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रफ़ी साहब और किशोर दा की दोस्ती

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रफ़ी साहब और किशोर दा की दोस्ती पक्की थी। दोनों ग्रेट सिंगर एक दूसरे की दिल से रिस्पेक्ट किया करते थे। एक इंटरव्यू में किशोर दा के बेटे अमित कुमार जी ने बताया था कि किसी ऐसे गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान जिसमें दोनों सिंगर्स को एक साथ गाना होता था तो गाने को बेहतर बनाने के लिए रिहर्सल के दौरान एक-दूसरे को टिप्स भी दिया करते थे और पूछते भी थे कि ‘अगर मैं यहाँ थोड़ा ऐसा कर दूँ तो कैसा रहेगा?’ यानि किसी में भी कोई ईगो प्रॉब्लम नहीं थी।

किशोर दा के साथ बतौर सहायक लम्बे समय तक काम करने वाले गीतकार सुधाकर शर्मा बताते हैं कि 70 के दशक में किशोर दा आमतौर से एक दिन में दो या तीन गाने रिकॉर्ड करते थे लेकिन जिस दिन उन्हें रफ़ी साहब के साथ गाना होता था वो पूरा दिन उस गाने के लिए रिज़र्व रखते थे। क्योंकि उनको पता था कि रफ़ी ‘परफ़ेक्शनिस्ट’ हैं और उन्हें अंतिम रिकॉर्डिंग से पहले घंटों अभ्यास करना पड़ेगा। रिकॉर्डिंग के दौरान किशोर दा एक के बाद एक चुटकुले सुनाते रहते थे जब कि रफ़ी साहब मुस्कुरा कर उनका आनंद लेते थे। किशोर दा ने साल 1982 में एक फ़िल्म ‘चलती का नाम ज़िंदगी’ बनाई थी इस फ़िल्म में एक कव्वाली थी जिसे गाने के लिए किशोर दा ने रफ़ी साहब को आमंत्रित किया था।

70 और 80 के दशक के मशहूर प्लेबैक सिंगर शैलेंद्र सिंह ने दोनों ग्रेट सिंगर्स के साथ कई शोज़ किये हैं। वे उन दिनों को याद करके बताते हैं कि एक शो के दौरान जिसमें रफ़ी साहब और किशोर दा दोनों ही पर्फॉर्म कर रहे थे, किसी फ़ैन ने किशोर दा से ऑटोग्राफ़ देने का रिक्वेस्ट किया तो किशोर दा ने रफ़ी साहब की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, ‘अरे मेरे से क्यों ऑटोग्राफ़ ले रहे हो बंधु, संगीत तो उधर है।’ अपने शोज़ के दौरान किशोर दा जब भी रफ़ी साहब के कुछ गाने गाते थे तो बहुत आदरपूर्वक कहते थे, ‘मेरे पास रफ़ी साहब जैसी आवाज़ तो नहीं है पर फिर भी मैं उनके कुछ गाने पेश करना चाहूँगा।”

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