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प्रधानमंत्री जो खाना खाते है उसके टेस्टिंग की क्या है प्रक्रिया ?

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स आधुनिक युग मे भी भारत मे खाना टेस्ट करने का प्राचीन तरीका ही प्रचलित है। आज भी VIP और VVIP को खाना परोसने के पहले उसे एक स्वाथ्य विभाग की टीम चख कर प्रामाणित करती है। खाने को परखने यह विधि बहुत पुरानी है और अब तक ऐसी ही चली आ रही है।

खाने को परखने की विधि :- खाने को चख कर परखने वाली टीम में डॉक्टर और स्वाथ्य विभाग के अन्य कर्मचारी हो सकते हैं। खाना परोसे जाने के लगभग 1 घंटे पहले ही खाने का एक सैम्पल ले कर उसे चख कर परखा जाता है। ठीक होने पर उसे परोसने के लिए हरी झंडी मिल जाती है।

इस सैम्पल को अगले 72 घंटे तक सहेज़ कर रखा जाता है। जिन्होंने खा कर प्रमाणित किया अगर उनकी तबियत बिगड़ती है तो इसे फ़ूड टेस्टिंग लैबोरेटरी में जांच के लिए भेजा जाता है। अगर खाना किसी के घर से आया हो तो उन्हें यह लिखित में देना होता है कि उस खाने में किन किन सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। कुछ गड़बड़ी होने पर करवाई निश्चित है।

ऐसा सिर्फ़ भारत के VIP और VVIP तक ही सीमित नही है बल्कि कई विदेशी अतिथियों के साथ यही विधि अपनाई जाती है। इसी वजह से जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के दौरे पर आए तो उन्होंने खाने की टेस्टिंग का जिम्मा खुद लिया। भारतीय डॉक्टरों की टीम की ज़रूरत नही पड़ी।

भोजन परखने वाले क्या कहते हैं ?

जिन्हें इस तरह गिनीपिग (प्रयोगशाला में इस्तेमाल होने वाला एक जानवर) बनाया जाता है उन डॉक्टरों का मानना है कि इस प्रक्रिया का कोई महत्व नही है। 1 घंटे में यह बता पाना की खाना अच्छा है या नही बहुत मुश्किल है।

इससे बेहतर है खाने को टेस्ट करने की आधुनिक विधि को अपनाया जाए। पर सरकारी तंत्र का कहना है कि अभी जो व्यवस्था चल रही है उसमें ऐसा एक बार भी नही हुआ कि खाना खा कर कोई बीमार हुआ हो।

जहाँ तक वर्तमान प्रधानमंत्री का प्रश्न है तो मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उनका रसोइया काफ़ी लंबे समय से उनके लिए खाना बनाता आ रहा है। दावे के साथ तो नही कहा जा सकता पर लगता यही है कि यहाँ भी विश्वास के बल पर सब कुछ चल रहा है।

मुझे लगता है एक प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जैसा व्यक्ति देश के लिए बहुत महत्व रखता है। उनके स्वास्थ्य के लिए सरकार को सजगता दिखानी चाहिए और भोजन को परखने की आधुनिक विधियों को अपनाना चाहिए।

पीएम नरेंद्र मोदी का ये है रसोइया
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुद्ध शाकाहारी हैं. उन्हें हमेशा हल्का-फुल्का और सिंपल खाना ही पसंद आता है. खाने के स्वाद और उसके बनाने के तरीके पर पीएम मोदी बहुत ध्यान देते हैं. ऐसे में बदरी मीणा वो शख्स हैं जो रखते हैं उनके खान-पान का खास ख्याल. बदरी मीणा को यह अच्छे से पता है कि पीएम मोदी के लिए कब और क्या पकाना है.

बदरी मीणा राजस्थान के रहने वाले हैं और करीबन 23 साल पहले अपने दो दोस्त दिनेश मीणा और सूरज मीणा के साथ उदयपुर से काम की तलाश में गुजरात आए थे. बदरी की तलाश पूरी हुई पीएम मोदी के लिए खाना बनाने पर आकर. 16 साल से पीएम मोदी के विशवसनीय कुक रह रहे बदरी इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि उन्हें हमेशा हेल्दी और स्वादिष्ट खाना मिले.

नरेंद्र मोदी सप्ताह में तीन बार खिचड़ी, ब्रेकफॉस्ट में इडली-डोसा या फिर पारंपरिक गुजराती पकवान खाना पसंद करते हैं. भिंडी कढ़ी, वाघरेली खिचड़ी, खाखरा और आम का मीठा अचार भी पीएम मोदी की पसंद है. बदरी की किचन में साफ-सफाई से काम करने के तरीके से यानि ‘स्वच्छ’ किचन से पीएम मोदी भी काफी प्रभावित हैं.

इन सब काम काज के अलावा बदरी मीणा पीएम के ऑफिस में कुक की एक टीम भी मैनेज करते हैं और उनके हर विदेश दौरे पर उनके खाने का खास ख्याल रखते हैं. इसी टीम में से एक शख्स ने पीएम के भूटान दौरे से एक सप्ताह पूर्व वहां जाकर मोदी के खान-पान के अनुसार शाकाहारी चीजें भी तैयार करवाईं थी.

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