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हम बात कर रहे है दादाभाई नौरोजी की जो कि पहले एशियाई और भारतीय थे, जिसे ब्रिटिश पार्लमेंट में चुने गया था. उनका जन्म 1825 में मुंबई में हुआ था, उस वक्त के लिए ये बहुत बड़ा कदम था की एक भारतीय को ब्रिटिश पार्लमेंट में बैठने मिला.
नौरोजी के जीवनकाल के दौरान, भारतीय आबादी ब्रिटिश साम्राज्य के चौथे स्थान पर थी, 250 मिलियन लोगों के लिए पार्लमेंट हॉउस अहम था. नौरोजी ने 1867 में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना में मदद की थी – एक संगठन जिसका उद्देश्य एशियाई लोगों के मौजूदा विचारों को आवाज़ देना था. अंततः संगठन भारतीय राष्ट्रीय संघ के साथ विलय हो गया, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बन गया – बाद में एक पार्टी, और अभी भी भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनी हुए है.
प्रशंसकों द्वारा उनको “द ग्रैन्ड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया” ख़िताब मिला , नौरोजी चुनाव के लिए कई बार खड़े हुए, हर बार काफी नस्लवाद का सामना करना पड़ा. 1886 के आम चुनाव में उनकी हार के बाद, प्रधान मंत्री लॉर्ड सेलिसबरी ने कहा कि ब्रिटेन एक अश्वेत आदमी को चुनने के लिए तैयार नहीं है.
फ्लोरेंस नाइटिंगेल और प्रचारकों दोनों के समर्थन के कारण नौरोजी एक प्रसिद्ध सार्वजनिक व्यक्ति बन गए. वह अंततः सिर्फं 3 ज्यादा वोटों के कारण जीत गए. एक सांसद के रूप में उन्होंने भारतीय आजादी के लिए प्रचार भी किया, लेकिन महिलाओं के लिए वोट, बुजुर्गों के लिए पेंशन, आयरिश होम नियम और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के उन्मूलन का भी समर्थन किया। उन्होंने 18 92- 18 9 5 से एक सांसद के रूप में कार्य किया, लेकिन 1 9 06 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने जाने के बाद अपने जीवन के अंत तक उसी से जुड़े रहे. 30 जून 1 9 17 को मुंबई में उनकी मृत्यु हो गई।
यह लेख पार्लमेंट.UK नामकी वेब साएट से अनुवाद किया गया है, चित्र: V.R.RAO द्वारा बनाई गई आॅयल पेंटिंग