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बॉलीवुड के डॉयलाग किंग ‘राजकुमार’ के बेहतरीन डॉयलाग्स

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बॉलीवुड के डॉयलाग किंग कहे जाने वाले राजकुमार के कुछ बेहद बेहतरीन डॉयलाग्स को यहाँ लिखकर प्रस्तुत कर रहे हैं जिन्हें सुनकर दर्शक तालियों पे तालियां कूट देते थे। हिंदी सिनेमा में सबसे ज्यादा अकड़ इनसे ज्यादा किसी सुपरस्टार के किरदारों में नहीं थी।

1 . जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिक्खे जाते हैं.. और जब दुश्मनी करता है तो तारीख़ बन जाती है।
“राजेश्वर जमीन पर रहकर भी आसमान में उड़ता है, बीरसिंह”.
राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)

2. चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते. – राजा, वक्त (1965)

3. बिल्ली के दांत गिरे नहीं और चला शेर के मुंह में हाथ डालने. ये बद्तमीज हरकतें अपने बाप के सामने घर के आंगन में करना, सड़कों पर नहीं.
– प्रोफेसर सतीश ख़ुराना, बुलंदी (1980)

4. हम अपने कदमों की आहट से हवा का रुख़ बदल देते हैं.
– पृथ्वीराज, बेताज बादशाह (1994)

5. जानी.. हम तुम्हें मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक़्त भी हमारा होगा.
– राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)

6. महा सिंह, शायद तुम अंजाम पढ़ना भूल गए हो. लेकिन ये याद रहे कि इंसाफ के जिन सौदागरों के भरम पर, तुम फर्ज़ का सौदा कर रहे हो, उनकी गर्दनें भी हमारे हाथों से दूर नहीं.
– जगमोहन आज़ाद, पुलिस पब्लिक (1990)

7. हम वो कलेक्टर नहीं, जिनका फूंक मारकर तबादला किया जा सकता है. कलेक्टरी तो हम शौक़ से करते हैं, रोज़ी-रोटी के लिए नहीं. दिल्ली तक बात मशहूर है कि राजपाल चौहान के हाथ में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता है. जिस रोज़ इस कुर्सी पर बैठकर हम इंसाफ नहीं कर सकेंगे, उस रोज़ हम इस कुर्सी को छोड़ देंगे. समझ गए चौधरी!
– राजपाल चौहान, सूर्या (1989)

8. हम तुम्हें वो मौत देंगे, जो ना तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और ना ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी.
– ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)

9. शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते.. दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं.
– राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)

10. बोटियां नोचने वाला गीदड़, गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता.
– राणा, मरते दम तक (1987)

11. महा सिंह, शेर की खाल पहनकर आज तक कोई आदमी शेर नहीं बन सका. और बहुत ही जल्द हम तुम्हारी ये शेर की खाल उतरवा लेंगे. जगमोहन आज़ाद, पुलिस पब्लिक (1990)
12. राजस्थान में हमारी भी ज़मीनात हैं. और तुम्हारी हैसियत के जमींदार, हर सुबह हमें सलाम करने, हमारी हवेली पर आते रहते हैं.
– राजपाल चौहान, सूर्या (1989)

13. हुकम और फर्ज़ में हमेशा जंग होती रही है. याद रहे महा सिंह, इस मुल्क पर जहां बादशाहों ने हुकूमत की है, वहां ग़ुलामों ने भी की है. जहां बहादुरों ने हुकूमत की है, वहां भगौड़ों ने भी की है. जहां शरीफों ने की है, वहां चोर और लुटेरों ने भी की है.
– जगमोहन आज़ाद, पुलिस पब्लिक (1990)

14 .दादा तो दुनिया में सिर्फ दो हैं. एक ऊपर वाला और दूसरे हम. – राणा, मरते दम तक (1987)

15. ना तलवार की धार से, ना गोलियों की बौछार से.. बंदा डरता है तो सिर्फ परवर दिगार से.
– ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)

तो दोस्तों, ये राजकुमार के कुछ बेहतरीन डॉयलाग्स थे जो कि हमने आपसे शेयर किये।

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