फिल्म के वो ही म्यूजिक तैयार कर रहे थे. फिल्म मेकर्स की बातों को सुनकर उन्होंने वह गीत दिया जिसे 6 साल पहले देवानंद की फिल्म बनारसी बाबू के लिए तैयार किया गया था. ये गाना था ‘खई के पान बनारस वाला’ जिसे आज भी लोग बड़े शौक से सुनते हैं।

फिल्म की शूटिंग शुरू हुई, लेकिन बदकिस्मती देखिए, जिस प्रोड्यूसर की मदद के लिए ये फिल्म बनाई जा रही थी. वह फिल्म के पूरे होने से पहले ही दुनिया से चल बसे. दरअसल, एक दूसरे फिल्म की शूटिंग के चलते नरीमन ईरानी राजकमल स्टूडियो में थे, जहां एक हादसे के दौरान उनकी मौत हो गई. लेकिन तंगी की हालत में भी चंद्रा बारोट ने फिल्म को नहीं रोका और साढ़े तीन साल के बाद फिल्म को पूरा कर बिना प्रचार के रिलीज किया।

पहले हफ्ते फिल्म को अच्छा रिस्पॉस नहीं मिला, लेकिन दूसरे हफ्ते से इस फिल्म को दर्शक मिलने शुरू हो गए और यह फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आने लगी. ये उस साल की तीसरी सबसे बड़ी हिट फिल्म बन गई और तब फिल्म ने कुल मिलाकर 7 करोड़ 20 लाख की कमाई की थी. फिल्म के गाने,
जिसका मुझे था इंतजार, खाई के पान बनारस वाला, मैं हु डॉन, ये मेरा दिल यार का दीवाना, ई है बंबई नगरिया, सुपरहिट रहे।

इस फिल्म को 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले थे. किशोर कुमार को बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर, आशा भोंसले को बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर और अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया गया था. अमिताभ को जब अवार्ड दिया जा रहा था तो उन्होंने फिल्म के प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी की विधवा सलमा को स्टेज पर बुलाया और ये सम्मान दोस्त नरीमन और सलमा को समर्पित कर दिया था।

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