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उस दौर में इस बोल्ड टॉपिक की फिल्म को कोई नहीं था बनाने को तैयार

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कई एक्टर्स ने इस फिल्म में काम करने से मना कर दिया था। साधना। उस दौर का एक ऐसा बोल्ड टॉपिक जिसे कोई बनाने को तैयार नहीं हो रहा था। फाइनली बी.आर.चोपड़ा इस कहानी को फिल्म बनाने के लिए आगे आए और उन्होंने ना सिर्फ इसे डायरेक्ट किया, बल्कि प्रोड्यूस भी खुद ही किया। 66 साल पहले आज ही के दिन।

यानि 04 अप्रैल 1958 को सुनील दत्त-वैयजयंतीमाला की फिल्म साधना रिलीज़ हुई थी। यश चोपड़ा इस फिल्म में बी.आर.चोपड़ा के असिस्टेंट थे। और इसी के बाद बी.आर.चोपड़ा ने यश चोपड़ा को धूल का फूल फिल्म डायरेक्ट करने का मौका दिया था। फिल्म की कहानी एक ऐसे नौजवान प्रोफेसर की है जिसे एक वेश्या से इश्क हो जाता है।

प्रोफेसर मोहन का किरदार सुनील दत्त जी ने निभाया था। और चंपाबाई बनी थी वैयजयंतीमाला। वैयजयंतीमाला जी से पहले ये रोल निम्मी जी को भीा ऑफर हुआ था। लेकिन इस विषय पर बन रही फिल्म में काम करना उन्होंने उचित नहीं समझा। लेकिन वैयजयंतीमाला जी ने स्क्रिप्ट सुनते ही इस फिल्म में काम करने की हामी भर दी।

फिल्म का संगीत तैयार किया था दत्ता नायक जी ने। और गीत लिखे थे साहिर लुधियानवी ने। इसी फिल्म में गीत वो गीत है जिसे लता जी ने गाया था। उस गीत के बोल हैं,”औरत ने जनम दिया मर्दों को। मर्दों ने उसे बाज़ार दिया।” साहिल की कलम का एक और जादू थे इस फिल्म के गीत। 

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