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भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्षों में वीर सावरकर का नाम बेहद महत्त्वपूर्ण रहा है। महान देशभक्त और क्रांतिकारी सावरकर ने अपना संपूर्ण जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। अपने राष्ट्रवादी विचारों से जहाँ सावरकर देश को स्वतंत्र कराने के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहे वहीं दूसरी ओर देश की स्वतंत्रता के बाद भी उनका जीवन संघर्षों से घिरा रहा।
सावरकर वे पहले कवि थे, जिसने कलम-काग़ज़ के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।
क्रांतिकारी संगठन की स्थापना
1940 ई. में वीर सावरकर ने पूना में ‘अभिनव भारती’ नामक एक ऐसे क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य आवश्यकता पड़ने पर बल-प्रयोग द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करना था। आज़ादी के वास्ते काम करने के लिए उन्होंने एक गुप्त सोसायटी बनाई थी, जो ‘मित्र मेला’ के नाम से जानी गई।
विनायक दामोदर सावरकर ( जन्म- 28 मई, 1883, भगूर गाँव, नासिक; मृत्यु- 26 फ़रवरी, 1966, मुम्बई, भारत) न सिर्फ़ एक क्रांतिकारी थे बल्कि एक भाषाविद, बुद्धिवादी, कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि और महान इतिहासकार और ओजस्वी आदि वक्ता भी थे। उनके इन्हीं गुणों ने महानतम लोगों की श्रेणी में उच्च पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया।
कुछ प्रमुख कार्य
- सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरुद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था।
- सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में ‘स्वदेशी’ का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
- सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
- सावरकर पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
- सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का ‘स्वाधीनता संग्राम’ बताते हुए लगभग एक हज़ार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा।
- सावरकर भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिशसाम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था।
- सावरकर दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।
- सावरकर पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
- सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था।
- सावरकर वे पहले कवि थे, जिसने कलम-काग़ज़ के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।
- वे प्रथम क्रान्तिकारी थे, जिन पर स्वतंत्र भारत की सरकार ने झूठा मुकदमा चलाया और बाद में निर्दोष साबित होने पर माफी मांगी।