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पश्चिमी संस्कृति का एक अभिशाप वैलेंटाइन डे !

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वैलेंटाइन डे पश्चिमी संस्कृति का एक अभिशाप है जो भारतीय युवाओं के मन में घर कर गया है। हमारी समृद्ध संस्कृति को प्रदूषित करने वाली इन आयातित पश्चिमी संस्कृतियों को रोकना गंभीर रूप से आवश्यक है।यह एक ऐसा अभिशाप है जो हमारी युवा शक्ति, भारत के भविष्य को बर्बाद कर देगा।

वेलेंटाइन डे मनाने की बजाय अपने चरित्र को सदगुणों से भरपूर और सहनशील, परिश्रमी, पुरूषार्थी, क्षमतावान बनाइए…ताकि वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण, सुखमय और पूरी जिम्मेदारी से निभाया जा सके…। सुसंस्कार चरित्र वाले नागरिकों से राष्ट्र भी सुरक्षित और समृद्ध बना रहेगा

वैलेन्टाइन डे तो अंग्रेजों द्वारा प्रदत्त है।जब विदेशी त्योहारों को ही महत्व देकर अपनाएंगे तो आपके साथ दुर्घटनाएं भी अंग्रेजी होंगी और अंग्रेजी अवैध दवाएं ही आपके जीवन को नष्ट तथा कष्टमय बनाएंगी।इसलिए भारतीय सभ्यता तथा त्योहार ही अपनाने का कष्ट करें।

हमें अगर सीता जैसी पुत्री, बहु, पत्नी चाहिए तो स्वयं भी जनक, दशरथ और राम बनना पड़ेगा।आदर्श अपने इतिहास से मिलेंगे पश्चिमी पशुवृत्ति से नहीं।लड़कियां इसलिए बेशर्म हैं क्योंकि उनकी माएं उन्हें छूट देती हैं। घर की महिलाएं बहुत ज्यादा जिम्मेदार है इन सबके के लिए। क्योंकि उनको बराबरी पसंद है। इनका निदान सिर्फ सँयुक्त परिवार ही है।

last 3 year का डाटा, 43 लाख लड़कियों में बाझपन और 30 लाख में कैंसर पाया गया…Valentine के बाद मुश्किल से 10 दिन के अंदर गायनेकोलोजिस्टो के पास लड़कियों की भीड़ लग जाती है। टीवी पे ऐड आता है सिर्फ एक कैप्सूल से 72 घंटो के अंदर अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा…बिना दिमाग की लडकिया , ऐसी गोलियां जिसका न कम्पोजीशन पता होता है न कांसेप्ट बस निगल जाती हैं।

इन फेक गोलियों में आर्सेनिक भरा होता है यह 72 घंटो के अंदर सिर्फ बनने वाले भ्रूण को खत्म नही करता बल्कि पूरा का पूरा fertility_system ही करप्ट कर देता है…शुरू में तो गोलिया खाकर सती_सावित्री बन जाती हैं लेकिन शादी के बाद पता चलता है ये अब माँ नही बन सकती…तो सबको पता चल जाता है इनका भूतकाल कैसा रहा है, पर कोई बोलता नही जिन्दगी खुद अभिशाप बन जाती है…सरकार हर साल मातृत्व_सुरक्षा, जननी सुरक्षा, बेटी बचाओ जैसी योजनाओ के नाम पर करोड़ो ₹ फुक देती है।

आज हालत ये हैं 13-14 साल की बच्चिया बैग में i-pill लेकर घूम रही है ये मरेंगी नही तो क्या होगा और ऐसी जहरीली चीजे valentine पर medical mafia भारतीय बाजारों में जानबुझकर उतारता है। क्युकी सबको पता है, भारत में बुद्धिजीवी वर्ग का कोई मान नही होता …पहले ये लड़कियों को जहर खिलाकर बीमारी देते हैं…फिर उसकी दवाई बेचकर अरबो रूपये कमाते हैं…जिसमे नेता भी कमाई करते हैं…क्युकी ऐसे जहर को बेचने का परमिट और उनकी चेकिंग न करवाने का काम नेता ही कर सकते हैं।

बेटी आपकी, तो उसकी जिम्मेदारी भी आपकी… इस valentine उसके पीछे संत – महापुरुष का ही नही बल्कि आप खुद सजग रोहोगे , देखने पर विरोध करोगे। समय है वेलेंटाइन जैसे कुकर्म को बढ़ावा देने वाले घटिया मानसिकता की जगह जगह अपने माता पिता का पूजन कर देश की युवा पीढी को सुदृढ़ बनाने का या फिर अगर चाहते हो आपकी बेटे- बेटी जमके अय्याशी करे, और बाद में कैंसर , बाझपन, STD की वजह से मर जाए और आपका बोझ हल्का हो तो एक ही बार में सल्फास दे दो। समस्या आपके बेटी की अय्याशी और उसके मरने से नही, समस्या होती है, जो दवाईया बेचकर विदेशी कम्पनिया हर साल हमारे देश का अरबो रुपया लुट लेती हैं उससे है।

ये जन्मभूमि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का है जिन्होंने अपने पिता के वचन का लाज रखने के लिए 14 वर्षों का बनवास चले गए बिना कुछ सोचे समझे महलों का ऐसो आराम त्याग दिया उनके देश में ऐसी kupartha त्याग होना चाहिए वैलेंटाइंस डे आखिर में है क्या सिर्फ हवस मिटाने का एक तरीका।  कुछ समय पूर्व एक शोधकर्ता ने लिखा था-वैलेन्टाइन डे भारत में लड़कियों की जनसंख्या कम करने का एक योजनात्मक अंग्रेजी त्यौहार है।✍️

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