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एक बेहतरीन फिल्म अवतार

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बचपन में जब भी टीवी पर ये फिल्म देखता था तो एक सवाल हमेशा उठता था कि राजेश खन्ना एक हाथ में पेंचकस लेकर कारों को ठीक कैसे कर देते हैं? अवतार। 11 मार्च 1983 को रिलीज़ हुई एक बेहतरीन फिल्म। आज इस फिल्म के 41 साल पूरे हो गए। मेरे जैसा सवाल तब मेरी उम्र के और भी कई लोगों के मन में उठा होगा।

चलिए, फिल्म की बात करते हैं। तो इस फिल्म के प्रोड्यूसर डायरेक्टर थे मोहन कुमार। फिल्म का गीत-संगीत तैयार किया था लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी ने। और इसी फिल्म में वो शानदार भजन है जिसे नरेंद्र चंचल, आशा भोसले और महेंद्र कपूर जी ने गाया था। चलो बुलावा आया है। माता ने बुलाया है। फिल्म के सभी गीत आनंद बख्शी जी ने लिखे थे।

फिल्म में शबाना आज़मी, मदन पुरी, सुजीत कुमार, ए.के.हंगल, सचिन, गुलशन ग्रोवर, शशि पुरी, प्रीति सप्रू, रजनी शर्मा, रंजन ग्रेवाल, पिंचू कपूर, यूनुस परवेज़, शिवराज और मधु मालिनी ने भी अहम किरदार निभाए थे। 1 करोड़ 60 लाख रुपए के बजट में बनी इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड सात करोड़ रुपए का कलैक्शन किया था। और इस तरह ये फिल्म हिट साबित हुई थी।

फिल्म की कहानी लिखी थी मुश्ताक जलीली ने। 31वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में अवतार बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट एक्टर, बेस्ट एक्ट्रेस और बेस्ट स्टोरी कैटेगरी में नॉमिनटे हुई थी। लेकिन इसे कोई अवॉर्ड नहीं मिल सका था। चलिए इस फिल्म से जुड़ी कुछ बड़ी ही रोचक बातें आपको बताता हूं।

गुलशन ग्रोवर को इस फिल्म में काम कैसे मिला, इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। यूं तो गुलशन इस वक्त तक कुछ फिल्मों में काम कर चुके थे। लेकिन उनका संघर्ष अभी भी जारी था। उन दिनों गुलशन के साथ कई दफा ऐसा होता था जब उनके पास पैसे खत्म हो जाते थे। खाना खरीदने लायक पैसे भी नहीं होते थे। तब वो अपने एक दोस्त के घर जाकर अपना पेट भरते थे।

एक दफा ऐसे ही एक दिन गुलशन को बड़े ज़ोरों की भूख लगी थी। पेट भरने के लिए वो अपने दोस्त के घर पहुंचे और घर के बाहर उन्होंने अपने जूते उतारे। उनके मोजे फटे हुए और बदबूदार थे। गुलशन जैसे ही घर में घुसे उन्होंने देखा कि लिविंग रूम में शबाना आज़मी बैठी हैं। शबाना भी गुलशन को जानती थी। हम पांच और अर्थ में वो गुलशन के साथ काम कर चुकी थी।

अपनी महकती जुराबों के कारण गुलशन उस दिन बड़े शर्मिंदा हुए। वो सोच रहे थे कि काश पहले ही देख लिया होता तो जूते उतारता ही नहीं। लेकिन शबाना को कोई फर्क नहीं पड़ा था। उन्होंने गुलशन से बड़े अच्छे से बात की। और उस दिन उन्होंने गुलशन से वादा किया कि मैं कोशिश करूंगी तुम्हें कोई अच्छा रोल दिला सकूं। फाइनली एक दिन शबाना आज़मी गुलशन को मोहन कुमार से मिलाने ले गई।

मोहन कुमार ने एक छोटे से टेस्ट के बाद गुलशन को अवतार के चंदर किशन के रोल के लिए साइन कर लिया। किसी ने मोहन कुमार से पूछा कि तुमने इस रोल केे लिए गुलशन ग्रोवर को क्यों सिलेक्ट किया। उन्होंने मज़ाक में जवाब देते हुए कहा,”उसकी नाक की वजह से। उसकी नाक देखकर लगता है जैसे वो सौ रुपए के लिए भी अपने माता-पिता को बेच सकता है।”

इस फिल्म ने थोड़ी बहुत सामाजिक अस्थिरता भी पैदा की थी। इस फिल्म के रिलीज़ होने के बाद इस तरह की काफी खबरें आई थी कि वो मां-बाप जिन्होंने अपने घर-मकान अपने बच्चों के नाम कर रखे हैं, उन्होंने फिर से अपने मकान अपने नाम कराने की ख्वाहिश जताई है। वैसे, ऐसी ही एक फिल्म साल 2003 में भी आई थी। 

राजेश खन्ना इस फिल्म को साइन करने में काफी कतरा रहे थे। दरअसल, उस वक्त के सभी बड़े स्टार्स जैसे अमिताभ, धर्मेंद्र, जितेंद्र, सब हीरो के रोल कर रहे थे। और एक से एक फिल्मों में दिख रहे थे। ऐसे में एक बूढ़े आदमी का किरदार निभाना राजेश खन्ना को काफी अजीब लग रहा था।

मगर ये वो वक्त भी था जब राजेश खन्ना का स्टारडम खत्म हो चुका था। उस वक्त तो उन्हें फिल्में भी कम ही ऑफर हो रही थी। ऐसे में उन्होंने सोचा कि रिस्क ले ही लेते हैं। और उनका ये रिस्क उनके बहुत काम आया। फिल्म क्रिटिकली और कमर्शियली सक्सेसफुल रही। और राजेश खन्ना की एक्टिंग की सबने जमकर तारीफ की।

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