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एचएमआर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, नई दिल्ली के छात्र राकेश झा बताते है कि जी हाँ बहुत नज़दीक से भगवन शिव को अनुभव किया है ।
आपको बता दें कि उन्होंने ये सच्ची घटना सितंबर 2019 के महीने में हुई थी।
अपने अन्य दोस्तों के साथ मेरे करीबी दोस्त ने, “मणिमहेश” की यात्रा की योजना बनाई।
वे सभी यात्रा की शुरुआत में ऊर्जावान थे, लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, उन्होंने ऊंचाई के साथ ऊर्जा खोना शुरू कर दिया।
जैसे-जैसे ऑक्सीजन ऊंचाई के साथ कम होती जा रही थी, वे अभी भी वहां के वातावरण के अनुकूल अपने आप को स्थापित कर रहे थे।
कुछ समय बाद, अचानक राजा नाम का एक लड़का कम हवा या कुछ और कारण बेहोश हो गया।
सभी दोस्त घबरा गए और उसकी नब्ज टटोली, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। वे सभी चिल्लाने और रोने लगे कि हम आपको, भगवान शिव को महसूस करने के लिए यहां आए थे, और आपने हमारे साथ ऐसा किया।
सभी घबरा गये कि हम उसकी माँ को क्या बताएंगे? हम उसके शरीर के साथ क्या करेंगे?
जैसा कि वे अभी भी रो रहे थे,तभी एक बूढ़े व्यक्ति ने बीच आकर टोका, तन पर धोती और माथे भस्म लगाये हुए लंबे बाल थे (एक साधु की तरह दिखता था) उनके पास आया और लड़के के बारे में पूछताछ की और लड़के में से एक को पास स्थित एक झील से पानी लेने का आदेश दिया।
जैसा कि लड़के ने आशाहीनता में बूढ़े आदमी के आदेश का पालन किया, पानी की कुछ बूंदें देने के बाद बूढ़ा आदमी खड़ा हो गया और बगल से चला गया, सभी लड़कों ने सोचा कि आदमी उसे सचेत करने में विफल रहा है।
लेकिन जैसे ही वह आदमी 10 कदम चला ही था कि फिर राजा को अपनी चेतना वापस मिल गई।
जैसे ही लड़कों ने बूढ़े आदमी का पीछा करने का फैसला किया, वह गायब हो गया।
वह कौन था? : एक लड़के ने कांपते हुए पूछा।
भगवान शिव ..! : उस बेहोश लड़के (जो अब सचेत अवस्था में आ चुका था) ने उत्तर दिया।
एक दूसरे अनुभव
वही एक दूसरे अनुभव में ज्ञान प्रकाश जी बताए है वर्ष 2017 की बात है। मैं हर साल बद्रीनाथ जी के दर्शन को जाता है। तब भी गया था। जून का महीना था। दोपहर के दर्शन से पहले वहां भोग चढ़ता है। हम प्रतीक्षा कर रहे थे कि तभी एक अघोरी आया। सबसे दूर खड़ा हो गया। फिर मन में बुदबुदाते हुए बोला कि दरवाजा खुलने जा रहा है।
उसके कहते ही गर्भगृह खुल गया। मैंने लपक के अघोरी के पैर छू लिए। उसने कहा केदरनाथ जी के अच्छे दर्शन होंगे। मेरा कोई प्लान नहीं था इसलिए सुन लिया। वापसी के समय चमोली आ कर अचानक केदारनाथ जाने का प्लान बन गया। केदरानाथ की चौखट पर वही अघोरी बाबा फिर दिखे।
मुझे याद आ गया उन्होंने क्या कहा था। मेरे पास से गुजरने पर मोरपंखी सर पर मारते हुए बोले कि अच्छे दर्शन होंगे। मेरे भीतर जाते ही दोपहर के लिए कपाट बंद हो गए। हम सबसे पीछे थे। वास्तव में जब हम अभिषेक कर रहे थे तो कोई भीड़ नहीं थी। बड़े आराम से दर्शन हुए। हरहर महादेव।।
एक तीसरे अनुभव
वही एक दूसरे अनुभव में नीरज नयन गुप्ता, जो पेशे से सरकारी स्कूल में शिक्षक है बताते है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा के दौरान जब उन्हें कैलाश पर्वत के दर्शन हुए तब पता नहीं क्यों शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया और ऐसा लगा कि शिव जी यही कहीं आसपास ही है बस दिखाई नहीं दे रहे । अभूतपूर्व अनुभव था यह मेरे जीवन का…!
तो ऐसे है भगवान शिव कहते है कि न जाने किस भेष में मिल जाये भगवान इसलिए कभी किसी मोड़ पर किसी का अनादर नहीं करना चाहिए।