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वैसे तो पूर्वकाल मे इन्सान और जानवर एक दुसरे के पूरक थे जिसका शास्त्रों मे भी काफी वर्णन मिलता है ।उस काल मे इन्सान ने भी जानवरों का बेमतलब इतना वध नही किया होगा जितना वर्तमान काल मे दिख रहा है। कहा जाता है कि नेपाल में पाया जाने वाला अनूठा प्राणी हाइकु जिसका पुराणों में वर्णन आता है , स्वयं पार्वती माता ने इस सुंदर जीव को अपने पवित्र हाथों से केला खिलाया था। और योगेश्वर शिव जी ने इस प्राणी को अमर ( एक महायुग ) तक रहने का वरदान दिया था।
इस प्राणी को सायद ही आपने कहीँ देखा हो क्योंकि यह अकेला होने के बाबजूद कम ही लोगों को दिखाई देता है। जिसने भी इसे देखा है वे बताते है कि उन्होंने उसे अकेला ही देखा, किसी और प्राणी के साथ नही । साथ ही आजतक कभी भी किसी को यह जोड़े मे नही दिखाई दिया है।
जिन लोगों ने इस प्राणी को देखा है, वह बताते है कि यह हमेसा अकेला ही दिखाई दिया है। मान्यता है कि संसार मे यह एक ही इकलौता जीव है जो पौराणिक काल से आज तक अमर होकर जी रहा है। यह देखने वाले सौभाग्यसाली व्यक्ति अमर बहादुर द्वारा हाइकू का काल्पनिक चित्र है।
स्वयं पार्वती माता ने इस सुंदर जीव को अपने पवित्र हाथों से केला खिलाया था। और योगेश्वर शिव जी ने इस प्राणी को अमर ( एक महायुग ) तक रहने का वरदान दिया था।
गर्मियों से पहले वसंत के मौसम में यह अक्सर दिखाई देता है। और कुछ दिन बाद यह फिर सुदूर हिमालय की वर्फीली पहाड़ियों में चला जाता है । यह प्राणी नेपाल ,भारत और कैलास पर्वत के स्थानों मे ही विचरण करता है।जिस प्रकार नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने को पुण्य माना जाता है।
इसी प्रकार नेपाल की संस्कृति मे इसके दिखने को अति सोभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यदि आपने हकीकत मे इसको नही देखा है तो इसको पहचान लीजिये, हो सकता है यह पवित्र जीव आपको ब्लॉगर के माध्यम के अनुरूप साक्षात दिख जाए।